Noida News: गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद के लाखों लोगों को अगले एक महीने पानी की किल्लत से भी दो-चार होना होगा। लगभग दीपावली तक दोनों जिलों में जल संकट झेलना होगा। ऊपरी गंग नहर की सफाई के चलते नोएडा में 17 अक्टूबर से गंगाजल की आपूर्ति बंद कर दी जाएगी। ऐसे में शहरवासियों को पानी की परेशानी का सामना करना पड़ेगा। सबसे ज्यादा मुश्किल 400 हाई राइज बिल्डिंग के लाखों निवासियों को होगी। प्रेशर कम होने से वहां सप्लाई का पानी पहुंचने में परेशानी हो सकती है।
दरअसल 15 अक्टूबर को हरिद्वार से ऊपरी गंग नहर को बंद कर इसकी सफाई का कार्य शुरू होगा। पांच नवंबर को फिर से गंगनहर में जल छोड़ा जाएगा। यहां पानी 8 नवंबर तक प्लांट तक पहुंचेगा। उसके बाद ही शहर में पानी की सप्लाई शुरू हो सकेगी। गंगनहर बंद होने के बाद दो दिन तक यानी 17 और 18 तक प्रताप विहार प्लांट से रिजर्व पानी की सप्लाई की जाएगी। इसके बाद नोएडा को गंगाजल मिलना बंद हो जाएगा।
रैनीवेल से 340 एमएलडी भूजल उपलब्ध कराएगा
शहर में 406 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) पानी की आपूर्ति की जाती है। इसमें 240 एमएलडी गंगाजल शामिल है। जबकि 160 एमएलडी सामान्य पानी है। गंगाजल दो लाइन के जरिये गाजियाबाद से नोएडा में आ रहा है। गंगाजल की सप्लाई बंद होने के दौरान नोएडा प्राधिकरण ट्यूबवेल और रैनीवेल से 340 एमएलडी भूजल उपलब्ध कराएगा। शहर में 11 रैनीवेल व 410 ट्यूबवेल हैं। पानी की आपूर्ति सुचारु रूप से हो, इसके लिए 40 नए नलकूपों को नए बोर के साथ शुरू करने की कवायद की जा रही है।
तीसरे चरण में चल रहा काम
गंगा जल के तीसरे चरण का काम दिसंबर-2021 पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। तृतीय चरण में 37.50 क्यूसेक गंगाजल (90 एमएलडी) परियोजना पर कार्य किया जा रहा है। परियोजना से नोएडा को कुल 330 एमएलडी गंगाजल की सप्लाई हो जाएगी। प्राधिकरण व उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद संयुक्त तौर पर इसके लिए प्रयास कर रहे हैं। योजना को मूर्तरूप देने का काम जल निगम कर रहा है। प्लान 50 क्यूसेक गंगाजल का है। इसमें से नोएडा को 75 फीसद (37.50 क्यूसेक) गंगाजल मिलेगा। शेष 25 फीसदी (22.5 क्यूसेक) गंगाजल की सप्लाई यूपीएवीपी को की जाएगी।
शुद्ध नहीं है जल
सेक्टर-77 के एक निवासी ने कहा, “ऊपरी गंग नहर की वार्षिक सफाई से एक महीने के लिए गंगा जल की सप्लाई बंद हो जाएगी। इस अवधि के दौरान प्राधिकरण ने नोएडा में भूजल की आपूर्ति करने की योजना बनाई है। जबकि इसका टीडीएस स्तर लगभग 1,500 है। यह न तो पीने के लिए उपयुक्त है और न ही धोने या नहाने के लिए। प्राधिकरण को इस भूजल के शोधन के लिए पहले व्यवस्था करनी चाहिए थी। हम हर साल इस मुद्दे को उठाते हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
नहीं मिली कंपनी
सेक्टर-77 में स्थित प्रतीक विस्टीरिया के आरडब्ल्यूए अध्यक्ष अमित गुप्ता ने कहा, प्राधिकरण ने लगभग सात महीने पहले भूजल शोधन के लिए एक टेंडर जारी किया था। लेकिन इसे अब तक कंपनी का चयन नहीं हो सका है। उन्होंने कहा, “हम नोएडा प्राधिकरण की सीईओ से अनुरोध करते हैं कि भूजल का शोधन प्राथमिकता के आधार पर करवाएं।” इस बीच, प्राधिकरण ने सोमवार को नोएडा में जल सुरक्षा योजनाओं के साथ रेनी कुओं और ट्यूबवेल के कुशल संचालन के लिए 2.21 करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया है।