पार्किंग टेंडर को लेकर हुई गड़बड़ी, ट्रैफिक सेल पर गंभीर आरोप, प्राधिकरण में अब तक हुआ करोड़ों का नुकसान

बड़ी खबर : पार्किंग टेंडर को लेकर हुई गड़बड़ी, ट्रैफिक सेल पर गंभीर आरोप, प्राधिकरण में अब तक हुआ करोड़ों का नुकसान

 पार्किंग टेंडर को लेकर हुई गड़बड़ी, ट्रैफिक सेल पर गंभीर आरोप, प्राधिकरण में अब तक हुआ करोड़ों का नुकसान

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Noida News : सरफेस पार्किंग टेंडर को लेकर एक बार फिर गड़बड़ी सामने आई है। चहेतों को टेंडर दिलाने के लिए नोएडा ट्रैफिक सेल के अधिकारियों ने गड़बड़ी की है। दो कंपनियों को टेंडर प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया, जबकि कंपनियों ने नियमों से संबंधित सभी औपरचारिकताएं पूरी की थीं। सीईओ ने एसीईओ को जांच के आदेश दिए हैं। टेंडर नहीं होने के कारण करीब 8 महीने से शहर में मुफ्त पार्किंग चल रही है।

ट्रैफिक सेल के अधिकारियों की लापरवाही सामने आई
नोएडा प्राधिकरण के ट्रैफिक सेल का आरोपों से नाता टूटने का नाम नहीं ले रहा है। ट्रैफिक सेल के अधिकारियों ने इस बार कंपनियों को टेंडर प्रक्रिया से बाहर निकालने का आधार चरित्र प्रमाण पत्र का सही ढंग से ड्राफ्ट नहीं होना बताया है। कंपनी के अधिकारियों ने मामले की शिकायत नोएडा प्राधिकरण के आला अधिकारियों से की है। सीईओ के निर्देश पर एसीईओ ने मामले की जांच शुरू कर दी है। अभी तक एसीईओ की प्राथमिक जांच में भी नोएडा ट्रैफिक सेल के अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है। सीईओ ने अलग-अलग स्तर पर लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर जिम्मेदारी तय करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। अधिकारिक सूत्रों की मानें तो सरफेस पार्किंग के संबंधित टेंडर से अगर दोनों कंपनी बाहर न की जाती तो उनकी दावेदारी मजबूत थी। दोनों कंपनियों को बाहर करने के बाद टेंडर में नई कंपनी फाइनल भी कर दी गईं। 

चरित्र प्रमाणपत्र में गड़बड़ी का आरोप 
जानकारी के मुताबिक कंपनियों को बाहर करने का आधार तैयार करने के लिए ट्रैफिक सेल की तरफ से विधि विभाग से जानकारी मांगी गई थी। इसमें विधि विभाग से टिप्पणी आई कि कि जब चरित्र प्रमाणपत्र का कोई ड्रॉफ्ट तय नहीं है तो प्राधिकरण मान भी सकता है और नहीं भी। नियम के मुताबिक ऐसी स्थिति में दोबारा टेंडर कराया जान चाहिए था। एक क्लस्टर में दोबारा से टेंडर कराया गया, लेकिन दो क्लस्टर में सीधे कंपनी को टेंडर प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया। ऐसे में इस मामले में ट्रैफिक सेल के निचले से लेकर मुख्य तक जांच के दायरे में हैं। गौरतलब है कि इससे पहले इसी साल फरवरी महीने में भी ट्रैफिक सेल पर कुछ कंपनियों को टेंडर दिलाने के लिए शर्तों में बदलाव करने का आरोप लगा था। इसके अलावा भी कुछ शिकायतें मिली।

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