Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा में देशी-विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ यूपी ग्लोबल समिट करने में लगे हुए है। सीईओ विदेशों में जाकर निवेशकों को निवेश के लिए बुलावा देर रही है। वहीं, ग्रेटर नोएडा में इंडस्ट्री लगाने के लिए किसान अपनी मर्जी से जमीन दे रहे है, लेकिन अथॉरिटी के भूलेख विभाग के अफसर सीएम योगी और सीईओ की मेहनत पर पानी फेर रहे है। जिस जमीन को इंडस्ट्री लगाने के लिए किसान ने अपनी मर्जी से अथॉरिटी को दे दिया। उस जमीन का किसान को मुआवजे के चेक भूलेख विभाग का लेखपाल देवेंद्र सिंह नहीं दे रहा है। जबकि चेक 19 जून का बना हुआ और लेखपाल ने अपनी जेब में रखा हुआ है। किसानों ने इस मामले में ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की सीईओ रितु माहेश्वरी को व्हाट्सएप पर शिकायत दर्ज कराई है।
इंडस्ट्री लगाने के लिए किसान ने दी थी जमीन
ग्रेटर नोएडा वेस्ट के भनौता गांव के रहने वाले किसान छीतर सिंह और नेतराम ने बताया कि उन्होंने अपनी जमीन इंडस्ट्री लगाने के लिए ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को आपसी सहमति के आधार पर दे दी है। जमीन के कागजात पर दादरी तहसील से 1359 फसली समेत तमाम रिपोर्ट लग कर ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के भूलेख विभाग में पहुंच गई। भूलेख विभाग ने सभी कागजात जांच करने के बाद जमीन के मुआवजे का चेक बनाने के लिए फाइल अकाउंट विभाग को भेज दी।
19 जून से चेक बना हुआ है
छितर सिंह और नेतराम ने बताया कि उनकी जमीन का मुआवजे का चेक 76 लाख 97 हजार 251 रुपए का 19 जून 2023 को बन गया। मुआवजे के चेक की संख्या 000750 है। किसान का खाता नंबर 50100446652107 है। किसान छीतर सिंह और नेतराम का आरोप है कि भूलेख विभाग में लंबे समय से तैनात लेखपाल देवेंद्र कुमार मुआवजे के चेक को 19 जून से नहीं दे रहा है।
5 प्रतिशत रिश्वत मांग रहे लेखपाल साहब
किसानों का आरोप है कि लेखपाल मुआवजे के चेक देने के नाम पर 5 प्रतिशत रिश्वत की मांग कर रहा है। उनके पास रिश्वत देने के लिए पहले पैसे नहीं है। लेखपाल देवेंद्र सिंह चेक देने के नाम पर हर रोज चक्कर लगा रहा है। जिससे परेशान होकर अब दोनों किसानों ने सीईओ के दफ्तर के सामने आमरण अनशन करने की बात कही है।
लेखपाल देवेन्द्र सिंह का क्या कहना है
वहीं, लेखपाल देवेंद्र सिंह का कहना है कि किसान के भतीजे ने अब आपत्ति दर्ज कराई है। मजेदार बात यह है कि आपत्ति उस समय दर्ज कराई जाती है, जब अथॉरिटी जमीन को खरीदती है। उस जमीन का खसरा नंबर का प्रकाशन दो न्यूज पेपर में कराती है। आपत्ति दर्ज कराने के लिए कम से कम 15 दिन का समय दिया जाता है। यदि कोई आपत्ति आती है तो उसका निस्तारण किया जाता है। इसके बाद ही जमीन की खरीद की कार्रवाई अथॉरिटी करती है। किसानों का आरोप है कि पूरी प्रक्रिया जमीन खरीदने की पूरी हो गई है। तहसील से फाइल तैयार होकर चेक बन गया है। अब लेखपाल रिश्वत मांगने के नाम पर तरह-तरह के बहाने बना रहा है।