बेदम रही है ऑटो कलर कोड की योजना, सिर्फ 20 फीसदी चालकों ने लिया हिस्सा, पूरी रिपोर्ट

नोएडा : बेदम रही है ऑटो कलर कोड की योजना, सिर्फ 20 फीसदी चालकों ने लिया हिस्सा, पूरी रिपोर्ट

बेदम रही है ऑटो कलर कोड की योजना, सिर्फ 20 फीसदी चालकों ने लिया हिस्सा, पूरी रिपोर्ट

Google Image | प्रतीकात्मक फोटो

  • -जिले में 15 हजार ऑटो का परमिट है
  • -15 मार्च तक सिर्फ  3200 ने ही लिया कलर कोड
  • -इसी महीने 4 मार्च को शुरू हुया था अभियान
नोएडा में ऑटो को कलर कोड देकर यातायात को सुरक्षित बनाने की योजना दम तोड़ती नजर आ रही है। इस मामले में ट्रैफिक पुलिस भी बेदम दिखाई दे रही है। जिले में कुल 15000 रजिस्टर्ड ऑटो के परमिट हैं। मगर अब तक सिर्फ 3200 ने हीं कलर कोड लिया है। नोएडा की सड़कों पर कोड और बिना कोड वाले ऑटो अब भी पहले की तरह दौड़ रहे हैं। जाहिर है कि इस मुहिम के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई। अन्यथा, यह मुहिम अब तक पूरी हो गई होती।

सिर्फ 15 दिन में पूरा करने का लक्ष्य था
बताते चलें कि नोएडा ट्रैफिक पुलिस ने इसी महीने 4 मार्च को ऑटो कलर कोड अभियान शुरू किया था। यातायात पुलिस ने कहा था कि इसके लिए सिर्फ 15 दिन तक अभियान चलेगा। सभी ऑटो चालकों को इस दौरान कलर कोड लेना जरूरी होगा। इसके बाद से ऑटो चालकों के खिलाफ सख्ती बरती जाएगी। लेकिन इस अभियान को लेकर ट्रैफिक पुलिस खुद संजीदा नहीं है। ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों के पास इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं है, कि 15 मार्च के बाद नोएडा में कितने ऑटो को कलर कोड दिए गए।

आंकड़ों से समझें 
ट्रैफिक पुलिस के नोएडा जोन के इंस्पेक्टर आशुतोष सिंह ने इस बारे में कुछ आंकड़े दिए। उन्होंने बताया कि 15 मार्च तक जिले में कुल 3209 ऑटो को कलर कोड दिए गया है। कुल 2347 ऑटो को सिटी परमिट है। मगर इनमें से अब तक महज 527 ने ही कोड लिया है। शहर में एनसीआर ऑटो की संख्या 1996 है। इनमें से कलर कोड 1138 को दिया गया है। दादरी से परमिट के ऑटो की संख्या 4146 है। मगर यहां के मालिक और चालक कोड लेने में सबसे पीछे हैं। दादरी परमिट ऑटो में से सिर्फ 290 ऑटो ने ही कोड लिया है। सबसे ज्यादा 6617 परमिट कासना में हैं। लेकिन अब तक सिर्फ 1254 ने कोड लिया है।

इसलिए शुरू हुई थी मुहिम
ट्रैफिक पुलिस नोएडा के सेक्टर-37 और ग्रेटर नोएडा के परी चौक पर ऑटो कलर कोड के नाम पर वेरिफिकेशन कैंप चला रही है। लेकिन इन कैंप के आसपास ही बिना परमिट और कलर कोड के ऑटो खुलेआम दौड़ते हैं। इतना ही नहीं, गाजियाबाद और दिल्ली परमिट के ऑटो भी शहर की सड़कों पर बेरोकटोक दौड़ रहे हैं। यातायात पुलिस का कहना था कि कलर कोड की प्रक्रिया से गौतमबुद्ध नगर में अवैध तरीके से चल रहे ऑटो को पहचानना सरल हो जाएगा। इससे यात्रियों को राहत मिलेगी और अपराध के मामलों को सुलझाने में मदद मिलेगी।

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