Noida News : वैदिक काल से ही मनुष्य के जीवन में नक्षत्रों, ग्रहों और राशियों का अपना अलग महत्व रहा है। ज्योतिष शास्त्र में जिन नक्षत्रों का जिक्र किया गया है, वे सभी नक्षत्र जितने महत्वपूर्ण हैं, उतने ही व्यक्ति के जीवन पर भी असर डालते हैं। माना जाता है कि नक्षत्र और राशि के अनुसार, मनुष्य का स्वभाव, गुण-धर्म, जीवन शैली जन्म नक्षत्र से जुड़ी हुई होती है। इसी को देखते हुए नोएडा प्राधिकरण ने शहर में नक्षत्र वाटिका बनाने की तैयारी कर ली है। जहां शहरवासियों को मनुष्य के जीवन में नक्षत्रों के हिसाब से प्रभाव डालने वाले पेड़-पौधों की जानकारी दी जाएगी। यह नक्षत्र वाटिका सेक्टर-108 में तैयार की जाएगी। पहले नोएडा प्राधिकरण सेक्टर 78 वेद वन थीम पार्क स्थापित कर चुका है। जहां लेजर शो के साथ यहां आने वाले लोगों को वेदों से संबंधित जानकारी भी मिलती है।
आठ एकड़ में विकसित होगा थीम पार्क
नोएडा प्राधिकरण की एसीईओ वंदना त्रिपाठी ने बताया कि मनुष्य के जीवन में नक्षत्रों का बड़ा महत्व होता है। अगर व्यक्ति अपने जन्म के नक्षत्र के हिसाब से पौधे का रोपण कर उसकी देखभाल और उसकी पूजा करें तो उसके नक्षत्र के हिसाब से उसको फल की प्राप्ति होती है। उन्होंने बताया कि यह पार्क सेक्टर-108 में आठ एकड़ जमीन पर विकसित किया जाएगा। यह थीम पार्क प्राधिकरण अपनी ग्रीन बेल्ट पर विकसित करने जा रहा है।
ग्रह नक्षत्रों के अनुसार मिलेगी पौधों की जानकारी
एसीईओ वंदना त्रिपाठी ने बताया कि इस थीम पार्क में 27 नक्षत्र, 12 राशि, नवग्रहों से संबंधित पेड़-पौधे लगाए जाएंगे। जिससे कि शहरवासी यहां आकर अपने ग्रह नक्षत्रों के अनुसार पौधे की जानकारी हासिल कर सकें। जहां पौधों के संरक्षण के साथ-साथ लोग अपने जन्म नक्षत्रों के अनुसार पौधे लगा सकें, जिससे पौधों का संरक्षण भी हो सकेगा। उन्होंने बताया कि प्राधिकरण का मकसद विलुप्त हो रहे पौधों की प्रजातियों को संरक्षित करने के अलावा लोगों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देना है। इसी के तहत नक्षत्र वाटिका की स्थापना की जा रही है।
नक्षत्र वाटिका में 27 नक्षत्रों के प्रतीक पौधे
अश्वनी-कुचिला, भरणी-आंवला, कृतिका-गूलर, रोहिणी-जामुन, मृगशिरा-खैर, आद्रा-शीशम, पुनर्वसु-बांस, पुष्य-पीपल, आश्लेषा-नागकेसर, मेधा-बरगद, पूर्वी फाल्गुनी ढाक, उत्तरी फाल्गुनी-पाकड़, हस्त-रीठा, चित्रा-बेल, स्वाति-अर्जुन, विशाखा-कंडाई, अनुराधा-मौलश्री, ज्येष्ठा-चीड़, मूला-साल, पूर्वाषाढ़ा-जलवेतर, उत्तराषाढ़ा-कटहल, श्रवण-शमी, धनिष्ठा-मदार, शतभिषक-कदंब, पूर्वी भाद्रपद-आम और उत्तरी भाद्रपद-नीम, रेवती-महुआ के पौधे आस्था का प्रतीक माना जाता है।