ग्लोबल हो गए अपने कान्हा, 56 नहीं 256 प्रकार के व्यंजनों का लगेगा भोग

नोएडा ISKCON में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष : ग्लोबल हो गए अपने कान्हा, 56 नहीं 256 प्रकार के व्यंजनों का लगेगा भोग

ग्लोबल हो गए अपने कान्हा, 56 नहीं 256 प्रकार के व्यंजनों का लगेगा भोग

Tricity Today | Noida ISKCON Temple

Noida News : जब बात श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हो रही है तो भगवान को समर्पित 56 भोग की बात न हो तो जन्मोत्सव की तैयारी अधूरी ही रहती है। हिन्दू धर्म में भगवान को छप्पन भोग (Chhappan Bhog) का प्रसाद चढ़ाने की बड़ी महिमा है। भगवान को प्रसाद के रूप में 56 अलग अलग तरह के व्यंजन चढ़ाये जाते हैं जो मिलाकर 56 भोग कहलाता है। इसमें मिठाई, दूध से बनी चीजें, हरी सब्जियां, अन्न से बनी चीजें, सूखे मेवे आदि शामिल होते हैं। किन्तु, समय परिवर्तन के साथ भगवान को समर्पित 56 भोग अब 256 प्रकार के व्यंजन हो गए हैं। इसमें शामिल व्यंजन शुद्ध देसी के साथ-साथ चाइनीज और इटेलियन व्यंजनों ने भी अपनी जगह बनाई है। दुनियाभर में भारतवंशी मना रहे हैं त्योहार
पूरे देश और विश्व में जहां भी भारतवंशी मौजूद हैं, आज अपने आराध्य भगवान श्री हरी विष्णु के 12वें अवतार श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को बड़े धूमधाम और श्रद्धापूर्वक मना रहे हैं। इसलिए भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप के दर्शन के लिए दुनियाभर के मंदिरों में भक्तिमय भीड़ देखी जा रही है। भगवान श्रीकृष्ण के विचारों की गीता को विश्व के कोने-कोने तक ले जाने का श्रेय अंतरराष्ट्रीय संस्था ISKON को जाता है। 

श्रीकृष्ण को लगेगा देसी के साथ विदेशी व्यंजनों का भोग 
पिछले कई दिनों से इस्कॉन नोएडा में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तैयारियां बड़े जोर शोर से चल रही थी। पूरे मन्दिर को फूलों तथा अन्य साज सामान से सजाया गया है। महिलाओं द्वारा बनाई गईं फूल मालाओं से भगवान श्रीकृष्ण का सुन्दर श्रृंगार किया गया है। वृन्दावन के फूलों से मन्दिर की साज सज्जा की गई है। इस्कॉन मन्दिर से जुड़ी महिला भक्तों ने भगवान श्रीकृष्ण के भोग के लिए देसी और विदेशी 256 प्रकार के विभिन्न व्यंजन बनाए हैं। इसमें नमकीन, मिठाइयां, परांठे, कचौरी, खीर, केक, पिज्जा, पास्ता, वेरिटोज, टकोस आदि सम्मिलित हैं। 

ये हैं भगवान के प्रसाद में शामिल शुद्ध देसी 56 भोग :
1- रसगुल्ला   2- चन्द्रकला   3- रबड़ी  4- शूली
5- दही   6- भात ( चावल) 7- दाल   8- चटनी
9- कढ़ी  10- साग-कढ़ी  11- मठरी   12- बड़ा
13- कोणिका   14- पूरी  15- खजरा  16- अवलेह (शरबत)
17- बालका (बाटी)  18- सिखरिणी  19- मुरब्बा  20- मधुर
21- कषाय  22- तिक्त  23- कटु पदार्थ  24- अम्ल (खट्टा पदार्थ)
25- शक्करपारा  26-  घेवर   27-  चिला  28- मालपुआ
29- जलेबी  30- मेसूब  31- पापड़  32- सीरा
33- मोहनथाल  34- लौंगपूरी  35- खुरमा  36- गेहूं दलिया
37- पारिखा  38- सौंफ़लघा  39- लड्डू  40- दुधीरुप
41- खीर  42- घी  43- मक्खन  44- मलाई
45- शाक  46- शहद  47- मोहनभोग  48- अचार
49- सूबत  50- मंड़का  51- फल  52- लस्सी
53- मठ्ठा  54- पान  55- सुपारी  56- इलायची

इस्कॉन को भी जानें 
International Society for Krishna Consciousness (ISKCON), को "हरे कृष्ण आन्दोलन" के नाम से भी जाना जाता है। कृष्ण भक्ति में लीन इस अंतरराष्ट्रीय सोसायटी की स्थापना श्रीकृष्णकृपा श्रीमूर्ति श्री अभयचरणारविन्द भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपादजी ने सन् 1966 में न्यूयॉर्क सिटी में की थी। अपने साधारण नियम और सभी जाति-धर्म के प्रति समभाव के चलते इस मंदिर के अनुयायियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हर वह व्यक्ति जो कृष्ण में लीन होना चाहता है, उनका यह मंदिर स्वागत करता है। स्वामी प्रभुपादजी के अथक प्रयासों के कारण दस वर्ष के अल्प समय में ही विश्व में 108 मंदिरों का निर्माण हो चुका था। इस समय इस्कॉन समूह के लगभग 400 से अधिक मंदिर हैं।

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