सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण में प्राधिकरण पर धांधली का आरोप, जानिए पूरा मामला

नोएडा : सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण में प्राधिकरण पर धांधली का आरोप, जानिए पूरा मामला

सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण में प्राधिकरण पर धांधली का आरोप, जानिए पूरा मामला

Tricity Today | सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण में प्राधिकरण पर धांधली का आरोप

  • - पर्थला गोल चक्कर के पास बना रहा प्राधिकरण को यह ड्रीम प्रोजेक्ट
Noida News : पर्थला गोल चक्कर पर बन रहा सिग्नेचर ब्रिज सवालों को घेरे में आ गया है। गढ़ी गांव के निवासी रतनपाल सिंह यादव ने प्राधिकरण अधिकारियों पर मिलीभगत करके एक अनुभवहीन कंपनी को इस फ्लाईओवर के निर्माण के लिए टेंडर देने का आरोप लगाया है। उन्होंने शुक्रवार को नोएडा मीडिया क्लब में आयोजित एक प्रेसवार्ता में यह आरोप लगाया। इस मौके पर उन्होंने 48 पन्नों के साक्ष्य भी प्रस्तुत किए हैं। इस संबंध में उन्होंने प्राधिकरण की सीईओ ऋतु माहेश्वरी को कई पत्र भेजने की बात कही है। अब उनकी मांग है कि इस इस टेंडर को निरस्त किया जाए और किसी योग्य कंपनी को इसके निर्माण का जिम्मा सौंपा जाए, जिससे इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट की गुणवत्ता को बनाया रखा जा सके। उधर, इस मामले में प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी ऋतु महेवरी ने एसीईओ नेहा शर्मा को जांच सौंप दी है। हालांकि, सीईओ ऋतु महेवरी ने रतनपाल सिंह यादव की ओर से लगाए गए आरोपों का निराधार बताया है और कहा है कि ठेकेदार एक प्रतिष्ठित कंपनी है।

प्राधिकरण अफसरों और कंपनी में सांठगांठ का आरोप
नोएडा के विकास मार्ग-तीन के पर्थला गोल चक्कर पर 80.54 करोड़ रुपए की लागत से 697 मीटर लंबा सिग्नेचर ब्रिज यानि  फ्लाईओवर का निर्माण कराया जा रहा है। यह नोएडा प्राधिकरण को ड्रीम प्रोजेक्ट है। इस प्रोजेक्ट पर निर्माण कार्य श्री मंगलम बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी कर रही है। इस कंपनी का चयन प्राधिकरण ने ई-टेंडर प्रक्रिया के तहत किया है, लेकिन शिकायतकर्ता रतनपाल सिंह यादव ने प्राधिकरण की सीईओ को लिखे पत्रों का हवाला देते हुए शुक्रवार प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने जिस तरह से निर्माण कर रही कंपनी के अनुभव को लेकर सवाल उठाए हैं, उसके बाद ब्रिज की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल खड़े हो गए हैं। उन्होंने कंपनी को टेंडर देने के लिए सीधे तौर पर प्राधिकरण अधिकारियों पर मिलीभगत करने का आरोप लगाया है।

कंपनी को ठेका देने के लिए नियम और शर्तों में ढील दी
रतनपाल यादव ने 48 पन्नों के साक्ष्य को प्रस्तुत करते हुए कई सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि ठेकेदार कंपनी के पास 80.54 करोड़ रुपए की लागत के इस कार्य के लिए न तो अपेक्षित न्यूनतम तकनीकी योग्यता है और न ही वित्तीय योग्यता है। कंपनी प्राधिकरण के अधिकारियों की मिलीभगत से झूठे हैसियत प्रमाण-पत्र के आधार पर इस बहुप्रतीक्षित और ड्रीम प्रोजेक्ट का टेंडर लेने में सफल रही है। इस ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए प्राधिकरण ने 22 जुलाई, 14 अगस्त और 11 सितंबर-2020 को ई-निविदा खोली थी, लेकिन कई कारणों की वजह से टेंडर स्वीकार नहीं किया गया। इसके बाद अधिक प्रतिस्पर्धा के नाम पर निविदा में ठेकेदार के अनुभव की शर्तों में विशेष ढील दी गई, जिसमें केबिल वाले पुल के स्थान पर सामान्य गर्डर वाले पुल और 100 मीटर लंबाई के स्थान पर 60 मीटर लंबाई के पुल को बनाने का अनुभव मान्य किया गया। इसके बाद ठेकेदार कंपनी को निर्माण के लिए यह प्रोजेक्ट सौंपा गया है।
 
टेंडर रद्द करके दूसरी किसी अनुभवी कंपनी को देने की मांग
शिकायर्ता ने अपने साक्ष्य के माध्यम से बताया है कि कंपनी के पास समान प्रकृति के लगभग 64.74 करोड़ रुपए की लागत वाले कम से कम एक काम को अपने नाम से तय समय में सफलतापूर्वक करने का अनुभव होना चाहिए, लेकिन इसके बावजूद भी इस कंपनी को महत्वपूर्ण काम की जिम्मेदारी सौंपना उचित नहीं था। शिकायतकर्ता की मांग है कि न केवल ब्रिज के निर्माण कार्य को स्थगित किया जाना चाहिए बल्कि मामले की गहन जांच करते हुए दोषी अधिकारियों को सजा देकर वर्तमान ठेकेदार से खर्च वसूल किया जाए। इसके बाद किसी सक्षम एजेंसी को इसके निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी जाए। जिससे जनता के धन की बर्बादी को रोका जा सके और क्षेत्र के लोगों का उचित गुणवत्ता वाला ब्रिज सौंपा जा सके। 



शिकायत करने वाला सरकारी जमीन का अतिक्रमणकारी है : सीईओ
इस मामले में सीईओ ऋतु महेवरी ने कहा कि ठेकेदार एक प्रतिष्ठित कंपनी है और शिकायतकर्ता एक भूमि अतिक्रमणकर्ता है। जिसके खिलाफ शायद हाल के दिनों में प्राधिकरण ने प्राथमिकी दर्ज कराई है। फिर भी इस मामले की जांच एसीईओ नेहा शर्मा को सौंपी गई है। जांच अधिकारी नेहा शर्मा ने कहा कि उन्हें तीन दिन पहले इसकी जांच मिली है, वह जल्द जांच पूरी कर सीईओ को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगी।

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