बन गए हजारों फार्म हाउस और मकान, यूं ही नहीं आई बाढ़

नोएडा और फरीदाबाद में भूमाफियाओं ने यमुना बेचकर कमाए अरबों : बन गए हजारों फार्म हाउस और मकान, यूं ही नहीं आई बाढ़

बन गए हजारों फार्म हाउस और मकान, यूं ही नहीं आई बाढ़

Tricity Today | यमुना में फार्म हाउस

Noida News : यमुना नदी के डूब क्षेत्र में बाढ़ आई हुई है। पिछले दस दिनों से गौतमबुद्ध नगर पुलिस और प्रशासन हालात संभालने में जुटे हैं। यह बाढ़ आने में भूमाफियाओं का बड़ा हाथ है। यमुना नदी के रास्ते में कॉलोनियां बसा दी हैं। लग्जरी फार्म बनाकर खड़े कर डाले हैं। इनमें पानी घुसने का सिलसिला नया नहीं है। हर साल यही हाल रहता है। जब यमुना नदी में पानी बढ़ता है तो लोग मकान खाली कर देते हैं और जब पानी कम हो जाता है तो कॉलोनी में रहना शुरू कर देते हैं। डूब क्षेत्र की हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि को भूमाफिया ने 10 से 15 हजार रुपये गज में बेच डाला है। वहां बड़ी-बड़ी कॉलोनी बसा दी हैं। इस अवैध कब्जे और निर्माण पर विकास प्राधिकरण और प्रशासन करीब दो दशक से चुप्पी साधे हुए है।

नेताओं ने मौन साधा, बस जायजा लेने जा रहे
यमुना में आई बाढ़ का जायजा लेने नेता, मंत्री और अफसर मौके पर जा रहे हैं, लेकिन कोई यमुना के प्राकृतिक मार्ग में बसी इन अवैध कॉलोनियों पर एक शब्द नहीं बोल रहा है। गौतमबुद्ध नगर के इन्वायरमेंट एक्टिविस्ट विक्रांत तोंगड़ का कहना है, "वोट बैंक की खातिर अवैध कॉलोनियां बसाई जाती हैं। नेता भला अपने वोट बैंक के खिलाफ क्यों बोलने लगे। नोएडा और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की जिम्मेदारी इस अवैध निर्माण को रोकने की है। कोई समय पर कार्रवाई नहीं करता है।"

2010 से होने लगा था अवैध कब्जा
दिल्ली से निकल कर यमुना उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर और हरियाणा के फरीदाबाद जिलों में प्रवेश करती है। फरीदाबाद की तरफ सबसे पहले बसंतपुर, इस्माइलपुर गांवों के इलाके आते हैं। ये इलाका दिल्ली से सटा हुआ है, इसलिए मजदूर दिल्ली से फरीदाबाद आते-जाते रहते हैं। दिल्ली में अपना आशियाना बनाने में असमर्थ मजदूरों को फरीदाबाद के भूमाफिया ने साल 2010 में सस्ती जमीन का लालच देना शुरू किया। फरीदाबाद में प्रॉपर्टी मामलों के जिम्मेदार एडवोकेट प्रकाश नागर कहते हैं, "भूमाफिया ने साल 2016 के बाद इस इलाके में 10 से 15 हजार रुपये गज के रेट पर जमीन बेचना शुरू कर दिया। जिस जमीन को बेचा गया वहां पर खेती हुआ करती थी और यह यमुना के डूब क्षेत्र का इलाका था। यह यमुना की बाढ़ का रास्ता है। इसे भूमाफिया ने बेचकर अरबों रुपये कमाए हैं।"

ठीक ऐसे ही हालात उत्तर प्रदेश के नोएडा और ग्रेटर नोएडा में हैं। गौतमबुद्ध नगर कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट अतुल शर्मा बताते हैं, "नोएडा में ओखला बैराज से लेकर ग्रेटर नोएडा नोएडा में मोमना थल गांव तक हजारों फार्महाउस यमुना नदी की जलधारा तक बसा दिए गए हैं। नंगला, नंगली, नगली साकपुर, मंगरौली, छपरौली और यकूतपुर में हजारों फार्म हाउस बसाए गए हैं। गुलावली, झट्टा और बदौली गांवों में अवैध रूप से कॉलोनी बसाई गयी हैं। अब भी यमुना नदी के खादर में बांध के उस पास कॉलोनाइजेशन चल रहा है।"

