ढाई लाख होम बायर्स को राहत देने के लिए मंथन, 13 हजार करोड़ के बकाया पर यह पेंच!

नोएडा, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी और बिल्डरों के बीच बैठक : ढाई लाख होम बायर्स को राहत देने के लिए मंथन, 13 हजार करोड़ के बकाया पर यह पेंच!

ढाई लाख होम बायर्स को राहत देने के लिए मंथन, 13 हजार करोड़ के बकाया पर यह पेंच!

Tricity Today | Symbolic

Noida News : अमिताभकांत समिति की सिफ़ारिशों के आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार ने बिल्डरों को रियायत देने का फ़ैसला किया है। राज्य सरकार के फ़ैसले को लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। शनिवार को नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अटकी आवासीय परियोजनाओं के करीब ढाई लाख फ़्लैट खरीदारों को राहत देने को लेकर बैठक रखी गई। इस सिलसिले में शनिवार को नोएडा की 57 परियोजनाओं के बिल्डरों को ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी बुलाया गया। कुछ को छोड़कर सभी बिल्डर या उनके प्रतिनिधि पहुंचे। वहां एक बड़ी बैठक हुई है। इसमें बिल्डरों को बकाये की जानकारी दी गई। साथ ही बकाया चुकाकर रजिस्ट्री का काम शुरू करने को कहा गया। बिल्डरों को कई मामले में राहत देने पर भी बैठक में विचार किया गया है। मिली जानकारी के मुताबिक़ ज़्यादातर मसलों पर सहमति बन गई है, लेकिन प्राधिकरण के बकाया 13 हज़ार करोड़ रुपये चुकाने के लिए बिल्डरों की ओर से दिए गए प्लान से अफ़सर सहमत नहीं हैं।

बैठक में क्या रहा?
नोएडा में एनसीएलटी और कोर्ट मामलों को हटा दिया जाए तो कुल 7,800 करोड़ रुपये बकाया हैं। इसी तरह ग्रेटर नोएडा में कुल 96 प्रोजेक्ट पर 5,500 करोड़ रुपये का बकाया है। बैठक में 80 प्रतिशत बिल्डरों के बकाये की गणना सही पाई गई। 20 प्रतिशत बिल्डरों ने गणना को लेकर आपत्ति की है। उनके इस बाबत कुछ तर्क थे, जिस पर सीईओ ने प्राधिकरण के अन्य अधिकारियों के साथ बैठकर सुलझाने को कहा है। अथॉरिटी के अधिकारियों का कहना है कि कुछ बिल्डरों ने दावा किया है कि कोविड काल के दौरान पैसे जमा कराए थे। इसकी जानकारी प्राधिकरण को नहीं है। वह अपने कागजात लेकर आएं ताकि बकाये की राशि से जमा राशि को समायोजित किया जाए और नई गणना कराई जा सके। नोएडा प्राधिकरण के चेयरमैन और औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह के सामने बिल्डरों को एक बार फिर बुलाया गया है।

बिल्डरों को औसतन 21 प्रतिशत की छूट
नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों ने बताया कि कोविड काल के दो साल के ब्याज को शून्य कर दिया गया है। बिल्डरों को कुल बकाया में से औसतन 21 प्रतिशत की छूट मिल रही है। इसके अलावा जिन बिल्डरों को एनजीटी काल की छूट मिल रही है, उनके बकाये में 40 प्रतिशत तक की छूट मिल रही है। कुछ बिल्डरों ने कोविड काल के दौरान भी पैसे जमा कराए हैं, उनके पैसे समायोजित करने पर छूट की राशि बढ़ रही है।

नोएडा के 20 बिल्डरों को छूट
एक आंकड़े के मुताबिक, करीब 20 बिल्डर ऐसे हैं, जिनको कोविड और एनजीटी काल से जुड़ी छूट का लाभ मिल रहा है। वहीं, कुछ बिल्डरों का कहना है कि गणना में तकनीकी पेच आ रहा है। प्राधिकरण ने सबसे पहले 2020 से 2022 तक के लिए छूट की गणना की है। इसके बाद एनजीटी काल से पहले वर्षों 2013 से 2015 की गणना की है। पहले एनजीटी काल की गणना की जाती तो उनका प्रिंसिपल अमाउंट घट जाता। इसके बाद 2020 से 2022 के दौरान की गणना में राशि कम आती। इस वजह से राशि अब भी उम्मीद से अधिक है।

अमिताभ कांत समिति की सिफारिशें मंजूर
नोएडा समेत पूरे दिल्ली-एनसीआर और देशभर में रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स की समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत की अध्यक्षता में एक समिति का गठन 31 मार्च 2023 को किया गया था। समिति में उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा के टॉप ब्यूरोक्रेट्स शामिल थे। इस कमेटी को दिल्ली-एनसीआर में अटके प्रोजेक्ट्स को पूरा करने का रास्ता बताने का जिम्मा दिया गया था। इस कमेटी ने बिल्डर्स से लेकर बायर्स तक की समस्याओं और हर पहलुओं का बारीकी से अध्ययन किया। इसके बाद 24 जुलाई 2023 को अपनी रिपोर्ट सबमिट की। सरकार ने उस रिपोर्ट को गौतमबुद्ध नगर के तीनों विकास प्राधिकरणों को भेजा था। अधिकारियों के मुताबिक, सरकार ने समिति की करीब आधी सिफारिशों को कुछ बदलाव के साथ लागू करने का निर्णय लिया है।

कमेटी की जरूरत क्यों पड़ी 
नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी क्षेत्र में आने वाले दर्जनों बिल्डर्स के तमाम प्रोजेक्ट सालों से अटके पड़े हैं। किसी के पास फंड की कमी है तो किसी का प्राधिकरण पर बकाया है। इसके अलावा कई बिल्डर आपराधिक मुकदमों का सामना कर रहे हैं। कुछ प्रोजेक्ट कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फंसे हैं।

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