सीईओ लोकेश एम ने लिए 4 बड़े फैसले, आम आदमी को मिलेंगी राहत, डिफ़ॉल्टर बिल्डरों पर आने वाली है आफत

नोएडा वालों के लिए बड़ी खबर : सीईओ लोकेश एम ने लिए 4 बड़े फैसले, आम आदमी को मिलेंगी राहत, डिफ़ॉल्टर बिल्डरों पर आने वाली है आफत

सीईओ लोकेश एम ने लिए 4 बड़े फैसले, आम आदमी को मिलेंगी राहत, डिफ़ॉल्टर बिल्डरों पर आने वाली है आफत

Tricity Today | Symbloic

Noida News : नोएडा अथॉरिटी से बड़ी ख़बर है। मुख्य कार्यपालक अधिकारी लोकेश एम ने शुक्रवार को 24 बिल्डरों और विभागीय अफसरों के साथ बैठक की है। इस दौरान बिल्डरों पर बकाया 26 हजार करोड़ रुपये की वसूली करने के लिए सख़्ती से निपटने का आदेश सीईओ ने दिया है। दूसरी ओर फ़्लैट खरीदारों की समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर सुनने और निस्तारित करने का आदेश दिया है। अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन से जुड़े मामलों में भी संजीदगी से काम करने का आदेश अफ़सरों को दिया गया है। सीईओ ने इस बैठक के दौरान चार महत्वपूर्ण फ़ैसले लिए हैं।

फैसला नंबर-1 : बिल्डरों की कटेगी आरसी, बोर्ड लगेंगे
मुख्य कार्यपालक अधिकारी लोकेश एम ने कहा, "जिन बिल्डरों और कंपनियों ने ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी बनाने के लिए भूखंड लिए और भुगतान नहीं किया है, उनसे पैसे की वसूली सख्ती के साथ की जाए। पैसा वसूल करने के लिए डिफॉल्टर बिल्डरों के रिकवरी सर्टिफ़िकेट जिला प्रशासन को जारी किए जाएं। डिफॉल्टर बिल्डरों के ख़िलाफ़ समाचार पत्रों में सूचना प्रकाशित की जाए। इनके प्रोजेक्ट पर भी बोर्ड लगा दिए जाएं। जिन पर मोटे और साफ़तौर पर डिफॉल्टर होने की जानकारी दी जाए।" सीईओ ने आगे कहा कि इससे आम आदमी बिल्डरों के झांसे में नहीं आएगा। डिफॉल्टर बिल्डर प्राधिकरण को पैसा नहीं दे रहे हैं और दूसरी ओर आम आदमी को ग़लत ढंग से फ़्लैट बेच रहे हैं। डिफॉल्टर बिल्डरों की परियोजनाओं के मुख्य गेट पर बोर्ड लगाकर प्राधिकरण के देयता के बारे में जानकारी लिखी जाए।
फैसला नंबर-2 : एओए और फ्लैट खरीदारों की बात सुनें
लोकेश एम ने दूसरा बड़ा फ़ैसला अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन और फ़्लैट खरीदारों से जुड़ा है। लोकेश एम ने कहा, "प्राधिकरण में जनसुनवाई के दौरान रोज़ाना अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन व फ़्लैट ख़रीदार शिकायतें कर रहे हैं। हाउसिंग सोसाइटी का निर्माण बेहद घटिया है। सोसाइटी में कार पार्किंग की बड़ी समस्या है। बेसमेंट में बरसात का पानी भर जाता है। सीवर का कनेक्शन नहीं हुआ है। जिसकी वजह से सोसाइटी में गंदा पानी भरता है। साफ-सफ़ाई की व्यवस्था उचित नहीं है। हाईराइज टावरों के लिफ़्ट खराब रहती हैं। इन समस्याओं का निस्तारण बिल्डर शिकायत मिलने के बावजूद नहीं करते हैं। जिससे आम आदमी को परेशानी होती है।" सीईओ ने आगे कहा, "सभी बिल्डर इस तरह की शिकायतों का तत्काल निराकरण करेंगे। समस्याओं का निराकरण करने में लापरवाही नहीं बरती जाएगी। निवासियों को झूठी जानकारी नहीं दी जाएगी। समस्याओं का समाधान गुणवत्तापूर्ण ढंग से किया जाएगा। जो बिल्डर निवासियों के इन समस्याओं का समाधान उचित ढंग से नहीं करेंगे, उनके ख़िलाफ प्राधिकरण कार्रवाई करेगा।"

फैसला नंबर-3 : एओए बनाएं और उनको को तरजीह दें
मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन से जुड़े विवादों पर भी बड़ा फ़ैसला लिया है। लोकेश एम ने कहा, "जिन हाउसिंग प्रोजेक्ट का निर्माण पूरा हो चुका है और वहां निवासी आकर रहने लगे हैं, वहां अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन का गठन करवाया जाए। जिन हाउसिंग सोसाइटी में एओए गठित है, उसमें यूपी अपार्टमेंट एक्ट-2016 में दिए गए प्रावधानों के तहत मेंटीनेंस की ज़िम्मेदारी अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन को हस्तानांतरित कर दी जाएं। ऐसी हाउसिंग सोसायटीज में बिल्डर दखलंदाजी नहीं करेंगे। इन हाउसिंग सोसायटीज में दैनिक सुविधा देने और रखरखाव करने की ज़िम्मेदारी अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन की है।"

फैसला नंबर-4 : बिल्डरों को एस्क्रो एकाउंट खुलवाने पड़ेंगे
मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने बिल्डरों से जुड़ा एक और बड़ा फ़ैसला लिया है। सीईओ ने बताया कि डिफॉल्टर बिल्डरों को दो महीने पहले एस्क्रो अकाउंट खोलने का आदेश दिया गया था। अब तक केवल छह बिल्डरों ने बैंकों में एस्क्रो अकाउंट खोले हैं। अब 26 अगस्त तक बिल्डरों को हर हालत में एस्क्रो अकाउंट खुलवाने होंगे। यह जानकारी प्राधिकरण को देनी होगी। जो बिल्डर इस समय सीमा में एस्क्रो अकाउंट नहीं खोलेंगे, उनके ख़िलाफ प्राधिकरण दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। आपको बता दें कि प्राधिकरण ने बिल्डरों को एस्क्रो अकाउंट खोलने का आदेश दिया था। जिससे प्राधिकरण को यह पता चल सके कि बिल्डर फ़्लैट खरीदारों से कितना पैसा ले रहा है। कितना पैसा प्रोजेक्ट निर्माण के लिए ख़र्च किया जा रहा है। इसी एस्क्रो अकाउंट से प्राधिकरण नियमित रूप से अपनी ज़मीन का पैसा भी वसूल करेगा। बड़ी बात यह है कि प्राधिकरण के तमाम आदेशों को दरकिनार करते हुए बिल्डर एस्क्रो अकाउंट नहीं खोल रहे हैं। सीधे अपनी कम्पनियों के बैंक खातों में फ़्लैट खरीदारों से पैसा ले रहे हैं। फ़्लैट ख़रीदार बिल्डरों पर उनसे लिए गए पैसे को डायवर्ट करने का आरोप लगा रहे हैं।

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