Noida News : नोएडा की जिस D-5 कोठी में ये कांड हुआ था, उसके मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर को जेल से रिहा कर दिया गया है। इस फैसले से पीड़ित परिवार को बड़ा झटका लगा है। सजा पर रोक लगाए जाने से मरने वाली बच्चियों के पीड़ित परिवार काफी गुस्से में हैं। अब एक बार फिर नोएडा का निठारी कांड चर्चाओं में आ गया है। एनपी सिंह के नेतृत्व में डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (डीडीआरडब्लूए) के प्रतिनिधि ने निठारी पहुंचकर पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने का भरोसा दिया है। निठारी कांड का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में चलेगा। ऐसे में पीड़ितों की एक बार फिर उम्मीद की किरणें नजर आने लगी हैं। दूसरी तरफ निठारी कांड में बरी होने वाला मोनिंदर सिंह पंढेर जेल से रिहा होने के बाद चंडीगढ़ अपने निवास पर पहुंच चुका है।
एक नजर में निठारी कांड
7 मई 2006 को निठारी की एक युवती को पंढेर ने नौकरी दिलाने के बहाने बुलाया था। इसके बाद युवती वापस घर नहीं लौटी। युवती के पिता ने नोएडा के सेक्टर-20 थाने में गुमशुदगी का केस दर्ज कराया था। इसके बाद 29 दिसंबर 2006 को निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे नाले में पुलिस को 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे। पुलिस ने मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया था। बाद में निठारी कांड से संबंधित सभी मामले सीबीआई को स्थानांतरित कर दिए गए थे। वर्तमान में निठारी कांड मामले की शिकार महिलाओं, बच्चों और बच्चियों के ज्यादातर परिजन नोएडा छोड़कर अपने-अपने पैतृक गांव वापस जा चुके हैं। केवल चार लोग ही अब नोएडा में रह रहे हैं।
दशहरे में ही दिवाली मनाने की तैयारी
गौरतलब है कि जून 2023 में मोनिंदर सिंह पंढेर को गाजियाबाद की डासना जेल से गौतमबुद्ध नगर की लुक्सर जेल में शिफ्ट किया गया था। जुलाई के महीने में उसका बेटा उससे मिलने आया था। उसके बाद से उससे परिवार को काई भी सदस्य मिलने नहीं आया। लेकिन, अब उसकी रिहाई से परिवार में दशहरे में ही दिवाली मनाने की तैयारी की जा रही है।
कब क्या हुआ 29 दिसंबर, 2006 : नोएडा में मोनिंदर सिंह पंधेर के घर के पीछे नाले से 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले। मोनिंदर सिंह पंधेर और सुरेंद्र कोली गिरफ्तार। 8 फरवरी, 2007 : पंधेर व कोली को 14 दिन की सीबीआई हिरासत में भेजा गया।
मई 2007 : सीबीआई ने पंधेर को चार्जशीट में अपहरण, दुष्कर्म और हत्या में आरोपमुक्त कर दिया था। दो माह बाद कोर्ट की फटकार पर उसे सह अभियुक्त बनाया। 13 फरवरी, 2009 : विशेष अदालत ने पंधेर और कोली को 15 वर्षीय किशोरी के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई। यह पहला फैसला था। 3 सितंबर 2014 : कोली के खिलाफ कोर्ट ने मौत का वारंट जारी किया। 4 सितंबर 2014 : कोली को डासना जेल से मेरठ जेल फांसी के लिए ट्रांसफर किया गया। 12 सितंबर 2014 : पहले सुरेंद्र कोली को फांसी दी जानी थी। वकीलों के समूह डेथ पेनाल्टी लिटिगेशन ग्रुप्स ने कोली को मृत्युदंड दिए जाने पर पुनर्विचार याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजा। 12 सितंबर 2014 : सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा पर 29 अक्टूबर 2014 तक रोक लगाई। 28 अक्टूबर 2014 : सुरेंद्र कोली की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका खारिज की। वर्ष 2014 : राष्ट्रपति ने भी दया याचिका रद्द कर दी। 28 जनवरी, 2015 : हत्या मामले में कोली की फांसी की सजा को हाईकोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील कर दिया।