70 साल के बुजुर्ग ने कोरोना को हराया, हालत गंभीर हुई तो विश्वास बना सबसे बड़ा हथियार, खुद सुनाई दिलचस्प कहानी

NOIDA : 70 साल के बुजुर्ग ने कोरोना को हराया, हालत गंभीर हुई तो विश्वास बना सबसे बड़ा हथियार, खुद सुनाई दिलचस्प कहानी

70 साल के बुजुर्ग ने कोरोना को हराया, हालत गंभीर हुई तो विश्वास बना सबसे बड़ा हथियार, खुद सुनाई दिलचस्प कहानी

Tricity Today | 70 साल के बुजुर्ग ने कोरोना को हराया

नोएडा में रहने वाले 70 साल के एक बुजुर्ग व्यक्ति ने कोरोना को हराया है। 70 साल के रिटायर्ड प्रिंसिपल ने 17 दिनों तक आईसीयू और 10 दिन तक वेंटिलेटर पर रहकर न केवल कोरोना से जूझते रहे, बल्कि जिंदगी और मौत के बीच लड़ते रहे थे। डाॅक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ की मेहनत से रिटायर्ड प्रिंसिपल ने कोरोना को हरा दिया है। जिसके बाद डाॅक्टरों ने उनकी हिम्मत को सलाम किया है।

बेटे से मिलने आया था, कोरोना हो गया
दरअसल, बिहार के रहने वाले रिटायर्ड प्रिंसिपल रविंद्र नाथ सिंह बिहार के रहने वाले है। रविंद्र नाथ बीते 8 अप्रैल को अपने बेटा और बेटी से मिलने के लिए नोएडा आए थे। यहां आने के बाद उनको बुखार हो गया थे। धीरे-धीरे परिवार के सभी सदस्य  13 अप्रैल तक बुखार से पीडित हो गए। उसके बाद पूरे परिवार ने 14 अप्रैल को अपना आरटीपीआर टेस्ट करवाया था। जिसमें रविंद्र नाथ सिंह और उनके बेटे विनीत कुमार में कोरोना पाॅजिटिव पाया गया। हालांकि विनीत और उनकी पत्नी कोरोना निगेटिव मिली। लेकिन इन दोनों में भी कोरोना के लक्षण थे। 

ऑक्सीजन लेवल गिरा, लेकिन विश्वास नहीं
विनीत कुमार ने बताया कि उनके पिता रविंद्र नाथ सिंह में आॅक्सीजन लेवल की कमी होने लगी। जिसके बाद उनको 17 अप्रैल को नोएडा के एक निजी अस्पताल में लेकर गए। जहां पर उनका सीटी स्कैन किया तो पता चला कि स्कोर 18 था। ऐसे में उन्हें किसी और अस्पताल में ले जाने को कहा गया। 19 अप्रैल को ऑक्सीजन लेवल 80 होने पर उन्हें ग्रेटर नोएडा के शारदा अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां पर उन्हें एचडीयू में रखा गया। हालात गंभीर होने पर आईसीयू में रेफर किया गया। 28 अप्रैल को उनकी हालत काफी बिगड गई। 1 मई को उनका आरटीपीआर निगेटिव आया। इसके बाद भी तकलीफ बनी हुई थी। वह 18 मई की सुबह 10 तक आईसीयू में रहे। इसके बाद उन्हें सामान्य वाॅर्ड में रख दिया गया। 

रविंद्र नाथ सिंह ने कहा- कोरोना तो ठीक होना ही था 
इस बारे में बात करने पर खुद रविंद्र नाथ सिंह ने बताया कि कोरोना तो ठीक होना ही था। मुझे इस बात की चिंता नहीं थी। मैं हमेशा पाॅजिटिव रहा, कभी निराश नहीं हुआ। हां सांस लेने में तकलीफ थी। यहां के डाॅक्टरों ने बेटे की तरह सेवा की है। वाॅर्ड में तैनात अन्य कर्मचारी भी हमेशा सेवा में लगे रहे। उन्हीं का परिणाम है कि आज मैं बिल्कुल स्वस्थ हूं। 

युवाओं से ही बड़ी अपील
उन्होंने युवाओं को यह संदेश दिया कि कोरोना से घबराना नहीं है, बल्कि डटकर मुकाबला करना है। जब मैं बुजुर्ग होकर स्वस्थ हो सकता हूं तो जवान, बच्चे तो और भी जल्दी स्वस्थ होंगे। उनके बेटे विनीत कुमार ने बताया कि डीएम की मदद से उन्हें अस्पताल में बेड मिला। जब एक रात अस्पताल से फोन आया कि आप तुरंत आ जाओ तो मन बहुत घबराने लगा। लगा पिता जी नहीं बचेंगे, लेकिन डाॅक्टरों की मेहनत और भगवान की कपा से वह अब पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं। 

इस बारे में शारदा अस्पताल के सीनियर डाॅक्टर डाॅए के गडपाइले ने बताया कि कोरोना होने के बाद उनको निमोनिया हो गया। फिर सांस कमजोर पडने लगीय इसके बाद उनकी सांस की नली काटकर आर्टिफिशल नली (टैकियोटाॅमी) लगाकर उन्हें 10 दिन तक वेंटिलेटर पर रखा। वहां से सुधार होने के बाद उनको जनरल वाॅर्ड में शिफट किया। इसके बाद आर्टिफिशल नली हटाकर नेचुरल नली से ही सांस ले रहे हैं। अगर आदमी हिम्मत न छोड़े तो इस बीमारी को आसानी से हराया जा सकता है।

 

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