नोएडा के लुटेरों पर गिरेगी गाज, अथॉरिटी का बोर्ड बदलेगा, अब सालाना बजट विधानसभा में पेश होगा, सरकार ने लिए ये 10 फैसले

EXCLUSIVE : नोएडा के लुटेरों पर गिरेगी गाज, अथॉरिटी का बोर्ड बदलेगा, अब सालाना बजट विधानसभा में पेश होगा, सरकार ने लिए ये 10 फैसले

नोएडा के लुटेरों पर गिरेगी गाज, अथॉरिटी का बोर्ड बदलेगा, अब सालाना बजट विधानसभा में पेश होगा, सरकार ने लिए ये 10 फैसले

Tricity Today | Noida CAG Exclusive Report

Noida CAG Report : नोएडा के लुटेरों पर जल्दी गाज गिरने वाली है। महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट आने के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार ने कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में 27 सिफारिश की हैं। जिन पर सरकार ने अमल शुरू कर दिया है। नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) को करीब 22 हजार करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने वाले अफसरों और बिल्डरों के खिलाफ जांच का आदेश दे दिया गया है। शासन से मिली जानकारी के मुताबिक आगे से अथॉरिटी में मनमानी ना हो, इसके लिए बोर्ड में बड़े बदलाव किए जाएंगे। इतना ही नहीं अब नोएडा अथॉरिटी का सालाना बजट और रिपोर्ट राज्य विधानमंडल में पेश होंगे।

1. जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई होगी
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "सरकार नोएडा अथॉरिटी में तैनात रहे अधिकारियों और बिल्डरों के बीच गठजोड़ की जांच करे। भूमि आवंटन, भूखंडों के ट्रांसफर और आवंटन के बाद अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार या शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। यह कारगुजारी प्राधिकरण, सरकार और घर खरीदारों के लिए हानिकारक थीं। नोएडा अथॉरिटी को उन अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करनी चाहिए, जिन्होंने वाणिज्यिक श्रेणी में आवंटियों को बार-बार लाभ प्रदान किया है।" सरकार ने इस सीएजी को बताया है कि इस सिफारिश को मान लिया है। जल्दी कार्रवाई शुरू होगी।

2. भूखंड आवंटन समिति के अफसर नपेंगे
सीएजी ने कहा, "नोएडा को उन अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, जो विशेष रूप से प्लॉट आवंटन समिति में शामिल थे। जिन्होंने कई मामलों में सामग्री, तथ्यों को छुपाया, गलत तरीके से प्रस्तुत किया और दबा दिया। इस प्रकार अपात्र संस्थाओं को भूखंडों का आवंटन प्राप्त करने में सक्षम बनाया गया है।" सरकार की ओर से कहा गया है कि ऐसे सारे अधिकारीयों की पहचान करके कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

3. फार्महाउस स्कीम की जांच का आदेश
सीएजी ने रिपोर्ट में कहा, "सरकार को फार्महाउसों के आवंटन की पूरी योजना की समीक्षा करनी चाहिए और पहले से किए गए आवंटनों से निपटने पर विचार करना चाहिए, जो त्रुटिपूर्ण और दूषित थे। भले ही सरकार फार्महाउस की योजना को जारी रखे लेकिन एक समीक्षा होनी चाहिए। मौजूदा मूल्य निर्धारण, संभावित आवंटियों की भुगतान क्षमता और फार्महाउस के उपयोग को ध्यान में रखते हुए पूरी समीक्षा की आवश्यकता है।" दरअसल, फार्महाउसों का आवंटन अमीरों को कौड़ियों में किए गए हैं। जिससे प्राधिकरण को भारी नुकसान हुआ है। सरकार में यह सिफारिश स्वीकार कर ली है।

4. फॉर्महाउस बांटने वाले सीईओ पर एक्शन होगा
सीएजी ने सरकार को लिखा कि फार्म हाउस प्लाटों के आवंटन के लिए जिम्मेदार भूखंड आवंटन समिति के सदस्य और संबंधित सीईओ, जिन्होंने सभी मानदंडों की खुलेआम अवहेलना की है और अयोग्य लोगों को भूखंड आवंटित किए हैं, उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। सरकार ने इस मामले में भी कार्रवाई का आदेश दे दिया है।

5. विधानमंडल में पेश होगी अथॉरिटी की एनुअल रिपोर्ट
सीएजी की सिफारिश पर सरकार और नोएडा प्राधिकरण अपनी मौजूदा नीतियों की गहन समीक्षा करेंगे। दरअसल, इस नीतियों के कारण औद्योगिक उद्देश्यों के लिए मास्टर प्लान-2021 में गलत बदलाव हुए थे। सरकार ने इस मुद्दे में यूपीआईएडी अधिनियम-1976 के प्रावधानों का अनुपालन करवाने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है। अब विशेष रूप से नोएडा प्राधिकरण की वार्षिक रिपोर्ट तैयार होगी और राज्य विधानमंडल के समक्ष रखने की व्यवस्था बनाई जाएगी। दरअसल, सरकार को यह देखना चाहिए कि प्राधिकरण के खर्च सार्वजनिक व्यय के दायरे से परे हैं। इसे योगी आदित्यनाथ सरकार ने स्वीकार कर लिया है। राज्य सरकार के औद्योगिक विकास विभाग ने बताया कि वित्त विभाग को यह प्रस्ताव भेजा गया है।

