जयंती और पुण्यतिथि तक सीमित पार्टी के नेता, हाशिये पर पुराने लीडर

नोएडा में कांग्रेस का नहीं कोई दावेदार! : जयंती और पुण्यतिथि तक सीमित पार्टी के नेता, हाशिये पर पुराने लीडर

जयंती और पुण्यतिथि तक सीमित पार्टी के नेता, हाशिये पर पुराने लीडर

Tricity Today | गौतमबुद्ध नगर में कांग्रेस की हालत खराब

Noida News : देश के सबसे पुराने दल यानी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC-Indian National Congress) के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा को लेकर सुर्खियों में हैं। जिन्होंने अपनी इस यात्रा से सत्ताधारी दल में खलबली और बेचैनी पैदा कर दी है। वो देश को एकसूत्र में बांधने निकले हैं। किन्तु, हम राहुल गांधी या उनकी यात्रा की बात नहीं कर रहे हैं। हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के शो-विंडो जनपद गौतमबुद्ध नगर (Gautam Budh Nagar) की, जहां आज कांग्रेस (Congress) वेंटिलेटर पर है। यह हाल तब है, जब कांग्रेस के मुख्यालय से चंद किलोमीटर दूरी पर यह जनपद स्थित है और कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं का जहां रोजाना जमावड़ा लगा रहता है। लेकिन, उनमें से किसी नेता की निगाह इस ओर नहीं घूम रही है। यह अपने आप में बड़ी दुर्दशा की कहानी बयां करने के लिए काफी है।

सेल्फी नेताओं की बाढ़, जयंती और पुण्यतिथि तक सीमित
ऐसा नहीं ​कि नोएडा कांग्रेस (Noida Congress) में नेताओं की कोई कमी है। यहां एक से बढ़कर एक नेता हैं। जिनमें पूर्व जिलाध्यक्ष अजय चौधरी, फिरे सिंह नागर, चौधरी रघुराज सिंह, विनोद पांडेय, नूर मोहम्मद, दिनेश अवाना, मनोज चौधरी, रामकुमार तंवर, पुरुषोत्तम नागर, दिनेश अवाना, शाहबुद्दीन, लियाकत चौधरी, दिनेश शर्मा,  सतेंद्र शर्मा, यतेंद्र शर्मा, पंखुड़ी पाठक, अनिल यादव आदि शामिल हैं। किन्तु, आज पुराने नेता हाशिये पर हैं और नए नेताओं में नेतृत्व क्षमता और सामंजस्य का बेहद अभाव है। कांग्रेस के नेताओं की हालत यह है कि आज तक कोई भी जिले में पार्टी को खड़ा नहीं कर सका, बल्कि अपने स्तर से इस ओर कदम तक नहीं बढ़ा सका। इन नेताओं की स्थिति अपने आकाओं के साथ सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर अपलोड करने तक ही सीमित हो चुकी है। 

जिले से नहीं कोई मजबूत दावेदार
पार्टी सूत्रों की मानें तो गौतमबुद्ध नगर कांग्रेस (GautamBudh Nagar) आज जिला और महानगर नहीं, बल्कि कई गुटों में बंट चुकी है। यहां पार्टी में आज रामकुमार तंवर गुट, दिनेश अवाना गुट, शाहबुद्दीन गुट, दिनेश शर्मा गुट, पुरुषोत्तम नागर गुट सक्रिय हैं। पार्टी के वरिष्ठ सूत्रों का दावा है कि जिले में पार्टी की स्थिति इतनी भयावह है कि यहां के शीर्ष नेता पार्टी के किसी कार्यक्रम में एक साथ नहीं दिखाई दे सकते हैं। यह गुटबाजी का परिणाम और पार्टी का दुर्भाग्य ही है कि इतने साल बीत जाने के बावजूद यहां से कोई भी ऐसा नेता नहीं खड़ा हुआ, जो जिले में लोकसभा चुनाव में मजबूती से अपनी दावेदारी पेश कर सके। पार्टी सूत्रों का कहना है कि यहां से फिर किसी बाहरी उम्मीदवार को उतारा जाएगा। 