क्या कहता है कानून
नियम के मुताबिक कृषि योग्य जमीन पर रिहायशी कॉलोनी नहीं बसाई जा सकती है। रेवेन्यू मामलों के विशेषज्ञ एडवोकेट मूलचंद शर्मा कहते हैं, "अगर यमुना खादर में अवैध निर्माण होता है तो उसे हटाने का काम नोएडा अथॉरिटी का होता है। लेकिन उस वक्त कोई पुख्ता कार्रवाई नहीं की गई और नेताओं की शह पर अवैध कॉलोनियां बसती चली गईं। आज कॉलोनियों में कई हजार के करीब घर बन चुके हैं। ये घर आपदा प्रबंधन अधिनियम, उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास अधिनियम, उत्तर प्रदेश भूमि व्यवस्था अधिनियम और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत अवैध हैं।"

अवैध तरीके से बिजली सप्लाई
बसंतपुर और इस्माइलपुर में बसी आलिया फार्म, बसंतपुर कॉलोनी, शिव कॉलोनी पार्ट थ्री जैसी अवैध कॉलोनियों में बिजली की सप्लाई चोरी छिपे होती है। बसंतुपर गांव के एक शख्स ने बताया कि कॉलोनी के लोग अवैध तरीके से कुंडी डाल कर बिजली का इस्तेमाल करते हैं, जो की पूरी तरह से अवैध है। यमुना के डूब क्षेत्र तक बांस की बल्लियों के सहारे बिजली की सप्लाई हो रही है, लेकिन प्रशासन को ये सब चीजें नहीं दिखाई देती है। दूसरी तरफ नोएडा में तो हालात और ज्यादा खराब हैं। हरियाणा की बिजली उत्तर प्रदेश में लाई जा रही है। अवैध रूप से यमुना पार करके बिजली के तार लाए गए हैं। हजारों फार्म हाउस में यूपी पॉवर कॉर्पोरेशन ने अवैध ढंग से कनेक्शन दे रखे हैं। खंभे और लाइनें यमुना नदी के खादर में बिछा दी गयी हैं।

जिला प्रशासन को कार्रवाई करनी होगी
फरीदाबाद में यमुना रक्षक दल के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ.आरएन सिंह ने बताया कि यमुना का जो प्राकृतिक मार्ग है, उस पर अवैध कॉलोनी पिछले कई सालों से बस रही हैं। नतीजा सामने है। हर साल यमुना में पानी छोड़ा जाता है तो पानी कॉलोनियों में घुस जाता है। सिलसिला आगे भी जारी रहेगा और लोग परेशान होते रहेंगे। इसलिए जिला प्रशासन को चाहिए कि इन अवैध कॉलोनियों को चिन्हित करके हटाए। इसमें सबसे बड़ी लापरवाही जिला प्रशासन की है। गौतमबुद्ध नगर विकास समिति की अध्यक्ष रश्मि पांडेय कहती हैं, "जिले की आपदा प्रबंधन समिति जिलाधिकारी की अध्यक्षता में काम करती है। यह कानून इन सारे निर्माण को अवैध ठहराता है। लिहाजा, जिला प्रशासन को एक्शन लेना चाहिए।"

क्या कहते हैं अफसर
फरीदाबाद डीटीपी एन्फोर्समेंट के राजेंद्र ने बताया कि शुरुआत में जब कॉलोनी बस रही थीं तो जमीन मालिकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गईं। लेकिन जब ये इलाका नगर निगम क्षेत्र में आया तो नगर निगम की जिम्मेदारी बनती है कि वह इन कॉलोनियों को यमुना के डूब क्षेत्र से हटाए। गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन को कहना है कि इस जिले में सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण रोकने की जिम्मेदारी नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की है। नोएडा अथॉरिटी ने पिछले एक साल के दौरान सैकड़ों फार्म हाउस तोड़े हैं।

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