Noida : नोएडा में रहने वाले शूरवीर तीरंदाज सौरभ प्रसाद अब आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। सौरव प्रसाद ने प्रदेश तीरंदाजी प्रतियोगिता मे सौरभ की प्रतिभा देखकर दर्शकों की आंखें खुली की खुली रह गई। सौरभ डीयू के अग्रसेन कॉलेज में पढ़ते हैं। पिता की नौकरी जाने के बाद अब घर की स्थिति ऐसी है कि सौरभ कॉलेज की फीस भी जमा नहीं कर पा रहे हैं। सौरभ आर्थिक तंगी से इस तरह मजबूर आ गए हैं कि जिस धनुष्य से उन्हें देश- प्रदेश में पहचान मिली, आज उसी को बेचने की नौबत आ गई है।
ईएमआई पर लिया था धनुष
सेक्टर-20 केजी ब्लॉक में सौरव प्रसाद अपने परिवार के साथ रहते हैं। सौरभ ने अपना धनुष ईएमआई पर लिया था। जिसकी कीमत आज से 4 साल पहले दो लाख रुपए थी, लेकिन उस समय सौरभ के पिता नौकरी करते थे। जिससे ईएमआई के रुपए भरने में दिक्कत नहीं आती थी। पिछले कुछ समय से पिता की नौकरी छूट गई है। सौरभ के परिवार में 7 सदस्य रहते हैं, जो अब परेशानियों से जूझ रहे है।
स्पोर्ट्स कोटे में दाखिला होने के कारण मिलती है थोड़ी राहत
सौरभ दिसंबर से कॉलेज की फीस जमा नहीं कर पाए हैं। इस महीने तक उन्हें 11 हजार रुपए जमा करने थे, लेकिन पैसे ना होने के कारण वह फीस नहीं जमा कर पाए। कई बार कॉलेज प्रबंध ने फीस जमा कराने के लिए भी बोला है, लेकिन स्पोर्ट्स कोटे में दाखिल होने के कारण उन्हें थोड़ी राहत मिल जाती है।
किसी तरह परिवार का केवल गुजर-बसर ही हो पाता है
सौरभ अपने परिवार के साथ एक बीएचके मकान में रहते हैं। सौरव का बड़ा भाई एक निजी कंपनी में अकाउंटेंट की नौकरी करता है। जिसके आई से केवल परिवार का गुजर बसर ही हो पाता है। सौरभ ने मेरठ में दो बार आयोजित प्रदेश तीरंदाज प्रतियोगिता में भाग लिया था। वहीं, एक महीने पहले राष्ट्रीय तीरंदाजी के लिए मथुरा में ट्रायल हुआ था। जिसमें सौरव ने भाग लिया था।
धीरे-धीरे सभी सपने खत्म होते जा रहे हैं
सौरभ ने बताया कि एकेडमी की फीस के साथ साथ घर के अन्य खर्चे भी हैं। घर की स्थिति को देखते हुए एकेडमी की फीस जमा कर पाना मुश्किल है। खेल से जुड़े न जाने कितने सपने देखे थे, लेकिन अब धीरे-धीरे करके सब खत्म होते जा रहे हैं। अगर यही स्थिति रही तो 1 दिन तीरंदाजी भी छोड़नी पड़ सकती है। सौरभ के धनुष का एक उपकरण भी खराब हो रहा है, लेकिन जैसे तैसे अभ्यास चल रहा है।
पैसे न होने के कारण जाना पड़ता है पैदल
सौरभ का कहना है कि कई बार वसुंधरा एंक्लेव स्थित अग्रसेन कॉलेज दिल्ली से पैदल जाना पड़ता है। ऑटो और कैब बुक करने के लिए इतने पैसे नहीं होते और सार्वजनिक वाहन का रास्ता नहीं है। जिसके कारण पैदल ही जाना पड़ता है। सौरभ ने बताया चौड़ा मोड तक ई-रिक्शा से जाता हूं। फिर मेट्रो अस्पताल के सामने से पैदल ही जाता हूं। सौरभ लगभग 3 किलोमीटर तक पैदल चलते हैं।