पार्किंग टेंडर लेने के लिए नहीं आई एक भी एजेंसी, नई व्यवस्था तक फ्री में खड़े करें वाहन

Noida Authority Parking : पार्किंग टेंडर लेने के लिए नहीं आई एक भी एजेंसी, नई व्यवस्था तक फ्री में खड़े करें वाहन

पार्किंग टेंडर लेने के लिए नहीं आई एक भी एजेंसी, नई व्यवस्था तक फ्री में खड़े करें वाहन

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Noida News : नोएडा में करीब एक दर्जन स्थानों पर अभी पार्किंग शुल्क लगने में देरी होगी। इसकी वजह यह है कि अलग-अलग तीन क्लस्टर के लिए जारी किए गए टेंडर में एक भी एजेंसी नहीं आई है। कुछ दिन बाद दोबारा से पार्किंग के लिए टेंडर जारी किए जाएंगे। अलग-अलग तीन क्लस्टर में पार्किंग शुल्क लिए जाने के लिए नोएडा प्राधिकरण के ट्रैफिक सेल ने पिछले महीने टेंडर जारी किया था।  

तीन क्लस्टर के टेंडर खोला
नोएडा प्राधिकरण अधिकारियों ने बताया किक्लस्टर नंबर-4 के अंतर्गत सेक्टर-81, फेज टू , सेक्टर-83, 88 में, क्लस्टर नंबर-7 के अंतर्गत हौजरी कॉम्प्लेक्स और क्लस्टर नंबर-6 के अंतर्गत सेक्टर-80 के भूखंड संख्या बी-46 में भी पार्किंग शुल्क वसूले जाने के लिए टेंडर जारी किए गए थे। इन पार्किंग से संबंधित टेंडर में कंपनियों के आवेदन करने का मंगलवार को आखिरी दिन था। अब शुक्रवार को तीनों क्लस्टर के टेंडर खोले गए तो सामने आया कि एक भी एजेंसी नहीं आई। एक भी एजेंसी नहीं आने से अब इस टेंडर से संबंधित प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाएगी। अगर तीनों क्लस्टर में नियमों के तहत तीन-तीन एजेंसी आ जाती तो अगले महीने से संबंधित स्थानों पर पार्किंग शुल्क लिए जाने की शुरूआत हो सकती थी लेकिन अब इसमें देरी होगी।

पार्किंग शुल्क
अधिकारियों ने बताया कि इस बार पार्किंग में वाहन खड़ा करने पर चार पहिया वाहन चालक को शुरुआत के दो घंटे के 20 और दोपहिया वाहन चालक को 10 रुपए देने होंगे। इसके बाद चार पहिया वाहन चालक को 10 रुपये प्रति घंटा और दोपहिया वाहन चालक को पांच रुपये प्रति घंटे के हिसाब से पार्किंग शुल्क देना होगा। पूरे दिन को लेकर पार्किंग शुल्क तय कर दी गई है। वाहन चालक मासिक पास की सुविधा भी ले सकते हैं।

तीन कंपनियों पर 20 करोड़ रुपए बकाया
तीन कंपनियां शहर में पार्किंग का संचालन कर रही हैं, लेकिन इन कंपनियों पर नवंबर 2023 तक 20 करोड़ रुपए बकाया है। पैसा नहीं देने की वजह से टेंडर प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। इसमें कहीं ना कहीं ट्रैफिक अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है। नोएडा अथॉरिटी के अधिकारी अपना पैसा वसूल नहीं पा रहे हैं। जिसका हर्जाना नोएडा प्राधिकरण के राजस्व विभाग को चुकाना पड़ रहा है। हालांकि ठेकेदारों का तर्क था कि इसमें प्राधिकरण का पैसा नहीं बन रहा है।
 

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