उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी शनिवार को नोएडा में। इस दौरान नोएडा सेक्टर-6 इंदिरा गांधी कला केंद्र में मुख्य सचिव ने जनपद के फ्लैट ओनर्स की समस्याओं को सुना। चीफ सेक्रेटरी के साथ मुलाकात करने वाले प्रतिनिधिमंडल में एसोसिएशन के सभी सदस्य शामिल हुए। फ्लैट बॉयर्स एसोसिएशन नेफोमा का प्रतिनिधित्व महासचिव रश्मि पांडेय और उपाध्यक्ष महावीर ठुस्सू ने मुख्य सचिव के सामने सात सूत्रीय मांग रखी हैं। चीफ सेक्रेटरी ने फ्लैट बॉयर्स को समस्याओं का समाधान तलाशने का आश्वासन दिया है।
फ्लैट बॉयर्स की प्रमुख मांगे इस प्रकार हैं
नोएडा, ग्रेटर नोएडा वेस्ट और ग्रेटर नोएडा में पिछले 10 वर्षों से दर्जनों बिल्डर प्रोजेक्ट में हजारों फ्लैट बॉयर्स फंसे हुए हैं। इन परिवारों को अब तक फ्लैट नहीं मिले हैं। बिल्डर आधे-अधूरे फ्लैट बनाकर गायब हैं। फ्लैट बायर्स दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।
बिल्डर विकास प्राधिकरण से ली जमीन का भुगतान नहीं कर रहे हैं। फ्लैट बायर्स की रजिस्ट्री क्यों रुकी है, बॉयर्स की क्या गलती है। अधिकतर बिल्डर प्रोजेक्ट में बायर्स की रजिस्ट्री नहीं की जा रही है। जिससे फ्लैट बायर्स काफी आहत हैं। बिल्डरों पर सरकार को दबाव बनाना चाहिए।
रजिस्ट्री ऑफिस दादरी की बजाय पुनः ग्रेटर नोएडा में किया जाए। क्योंकि दादरी बिल्कुल ही एकांत में पड़ता है। हजारों फ्लैट निवासियों को रजिस्ट्री करवाने जाते समय बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ता है। दूसरे प्रदेशों से भी फ्लैट खरीदार आते हैं। उन्हें दादरी आने में परेशानी हो रही है। ग्रेटर नोएडा में रजिस्ट्री होने से ऐसे फ्लैट बायर्स एक ही दिन में रजिस्ट्री करवाकर वापस चले जाते हैं। जबकि, दादरी में रजिस्ट्री होने से बहुत समय लगता है और पैसे ले जाते वक़्त डर लगता है।
रेरा रियल एस्टेट कानून में फ्लैट बॉयर्स की हजारों पेमेंट रिकवरी पेंडिंग हैं। जिसकी बिल्डरों से रिकवरी नहीं होती है। ना ही इस संदर्भ में कोई ठोस कदम बिल्डरों पर उत्तर प्रदेश रेरा व सरकार उठाती है।
बिल्डर फर्जी सुपर एरिया पर रजिस्ट्री करवा रहे हैं। जबकि सुपर एरिया तो कोई एरिया होता ही नहीं है। अथॉरिटी सुपर एरिया प्रमाणित नहीं करती है। अगर अथॉरिटी कवर्ड एरिया को सर्टिफाई कर दे तो 25 प्रतिशत ज़्यादा स्टाम्प ड्यूटी नहीं देनी पड़ेगी। एक बायर के कम से कम 50 हजार से एक लाख रुपये बच सकते हैं।
बिल्डर्स 5-5 साल तक अपार्टमेंट्स ऑनर्स एसोसिएशन को प्रीपेड सहित कॉमन एरिया का रखरखाव हैंडओवर नहीं करते हैं। बिल्डर्स एओए को अपार्टमेंट एक्ट के मुताबिक करोड़ों का आईएफएमएस नहीं देते तो सोसाइटी कैसे चलेंगी।