60 स्टैंड बन कर हुए तैयार, अब सिर्फ ई-साइकिल पहुंचने में देरी

नोएडा : 60 स्टैंड बन कर हुए तैयार, अब सिर्फ ई-साइकिल पहुंचने में देरी

60 स्टैंड बन कर हुए तैयार, अब सिर्फ ई-साइकिल पहुंचने में देरी

Tricity Today | 60 स्टैंड बन कर हुए तैयार

गौतमबुद्ध नगर में निवासियों को ई-साइकिल (E-Cycle) की सवारी उपलब्ध कराना प्राधिकरण के लिए चुनौती बन गया है। नोएडा अथॉरिटी (Noida Development Authority) करीब दो साल से इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की कोशिश में है। अब तक प्राधिकरण ने योजना पूरा कराने के लिए 6 बार टेंडर जारी किया है। लेकिन किसी निजी एजेंसी ने इस प्रोजेक्ट में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई। इस दौरान प्राधिकरण ने स्वयं अपनी निगरानी में ई-साइकिल डॉकिंग स्टेशन (साइकिल स्टैंड) बनवाना शुरू किया। फिलहाल शहर में 60 स्थानों पर डॉकिंग स्टेशन बनकर तैयार हो चुके हैं। योजना को धरातल पर लाने के लिए कंसलटेंट एजेंसी ने प्रस्ताव तैयार कर नोएडा प्राधिकरण की सीईओ को भेजा है। जल्द ही इस प्रोजेक्ट का लाभ शहर के लोगों को मिलने की उम्मीद है।

नोएडा प्राधिकरण के ट्रैफिक सेल के अफसरों का कहना है कि, पूर्व निर्धारित योजना के मुताबिक शहर में ई-साइकिल के लिए 62 डॉकिंग स्टेशन प्रस्तावित हैं। इनमें से 60 को बनाने का काम पूरा हो चुका है। इस प्रोजेक्ट के तहत हर स्टैंड पर 10 ई-साइकिल उपलब्ध कराई जाएगी। हालांकि कंसलटेंट ने अपने प्रस्ताव में इसमें संशोध किया है। कंसलटेंट ने शुरुआती 4 से 8 महीने तक 5 साइकिल उपलब्ध कराने का सुझाव दिया है। इस पर प्राधिकरण की सीईओ ऋतु महेश्वरी (Ritu Maheshwari) को फैसला लेना है। 

हालांकि इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने वाली एजेंसी का भी ख्याल रखा जाएगा। इन निजी एजेंसियों को साइकिल और डॉकिंग स्टेशन पर विज्ञापन से 25 फीसदी आमदनी का अधिकार देने का भी सुझाव दिया गया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि शहर के लोगों को ई-साइकिल के प्रति प्रेरित करने की शुरुआत प्राधिकरण को अपने कर्मचारियों से करनी होगी। अथॉरिटी के कर्मचारियों को 50 प्रतिशत कम किराए में साइकिल उपलब्ध कराने का सुझाव दिया गया है। प्रोजेक्ट के तहत 100 स्क्वायर मीटर जगह साइकिल रिपेयरिंग के लिए भी उपलब्ध करानी पड़ेगी। इन सभी सुझावों का प्रस्ताव तैयार कर प्राधिकरण की सीईओ ऋतु महेश्वरी को भेजा गया है। वह इस पर आखिरी फैसला लेंगी।

कम फायदे की वजह से निजी कंपनियां नहीं आ रहीं
ई-साइकिल प्रोजेक्ट के अब तक पूरे नहीं होने की एक बड़ी वजह इसमें घाटे की आशंका है। वर्ष 2019 में योजना के लिए टेंडर जारी किया गया। छह महीने में पांच बार निविदाएं आमंत्रित की गई। लेकिन किसी एजेंसी ने ई-साइकिल योजना का हिस्सा बनने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। इस प्रोजेक्ट के तहत मोबिलिटी प्लान का हिस्सा बनने वाली कंपनी को 62 डॉकिंग स्टेशनों पर 620 ई-साइकिल उपलब्ध कराना होगा। इसमें करीब डेढ़ करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश होगा। हालांकि एजेंसी को हर स्टैंड पर 2 ईसीएस और दो कारों की पार्किंग के बराबर भूमि देकर उन्हें राहत देने की कोशिश की गई थी। हर स्टैंड से 1500 रुपये प्रतिमाह किराया वसूलने का प्रावधान योजना में प्रस्तावित था। फिर भी कंपनियों का मानना था कि उनकी लागत फंसने का खतरा है। इसके बाद से योजना की शर्तों में कई बार संशोधन किया जा चुका है। 

ये सुविधाएं मिलेंगी
  1. - ई-साइकिल की अधिकतम रफ्तार 25 किमी प्रति घंटा होगी। बैट्री निकालने के बाद इसका वजन 60 किलो से ज्यादा नहीं होगा।
  2. - उपभोक्ता एप के जरिए ई-साइकिल की सेवा ले सकेंगे। इसके लिए पहले लोगों को केवाईसी करानी होगी। इसके बाद डॉकिंग स्टेशन पर एप की मदद से साइकिल ऑन होगी।
  3. - उपभोक्ताओं को साइकिल को लॉक करने के बारे में ज्यादा नहीं सोचना होगा। डॉकिंग स्टेशन पर वापस आने के बाद साइकिल अपने आप लॉक हो जाएगी। 
  4. -ई-साइकिल सेवा पूरे हफ्ते सुबह 5 से रात 11 बजे तक मिलेगी।

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