नोएडा के सेक्टर-95 में बनाया गया है दलित प्रेरणा स्थल
82.5 एकड़ में फैला हुआ है यह स्थल
निर्माण के 721 दिन बाद लोकार्पण कर आम लोगों के लिए खोला गया था
बहुजन समाज पार्टी की सरकार के दौरान नोएडा और लखनऊ में स्मारक बनाने में करीब 1400 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था। अब सरकार ने घोटाले के आरोपियों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। इसकी चपेट में नोएडा प्राधिकरण के कई पूर्व अफसर और बाबू आने वाले हैं। इन सभी पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। राजधानी लखनऊ में घोटाले से जुड़े चार पूर्व अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
बड़ी धांधली सामने आई थी
शासन के ऑडिट रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा था। इसमें कहा गया था कि नोएडा के सेक्टर-95 में बने राष्ट्रीय दलित पार्क के प्रोजेक्ट के लिए कागजों में 84 करोड़ रुपये का एमओयू हुआ था। जबकि इसे बनाने में 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत आई थी। कहा गया कि इन स्मारकों में लगे पत्थरों की कीमत, उनकी ढुलाई समेत दूसरे कामों में बड़े स्तर पर सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया।
8 साल बाद हुई है कार्रवाई
नोएडा दलित पार्क और राजधानी लखनऊ के स्मारक पार्क निर्माण में हुए घोटाले की जांच लोकायुक्त ने थी। साल 2013 में इसकी रिपोर्ट भी शासन को सौंप दी थी। अब 8 साल बाद इसमें पहली कार्रवाई हुई है। उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान, लखनऊ ने घोटाले में शामिल उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम के चार पूर्व अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। स्कैम से जुड़े अन्य आरोपियों पर भी कार्रवाई तेज की गई है।
प्राधिकरण के अफसरों की संलिप्तता के आरोप
नोएडा में बने दलित पार्क की जिम्मेदारी भी यूपी राजकीय निर्माण निगम को सौंपी गई थी। हालांकि राष्ट्रीय दलित पार्क के निर्माण के वक्त के ज्यादातर अफसर अब नोएडा प्राधिकरण का हिस्सा नहीं हैं। उनमें से कई रिटॉयर हो गए हैं। कुछ का तबादला हो गया है। जानकारों का कहना है कि दलित स्मारक स्थल के निर्माण के वक्त प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ और अन्य वरिष्ठ अधिकारी रात में यहां कार्यों का जायजा लेने पहुंचते थे। इस स्मारक को बने 9 साल बीत चुके हैं, लेकिन नोएडा प्राधिकरण के पास इसके कामकाज का कोई बाउचर या बिल मौजूद नहीं है।
लिखित रिकॉर्ड नहीं है मौजूद
नोएडा प्राधिकरण के पास इसका भी कोई लिखित दस्तावेज नहीं है कि, करीब 1000 करोड़ रुपये किसके आदेश पर खर्च किए गए। जबकि इतनी रकम की लागत का जिक्र एमओयू के दौरान नहीं किया गया था। मगर अथॉरिटी के अफसर एमओयू में तय रकम से ज्यादा यूपी राजकीय निर्माण विभाग के हवाले करते रहे। स्मारक में लगाए गए पत्थरों को पहले चुनार (मिर्जापुर) से राजस्थान से बयाना लाया गया। वहां से उन्हें नोएडा लाया गया। इन सबमें अतिरिक्त रकम खर्च हुई।