नोएडा की सबसे बड़ी कंपनी पर ₹53,000 करोड़ का कर्ज, तक़ादा कर रहे देश के बड़े-बड़े बैंक

जेपी एसोसिएट्स संकट : नोएडा की सबसे बड़ी कंपनी पर ₹53,000 करोड़ का कर्ज, तक़ादा कर रहे देश के बड़े-बड़े बैंक

नोएडा की सबसे बड़ी कंपनी पर ₹53,000 करोड़ का कर्ज, तक़ादा कर रहे देश के बड़े-बड़े बैंक

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Noida News : नोएडा की सबसे बड़ी कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेपी एसोसिएट्स) के 31 वित्तीय लेनदारों ने कर्ज में डूबे इस समूह के खिलाफ लगभग ₹53,000 करोड़ का दावा किया है। यह दावा कंपनी द्वारा प्रस्तावित एकमुश्त निपटान के बाद सामने आया है। प्रमुख लेनदारों में भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड, आईडीबीआई बैंक लिमिटेड और भारतीय जीवन बीमा निगम शामिल हैं।

कंपनी ने 200 करोड़ रुपये तुरंत देने को कहा
जेपी एसोसिएट्स ने एकमुश्त निपटान के तहत ₹200 करोड़ का तत्काल भुगतान करने का प्रस्ताव रखा है। साथ ही, कंपनी ने अगले 18 सप्ताह में ₹16,000 करोड़ का निपटान करने का आश्वासन दिया है। घर खरीदारों सहित लेनदारों ने कंपनी के खिलाफ ₹51,914 करोड़ के दावों को स्वीकार किया है। इनमें से ₹52,824 करोड़ मूल्य के दावे स्वीकृत किए गए हैं। शुक्रवार को एक एक्सचेंज फाइलिंग के अनुसार, घर खरीदारों ने ₹2,630 करोड़ मूल्य के दावे जमा किए हैं।

दिवालिया होने के कगार पर है कंपनी
वर्तमान में कंपनी दिवालियापन की कार्यवाही में उलझी हुई है। इस मामले की सुनवाई 3 जुलाई को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) में होगी। जेपी एसोसिएट्स के निलंबित बोर्ड सदस्य सुनील कुमार शर्मा, जिन्होंने यह अपील दायर की है, ने बताया कि कंपनी के पास पहले से ही अपने कर्जों के समाधान की एक योजना थी। यह मामला भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र में चल रही समस्याओं को उजागर करता है, जहां कई बड़ी कंपनियां वित्तीय संकट का सामना कर रही हैं। जेपी एसोसिएट्स का मामला विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें बड़ी संख्या में घर खरीदार भी शामिल हैं, जिन्होंने कंपनी की परियोजनाओं में निवेश किया था।

देश में रियल एस्टेट सेक्टर पर संकट का उदाहरण
कंपनी के प्रस्तावित एकमुश्त निपटान योजना पर लेनदारों की प्रतिक्रिया अभी तक स्पष्ट नहीं है। यदि यह प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया जाता है, तो कंपनी को दिवालिया प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है, जिसका प्रभाव न केवल कंपनी पर बल्कि हजारों घर खरीदारों और निवेशकों पर भी पड़ेगा। इस बीच, वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला भारत के कॉरपोरेट क्षेत्र में ऋण प्रबंधन और पारदर्शिता की आवश्यकता को रेखांकित करता है। साथ ही, यह रियल एस्टेट क्षेत्र में नियामक सुधारों की आवश्यकता को भी दर्शाता है, ताकि भविष्य में इस तरह की स्थितियों से बचा जा सके।

मामले पर टिकी हैं हर किसी की नजरें
आने वाले दिनों में इस मामले पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी, क्योंकि इसका परिणाम न केवल जेपी एसोसिएट्स के भविष्य को प्रभावित करेगा, बल्कि यह भारत के रियल एस्टेट और कॉरपोरेट क्षेत्र के लिए भी एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है।

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