नहीं मिलता कोई दमदार उम्मीदवार
जब से गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट अस्तित्व में आई है। कांग्रेस की हालत बेहद खराब हो चुकी है। यहां कोई दमदार लीडरशीप खड़ी नहीं हो सकी। हालत यह है कि पहली बार साल-2009 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा छोड़कर आए गाजियाबाद के पूर्व सांसद रमेश चंद तोमर कांग्रेस के टिकट पर यहां से चुनाव लड़े। लेकिन, जीत तो दूर, दूसरे नंबर पर भी नहीं आ सके। इसके बाद साल-2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर फिर एक फिर कांग्रेस ने रमेश तोमर पर ही विश्वास जताया। लेकिन, कांग्रेस प्रत्याशी रमेश चंद तोमर मतदान से मात्र चार दिन पहले कांग्रेस को लात मारकर भाजपा (BJP) प्रत्याशी डॉ महेश शर्मा (Dr. Mahesh Sharma) के समर्थन में बैठ गए। उन्होंने पलटी मारने का ऐसा वक्त चुना, जब कांग्रेस अपना कोई उम्मीदवार भी नहीं खड़ा कर सकी। साल-2019 में कांग्रेस ने डॉ. अरविंद कुमार सिंह को मैदान में उतरा, लेकिन रिजल्ट में कोई बदलाव नहीं हो सका।

40 साल से नहीं हुई कांग्रेस की वापसी 
गौतमबुद्ध नगर लोकसभा (Gautam Budh Nagar Loksabh Seat) क्षेत्र जब से अस्तित्व में आया है, उसकी हालत पतली है। इससे पहले भी खुर्जा लोकसभा क्षेत्र रहते हुए भी यहां कांग्रेस की हालत दयनीय ही रही। ऐसा नहीं है कि कभी यहां कोई कांग्रेस (Congress) का सांसद नहीं हुआ है। साल-1962 में केएल वाल्मीकि, साल-1971 में हरि सिंह और साल-1984 में वीर सेन यहां से सांसद रहे। लेकिन, उसके बाद इस क्षेत्र से कोई भी कांग्रेसी संसद भवन की दहलीज को लांघकर सदन के अंदर नहीं पहुंच सका। कांग्रेस के वीरसेन चुनाव जीते और राजीव गांधी के मंत्रिमंडल में पहली बार शामिल हुए। इस क्षेत्र को तब केंद्रीय मंत्रिपरिषद में पहली बार जगह मिली थी। साल-1984 के बाद पिछले लगभग 40 साल से कांग्रेस की यहां कभी वापसी नहीं हुई। जिले में कांग्रेस की हालत इतनी खराब है कि पार्टी को कोई दमदार चेहरा चुनाव लड़ने के लिए नहीं मिल पाता है। 

खुर्जा से गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट
वर्ष    विजेता        दल
1962    केएल वाल्मीकि    भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1967    रामचरण        प्रजा सोशलिस्ट पार्टी
1971    हरि सिंह        भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1977    मोहन लाल पिपिल    जनता पार्टी
1980    त्रिलोक चंद    जनता पार्टी (सेक्युलर)
1984    वीर सेन        भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1989    भगवान दास राठौड़    जनता दल
1991    रोशन लाल
1996    अशोक कुमार प्रधान    भारतीय जनता पार्टी
1998
1999
2004
2008 में निर्वाचन क्षेत्र समाप्त और गौतमबुद्ध नगर सीट का गठन 
2009    सुरेंद्र सिंह नागर    बहुजन समाज पार्टी
2014    डॉ. महेश शर्मा    भाजपा
2019    डॉ. महेश शर्मा    भाजपा

एक नजर में गौतमबुद्ध नगर सीट
गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट को गाजियाबाद (Gaziabad) और बुलन्दशहर (Bulandshehr) के कुछ भागों को मिलाकर बनाया गया है। यह सीट साल-2008 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई। साल-2009 में यहां पहली बार लोकसभा चुनाव हुए, इनमें बहुजन समाज पार्टी (BSP-Bhujan Samaj Party) ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की। उस दौरान बसपा के सुरेंद्र सिंह नागर (Surender Singh Nagar) ने वर्तमान भाजपा (BJP) सांसद डॉ. महेश शर्मा (Dr. Mahesh Sharma) को हराया था। इस क्षेत्र में कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें नोएडा, जेवर, सिकंदराबाद, दादरी और खुर्जा शामिल है। साल-2017 के विधानसभा चुनाव में ये सभी पांच सीटें भाजपा के खाते में गई थीं। गौतमबुद्ध नगर (Gautam Budh Nagar) में साल-2014 में वोटरों की संख्या 19 लाख से अधिक थीं। इनमें 11 लाख पुरुष और 8 लाख महिला वोटर रहीं। वर्ष-2014 में समाजवादी पार्टी (सपा) (Samajwadi Party) के उम्मीदवार नरेंद्र भाटी (Narender Bhati) और बसपा के सतीश कुमार ने मिलकर करीब पांच लाख वोट हासिल किए थे।

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