Noida News : केंद्र की नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़ा फ़ैसला लिया है। दो नए शहर बसाने की योजना पर काम शुरू हो हुआ गया है। इन शहरों के नाम न्यू नोएडा और न्यू ग्रेटर नोएडा होंगे। इन दोनों शहरों के जरिए चार जिलों के 237 गांवों की तस्वीर बदल जाएगी। दोनों शहरों को बसाने के लिए नोएडा और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण 31 मार्च 2024 तक 2,000 करोड़ रुपये खर्च करेंगे। उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। अब जरूरी कानूनी औपचारिकताएं तेजी से पूरी की जा रही हैं।
तेज़ी से काम कर रहे प्राधिकरण, बन रहे हैं दोनों शहरों के मास्टरप्लान
नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी अगले 3 महीनों में न्यू नोएडा और न्यू ग्रेटर नोएडा को बसाने की दिशा में काम शुरू कर देंगी। 31 जुलाई तक दोनों नए शहरों के मास्टरप्लान को फाइनल किया जाएगा। इसके बाद दोनों नए शहरों की नींव रखने के लिए अथॉरिटी कुछ जमीन खरीदेंगी। इसके बाद आगे का फाइनेंशियल मॉडल तय होगा। दोनों अथॉरिटी के प्लानिंग विभाग तेजी से काम कर रहे हैं। दोनों अथॉरिटी की सीईओ रितु माहेश्वरी हैं। सीईओ ने कहा कि अगले 3 महीने का लक्ष्य तय कर लिया गया है। न्यू नोएडा का मास्टरप्लान दिल्ली स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर तैयार कर रहा है। फाइनल रिपोर्ट आनी बाकी है। कई दौर के प्रेजेंटेशन दिए जा चुके हैं। मास्टरप्लान में अंतिम रूप से कुछ बदलाव करने के लिए कहा गया था। उन पर स्कूल की टीम काम कर रही है। वहीं, न्यू ग्रेटर नोएडा के लिए 28 हजार हेक्टेयर जमीन पर मास्टर प्लान फाइनल करवाया जा चुका है। यह ग्रेटर नोएडा शहर के मास्टरप्लान 2041 का हिस्सा है।
दोनों नए शहरों का नोटिफिकेशन उत्तर प्रदेश सरकार से जारी हो चुका है। अब इन दोनों इलाक़ों में अतिक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। भूमाफिया और कॉलोनाइजर सक्रिय हैं। बड़े पैमाने पर जमीन खरीदकर अवैध प्रोजेक्ट लाँच किए जा रहे हैं। सीईओ ने यह भी बताया कि दोनों ही जगहों के लिए अथॉरिटी के अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
अब नोएडा और ग्रेटर नोएडा शहरों में नहीं बची जमीन
तेजी से औद्योगिक विकास और बसावट के चलते नोएडा और ग्रेटर नोएडा शहरों में खाली जमीन का संकट आ गया है। ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के पास क़रीब दो दशक के लिए जमीन बची है, लेकिन नोएडा में जमीन खत्म हो चुकी है। आने वाले पांच साल बाद नोएडा अथॉरिटी के पास लैंड बैंक जीरो हो जाएगा। लिहाजा, दोनों अथॉरिटी को आगे कामकाज के लिए नए शहरों का विकास शुरू करना है। नए शहरों में जमीन की कीमतें भी नोएडा और ग्रेटर नोएडा से कम होंगी। औद्योगिक निवेश हासिल करना आसान होगा। अभी उद्योगों की स्थापना में लागत का बड़ा हिस्सा ज़मीन पर खर्च होता है। जिसके चलते माध्यम और छोटे उद्योग नोएडा व ग्रेटर नोएडा में लगाना मुश्किल है।
न्यू नोएडा इस इलाके में बसेगा
दादरी से लेकर खुर्जा के बीच 87 गांवों की जमीन पर दादरी-नोएडा- गाजियाबाद इनवेस्टमेंट रीजन (डीएनजीआईआर) बसाया जाना है। इसे न्यू नोएडा का नाम दिया गया है। यह दिल्ली-मुंबई और अमृतसर-कोलकाता रेलवे फ्रेट कॉरिडोर का हिस्सा है। न्यू नोएडा में ही यह दोनों रेल कॉरिडोर आपस में जुड़ेंगे। इस इनवेस्टमेंट रीजन को बसाने की जिम्मेदारी शासन ने नोएडा अथॉरिटी को दी है। अथॉरिटी ने यहां का मास्टर प्लान तैयार करने के लिए स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर दिल्ली का चयन किया है। स्कूल मास्टर प्लान-2041 का ड्रॉफ्ट तैयार कर रहा है। यह शहर पूरी तरह औद्योगिक गतिविधियों का केंद्र होगा। न्यू नोएडा गौतमबुद्ध नगर की दादरी तहसील के 27 और बुलंदशहर जिले की सिकंदराबाद तहसील के 60 गांवों की जमीन पर बसाया जाएगा।
न्यू ग्रेटर नोएडा इस इलाके में बसेगा
यह ग्रेटर नोएडा के फेज-2 की प्लानिंग है। ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी अपने स्तर पर इसकी प्लानिंग कर रही है। अथॉरिटी से मिली जानकारी के मुताबिक ग्रेटर नोएडा फेज-2 के लिए एक निजी एजेंसी आरईपीएल को चुना गया है। कंपनी मास्टर प्लान का ड्रॉफ्ट तैयार कर रही है। इसमें गौतमबुद्ध नगर की दादरी तहसील के अलावा हापुड़ जिले की धौलाना और गाजियाबाद जिले की सदर तहसील के कुल 150 गांव शामिल किए गए हैं। यह एरिया लगभग 28 हजार हेक्टेयर है। इस इलाके की ओर विकास योजना नहीं बढ़ने की वजह खराब कनेक्टिविटी रही है। ग्रेटर नोएडा शहर और इस इलाक़े के बीच दिल्ली-हावड़ा रेल लाइन और नेशनल हाईवे-91 हैं। इन्हें पार करने के लिए ओवरब्रिज और अंडरपास नहीं थे। अब यह परेशानी ख़त्म हो चुकी है।