-जांच के दौरान घर पहुंची पुलिस को नेम प्लेट पर लिखा मिला सॉलिसिटर जनरल
-डिग्री का पता लगाने के लिए बार काउंसिल और यूनिवर्सिटी को पत्र लिखा
Noida News : करोड़ों रुपए के काला धन बरामद होने के आरोपी किसलय पांडे के बारे में पुलिस को जांच के दौरान ऐसे सबूत मिले हैं, जिससे उसकी वकालत की डिग्री फर्जी हो सकती है। जांच के बाद अब आरोपी की मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं। दूसरी ओर जब पुलिस किसलय पांडे के घर जांच पड़ताल करने पहुंची तो घर के बाहर नेम प्लेट पर उसने सॉलीसीटर जनरल लिखा हुआ था।
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से वकालत की डिग्री हासिल करने का दावा करने वाला आरोपी किसलय पांडेय मूल रूप से बिहार के सीतामढ़ी का रहने वाला है। कालेधन मामले की जांच के दौरान पुलिस को उसकी वकालत की डिग्री भी फ़र्ज़ी होने की जानकारी मिली है। पुलिस इस मामले की बहुत ही बारीकी से जांच कर रही है।
सॉलीसीटर जनरल के नाम का भी दुरुपयोग
जांच के दौरान नोएडा पुलिस के अधिकारी जब किसलय के आम्रपाली सोसाइटी स्थित आवास पर पहुंचे तो वहां पर उसकी नेम प्लेट पर उसके नाम के आगे "सॉलिसिटर जनरल" लिखा मिला। इसको देखकर एक बार पुलिस अधिकारी भी ठिठक गए और तुरंत ही अपने आला अधिकारियों को सूचित किया। लेकिन जांच के बाद इस बात की पुष्टि हो गई कि सॉलिसिटर जनरल सिर्फ और सिर्फ तुषार मेहता ही हैं। इसके बाद पुलिस इस बात का पता लगाने का भी प्रयास कर रही है कि आखिर किसलय पांडे सॉलिसिटर जनरल के पद का कब से प्रयोग कर रहा है और इस पद का दुरूपयोग कर कितना लाभ उठाया है।
किसलय पांडे की डिग्री की हकीकत जानने के लिए गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, बार काउंसिल ऑफ इंडिया और बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश को पत्र लिखे हैं। अगर किसलय पांडे की डिग्री फर्जी पाई गई तो उसके खिलाफ एक और मुकदमा दर्ज किया जाएगा। कुल मिलाकर इस मामले में गौतमबुद्ध नगर पुलिस हर एंगल पर जांच कर रही है। गौतमबुद्ध नगर के पुलिस उपायुक्त (अपराध) अभिषेक झा की अगुवाई में तेजतर्रार अफसरों की कई टीम गठित की गई हैं।