अटक गया चिल्ला एलिवेटेड रोड का काम, सेतु निगम ने और मांगे 153 करोड़

नोएडा से बड़ी खबर : अटक गया चिल्ला एलिवेटेड रोड का काम, सेतु निगम ने और मांगे 153 करोड़

अटक गया चिल्ला एलिवेटेड रोड का काम, सेतु निगम ने और मांगे 153 करोड़

Google Image | चिल्ला एलिवेटेड रोड

Noida News : किसी प्रोजेक्ट के समय पर पूरा न होने से उसकी लागत में इजाफा होना स्वाभाविक है। नोएडा अथॉरिटी का कोई भी प्रोजेक्टर समय पर पूरा नहीं होता है। इससे निर्माण एजेंसियां बाद में अतिरिक्त धन की डिमांड करने लगती हैं। उनकी मांग को पूरा करने में अथॉरिटी काफी हीलाहवाली करती है। नतीजतन लागत बढ़ने के बावजूद परियोजनाएं समय पर पूरी नहीं हो पाती हैं। भंगेल एलिवेटेड रोड की तरह ही अब चिल्ला एलिवेटेड रोड का काम शुरू होने से पहले ही अटक गया है। सेतु निगम ने पूर्व में हुई बढ़ोतरी के अलावा 153 करोड़ रुपए का और बजट बढ़ाने की मांग नोएडा प्राधिकरण से की है। प्राधिकरण ने फिलहाल बजट बढ़ाने से इंकार करते हुए शासन निर्देश मांगा है। खास बात ये है कि इसी साल जून में यूपी कैबिनेट ने इसके लिए करीब 787 करोड़ रुपए के बजट को मंजूरी दी थी।

चिल्ला से महामाया तक होना है एलिवेटेड रोड का निर्माण
दिल्ली के चिल्ला रेगुलेटर-मयूर विहार फ्लाईओवर से नोएडा के महामाया फ्लाईओवर तक 5.96 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड रोड बनाया जाना है। एलिवेटेड रोड के लिए शासन ने 100 करोड़ रुपये भी नोएडा प्राधिकरण को भेज दिए हैं। इसके बाद टेंडर जारी करने के लिए नोएडा प्राधिकरण ने सेतु निगम को फ़ाइल भेज दी थी। इससे पहले ही सेतु निगम ने अतिरिक्त बजट की ये मांग शुरू कर दी। सेतु निगम के अधिकारियों का कहना है कि 787 करोड़ रुपये में एलिवेटेड रोड नहीं बन पाएगा। मौजूदा दरों पर निर्माण में 940 करोड़ रुपये लागत आएगी। अब प्राधिकरण ने इस मामले में शासन को पत्र भेजकर सुझाव मांगा है।

लागत वद्धि के जंजाल में उलझी परियोजना
खास बात ये है कि पहले भी यह परियोजना लागत वृद्धि की फेर में फंस चुकी है। इसके साथ ही शासन से आधा बजट न मिलने से भी काम अटक गया था। प्राधिकरण ने पहले पीडब्ल्यूडी के साथ करार किया था। उसमें तय किया गया था कि दोनों ही 50-50 प्रतिशत धन देंगे। अनुबंध के मुताबिक जून-2020 में 650 करोड़ रुपये के इस प्रॉजेक्ट पर काम शुरू करवा दिया था। लेकिन, फिर पीडब्ल्यूडी से बजट ही नहीं जारी हुआ। जिससे काम ठप हो गया। दूसरी तरफ, सेतु निगम ने डिजाइन में बदलाव कर परियोजना की लागत करीब 1100 करोड़ रुपये पहुंचा दी थी। 

परियोजना की लागत 787 करोड़ तय हुई थी
इसके बाद नोएडा प्राधिकरण ने सेतु निगम के प्रस्ताव का परीक्षण कराया। शासन में प्रजेंटेशन और आकलन हुआ। फाइनल लागत 787 करोड़ रुपये तय हुई। यूपी कैबिनेट ने इसी लागत के आधे बजट को देने की मंजूरी दी। इसलिए प्राधिकरण खुद से अकेले  फैसला नहीं ले सकती है। करार के मुताबिक, लागत का आधा बजट प्राधिकरण और आधा शासन दे रहा है। इसके पहले परियोजना में पेमेंट मोड को लेकर प्राधिकरण और सेतु निगम एकमत नहीं थे। इसका समाधान भी बोर्ड से निकला था। करार के मुताबिक, टेंडर कर निर्माण एजेंसी के तौर पर सेतु निगम को चुनना था। इस काम की निगरानी नोएडा प्राधिकरण करेगा। इसलिए प्राधिकरण ने अपनी प्रक्रिया पूरी कर टेंडर के लिए सेतु निगम को फाइल भेजी थी।

क्या कहता है सेतु निगम
सेतु निगम का कहना है कि एलिवेटेड रोड का एस्टीमेट वर्ष-2019-20 में बना था। इसमें उस समय निर्माण लागत को शामिल किया गया था। इसके बाद जो लागत बढ़ी थी, वो डिजाइन में बदलाव के कारण बढ़ी थी। तब से अब तक निर्माण सामग्री की दरें भी बढ़ चुकी हैं। मौजूदा दरों पर आकलन करने पर प्रॉजेक्ट की लागत 940 करोड़ पहुंच जाएगी। इस तरह से 153 करोड़ रुपये लागत और बढ़ेगी।

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