शहर की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी जेपी ग्रुप (Jaypee Group) को उत्तर प्रदेश संपत्ति विनियामक प्राधिकरण (UP RERA) से एक और झटका लगा है। नोएडा के सेक्टर-128 में असगरपुर गांव के पास जेपी एसोसिएट्स के प्रोजेक्ट नाइट कोर्ट (Jaypee Knights Court) का पूरा निर्माण बिल्डर ही करेगा। उत्तर प्रदेश सम्पत्ति विनियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) ने यह आदेश सुनाया है। हाउसिंग सोसायटी की अपार्टमेंट्स ऑनर्स एसोसिएशन निर्माण अपने हाथों में लेना चाहती थी। अब बिल्डर केवल ठेकेदार की भूमिका में रहेगा। खरीदारों का संगठन और प्राधिकरण इस प्रोजेक्ट की निगरानी करेंगे। यह प्रोजेक्ट जेपी समूह के विश टाउन इंटीग्रेटेड सिटी (Jaypee Wish Town Integrated City) का हिस्सा है।
यूपी रेरा के चेयरमैन राजीव कुमार ने बताया कि यह परियोजना जेपी एसोसिएट्स ने वर्ष 2012 में लॉन्च किया था। यह परियोजना वर्ष 2014 से अटकी पड़ी है। काम बंद पड़ा हुआ है। इस प्रोजेक्ट में 8 टॉवर हैं और 310 आवंटी हैं। नियमों के तहत इसमें 60 फीसदी निर्माण नहीं हुआ था। परियोजना में रेरा की विशेष दखल के बिना काम पूरा होना सम्भव नहीं था। फ्लैट खरीदारों की एसोसिएशन इस मामले को लेकर यूपी रेरा के सामने आई थी। दोनों ओर की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला लिया गया है कि जेपी एसोसिएट्स कंपनी ठेकेदार की भूमिका में काम करेगी।
राजीव कुमार ने बताया कि इस परियोजना का काम पूरा करने के लिए अभी 145.5 करोड़ रुपए की जरूरत होगी। इसमें से 40.85 करोड़ रुपए जेपी एसोसिएट देगा। यह पैसा कंपनी ने फ्लैट खरीदारों से लिया है। 103.35 करोड रुपए का भुगतान फ्लैट खरीदार करेंगे। परियोजना पर काम शुरू करने के 2 सप्ताह में कंपनी 10 करोड़ रुपये देगी। रेरा के चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा कि खरीददारों के संगठन और प्राधिकरण परियोजना की नजदीकी से निगरानी करेंगे।
जेपी एसोसिएट से पहले भी छिन चुकी है केलिप्सो कोर्ट परियोजना
शहर में कम्पनी का यह दूसरा प्रोजेक्ट है, जिसमें यूपी रेरा ने फ्लैट खरीदारों की याचिका पर फैसला सुनाते हुए बिल्डर को मुख्य भूमिका से हटाकर ठेकेदार नियुक्त कर दिया है। इससे पहले जेपी एसोसिएट के कैलिप्सो कोर्ट प्रोजेक्ट में भी इसी तरह का फैसला यूपी रेरा ने सुनाया था। जेपी एसोसिएट की नाइट्स कोर्ट परियोजना नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर विश टाउन प्रोजेक्ट का हिस्सा है। करीब 3 साल पहले रियल एस्टेट सेक्टर में मंदी आने के बाद जेपी ग्रुप को बड़ा झटका लगा। कंपनी बड़े कर्ज के नीचे दब गई। समूह की कंपनी जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में दिवालिया प्रक्रिया विचाराधीन है। मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है।