6. अथॉरिटी के बॉर्ड में किया जाएगा बड़ा बदलाव
सीएजी ने नोएडा अथॉरिटी के बोर्ड में बड़े बदलाव की सिफारिश की है। जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया है। सीएजी ने कहा, "सरकार को एक सक्षम, निष्पक्ष और गैर-घुसपैठ वाला वातावरण बनाना होगा। जिससे नोएडा को विश्वस्तर के बुनियादी ढांचे वाले केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। यहां तैनात रहने वाले अधिकारियों के हाथों में विवेकाधीन शक्तियों पर अंकुश लगाना होगा। नोएडा के बोर्ड को ओवरहाल करना चाहिए और बाहरी पेशेवरों को शामिल करने पर विचार करना चाहिए। बोर्ड में विशेषज्ञों को जगह दी जानी चाहिए। सरकार ने कहा, "इस मामले में अध्ययन शुरू हो चुका है। पूरी ऑडिट रिपोर्ट पढ़ी जा रही है।"

7. प्राधिकरण में इंटरनल ऑडिट की व्यवस्था लागू होगी
योगी आदित्यनाथ सरकार प्राधिकरण में इंटरनल ऑडिट की व्यवस्था लागू करने जा रही है। नोएडा प्राधिकरण के भीतर नियमों और विनियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने, आंतरिक नियंत्रण नीतियों और प्रक्रियाओं के डिजाइन व कार्यप्रणाली की निगरानी के लिए इंटरनल ऑडिट की व्यवस्था लागू होगी। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में भी इसका उल्लेख किया है। सरकार में सीएजी की इस सिफारिश को स्वीकार कर लिया है।

8. प्राधिकरण और बोर्ड के काम करने का ढंग बदलेगा
सीएजी ने कहा है कि नोएडा अथॉरिटी को अपने बोर्ड से कम्युनिकेशन बेहतर बनाना होगा। बोर्ड को सूचित करने और निर्णय लेने में सुधार की जरूरत है। सूचना के संग्रह और प्रसार के लिए एक सूचना प्रबंधन प्रणाली स्थापित करनी चाहिए। यह प्रस्ताव भी राज्य सरकार ने स्वीकार कर लिया है। दरअसल, बोर्ड में शामिल सदस्यों को सही जानकारियां नहीं मिलने के कारण प्राधिकरण में तैनात बड़े अफसरों ने मनमाने फैसले करवाए हैं। जिसका भारी नुकसान उठाना पड़ा है।

9. भूखंड आवंटन नीति में बदलाव किया जाएगा
सीएजी ने सरकार को बताया है कि साक्षात्कार के माध्यम से संस्थागत, फार्म हाउस और औद्योगिक श्रेणियों के भूखंडों का आवंटन किया गया है। जिसमें व्यापक अनियमितताएं हुई हैं। भूखंड आवंटन समिति की प्रक्रिया जांच के बाद विकृत पाई गई हैं। यह पूरी तरह अफसरों के विवेक पर निर्भरता थी। सरकार और नोएडा अथॉरिटी को विवेक के लिए न्यूनतम गुंजाइश के साथ नए सिरे से आवंटन की पारदर्शी प्रणाली तैयार करनी चाहिए। जिससे अधिकारियों के हाथ में प्राधिकरण और शहर का भविष्य निर्भर नहीं करे। सरकार ने यह सिफारिश मान ली है। बताया गया है कि नई पारदर्शी भूखंड आवंटन प्रक्रिया लागू की जा चुकी हैं। इनमें उत्तरोत्तर सुधार किया जा रहा है। अब भूखंड आवंटन में किसी अधिकारी की मोनोपॉली सम्भव नहीं है।

10. पुराने मास्टरप्लान की जांच करवाई जाएगी
सीएजी ने नोएडा अथॉरिटी के मास्टरप्लान-2021 और 2031 को लेकर गंभीर आपत्तियां जाहिर की हैं। सीएजी का कहना है कि अफसरों ने एनसीआर प्लानिंग बोर्ड को कुछ नहीं समझा और मनमानी की है। प्लान में जैसे चाहा वैसे बदलाव के लिए हैं। भूमि उपयोग परिवर्तन से लेकर आवंटन श्रेणियां बदल दी गई हैं। रिक्रेशनल ग्रीन और मिक्स्ड लैंड यूज जैसे प्रावधान किए हैं। औद्योगिक और संस्थागत भूखंडों में कमर्शियल कोटा बनाया है। यह सबकुछ अवैधानिक है। लिहाजा, नोएडा अथॉरिटी के मास्टरप्लान-2021 और 2031 की जांच की जाए और सुधार किया जाना चाहिए। इस पर भी सरकार ने काम शुरू कर दिया है।

महालेखा परीक्षक की सारी आपत्तियों और सिफारिशों का अध्ययन कर लिया गया है। राज्य सरकार के जिम्मेदार विभाग और नोएडा अथॉरिटी इन पर अमल कर रहे हैं। कुछ सिफारिशें ऐसी हैं, जिनके लिए कानून में बदलाव करने पड़ेंगे। इसके लिए जरूरी प्रक्रिया अपनाई जा रही है। जिन अधिकारियों ने शक्तियों का दुरुपयोग किया और जनता के पैसे को बर्बाद किया है, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस बारे में सदन को भी आश्वस्त कर चुके हैं। नोएडा अथॉरिटी को जिम्मेदार अफसरों की पहचान करने का आदेश दिया गया है, जल्दी एक्शन होगा।
- सतीश महाना, औद्योगिक विकास मंत्री, उत्तर प्रदेश

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