ये मासूम बच्चे एक नामचीन स्कूल के खिलाफ धरना देने आए हैं, डीएम से पिता बोले- क्या गरीब...

Noida : ये मासूम बच्चे एक नामचीन स्कूल के खिलाफ धरना देने आए हैं, डीएम से पिता बोले- क्या गरीब...

ये मासूम बच्चे एक नामचीन स्कूल के खिलाफ धरना देने आए हैं, डीएम से पिता बोले- क्या गरीब...

Tricity Today | जिलाधिकारी सुहास एलवाई

Greater Noida : सोमवार की सुबह गौतमबुद्ध नगर कलेक्ट्रेट में एक अजब नजारा देखने को मिला। पिता और परिवार के कई दूसरे सदस्यों के साथ दो-तीन बच्चे जिलाधिकारी कार्यालय के सामने धरना देने आए। हालांकि, खेलकूद में मस्त इन मासूम बच्चों को शायद ही मालूम हो कि वह अपनी पढ़ाई-लिखाई के लिए गांधीजी के हथियार सत्याग्रह और धरने का इस्तेमाल करने आए हैं। कोतुहलवश लोगों ने पूछताछ की। मामला वाजिब जानकर कलेक्ट्रेट के बुजुर्ग वकील भी बच्चों और उनके पिता के साथ धरने पर बैठ गए। जानकारी मिली तो जिलाधिकारी सुहास एलवाई खुद बच्चों और उनके पिता से मुलाकात करने पहुंचे। पिता ने कहा, "साहब! हम गरीब और दलित हैं तो इसका मतलब शहर का दिल्ली पब्लिक स्कूल हमारे बच्चों का दाखिला नहीं लेगा। क्या हमें स्कूल के सुरक्षाकर्मी भीतर भी दाखिल नहीं होने देंगे?"

क्या है पूरा मामला
गौतमबुद्ध नगर सदर तहसील के गांव बिलासपुर में रहने वाले अनिल कुमार और सुरेंद्र कुमार ने 'शिक्षा का अधिकार अधिनियम' के तहत अपने दो बच्चों किसी निजी स्कूल पढ़ाने के लिए आवेदन किए थे। इसके लिए अनिल ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में आवेदन किया था। गौतमबुद्ध नगर की जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ऐश्वर्या लक्ष्मी ने जांच-पड़ताल करने के बाद अनिल और सुरेंद्र को पात्र पाया था। इसके बाद बीएसए कार्यालय ने पात्र बच्चों का चुनाव लॉटरी के माध्यम से किया। लॉटरी में अनिल के बेटे और सुरेंद्र की बेटी को ग्रेटर नोएडा का दिल्ली पब्लिक स्कूल आवंटित कर दिया गया। पात्र बच्चों और आवंटित स्कूलों की सूची पर बीएसए के बाद जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने भी अनुमोदन दिया।

बीएसए ऐश्वर्या लक्ष्मी ने दोनों बच्चों को आरटीई के तहत प्रवेश देने के लिए दिल्ली पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल और मैनेजमेंट को पत्र भेजा। यह पत्र 14 जुलाई 2022 को स्कूल भेजा गया था। बीएसए ने अनिल से स्कूल जाकर संपर्क करने के लिए कहा था। अनिल ने बताया, "मैं और सुरेंद्र दोनों बच्चों को लेकर ग्रेटर नोएडा के दिल्ली पब्लिक स्कूल पहुंचे थे। स्कूल के सुरक्षाकर्मियों ने हमें अंदर नहीं जाने दिया। मैंने उन्हें बताया कि मैं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी का पत्र लेकर आया हूं। स्कूल प्रिंसिपल से मिलना चाहता हूं। इस पर सुरक्षाकर्मियों ने प्रिंसिपल के कार्यालय से फोन पर बात की। इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने मुझे वापस जाने के लिए बोल दिया।"

हम मजबूर होकर धरना देने आए
सुरेंद्र ने जिलाधिकारी से कहा, "मैं और अनिल बच्चों को लेकर करीब एक घंटे तक स्कूल के बाहर बैठे रहे, लेकिन हमें प्रवेश नहीं दिया गया। इसके बाद हम लोगों ने एक बार फिर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से संपर्क किया। उनकी ओर से भी कोई जवाब नहीं दिया गया है। बीते शनिवार को हमने गौतमबुद्ध नगर के अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) नितिन मदान को एक शिकायती पत्र दिया था। जिस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। स्कूलों में छुट्टियों के बाद पढ़ाई चलते एक महीने से ज्यादा वक्त बीत चुका है। हमारे बच्चों का अभी तक दाखिला भी नहीं हुआ है। हमें मजबूर होकर आज कलेक्ट्रेट पर धरना देने आना पड़ा है।" अनिल ने डीएम से कहा, "साहब! आप सोचिए जब आपके और बीएसए के आदेश को स्कूल नहीं मान रहा तो भला हम गरीब लोगों को कौन वहां भीतर घुसने देगा?

हम दलित और गरीब हैं तो दाखिला नहीं मिलेगा?
अनिल और सुरेंद्र ने डीएम से एक ही सवाल किया है, "हम अनुसूचित जाति के और गरीब हैं तो इसलिए दिल्ली पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्या मेरे बच्चों को एडमिशन नहीं दे रही हैं। हम 15 जुलाई से कई बार स्कूल जा चुके हैं। हमें और बच्चों को स्कूल में घुसने नहीं दिया गया है।" अनिल और सुरेंद्र ने डीएम से मामले में जांच करने की मांग की है। दिल्ली पब्लिक स्कूल के मैनेजमेंट और प्रिंसिपल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करके कार्रवाई की मांग भी की है। डीएम ने फोन करके जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से बात की। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि स्कूल को कई बार निर्देश दिए जा चुके हैं।

जांच और स्कूल के खिलाफ कार्रवाई होगी : डीएम
जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने अनिल और सुरेंद्र को आश्वासन दिया है कि मामले में जांच करवाएंगे बच्चों के दाखिले करवाए जाएंगे। परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। जरूरत पड़ी तो स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ एक्शन भी लिया जाएगा। शिक्षा का अधिकार के तहत प्राइवेट स्कूलों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को पढ़ाना होगा। यह देश का कानून है और निजी स्कूलों की जिम्मेदारी है। इससे स्कूल मैनेजमेंट बच नहीं सकते हैं।"

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