नोएडा के सेक्टर-39 में स्थित कोविड-19 अस्पताल में पिछले 12 घंटों के दौरान दो बार ऑक्सीजन खत्म हुई है। जिसके चलते कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। ऑक्सीजन सिस्टम के सहारे साथ ले रहे कई मरीजों की तो सांसें फूल गई। पहला वाकया मंगलवार की सुबह तड़के करीब 4:30 बजे हुआ। दूसरी बार शाम करीब 5:00 बजे ऑक्सीजन खत्म हो गई। मतलब, 12 घंटों में दो बार अस्पताल को ऑक्सीजन क्राइसिस के दौर से गुजर ना पड़ा है। इतना ही नहीं जानकारी यह भी मिल रही है कि जिले के बाकी अस्पतालों में भी ऑक्सीजन का संकट बढ़ता जा रहा है।
गौतमबुद्ध नगर के स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिले को करीब 60 टन ऑक्सीजन की आवश्यकता है, जबकि बमुश्किल 30 टन रोजाना मिल रही है। ऐसे में करीब 30 टन ऑक्सीजन की कमी का सामना जिले को करना पड़ रहा है। यही वजह है कि जिले के सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में पिछले तीन-चार दिनों से बार-बार ऑक्सीजन खत्म होने की सूचनाएं मिल रही हैं। हालांकि, जैसे-तैसे जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ऑक्सीजन का इंतजाम करने में जुटे हैं। गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने ऑक्सीजन की आपूर्ति निर्बाध रूप से बनाए रखने के लिए चार अफसरों को जिम्मेदारी भी सौंपी है।
पहले सुबह फिर शाम को ठप हुई ऑक्सीजन की सप्लाई
इसी बीच मंगलवार को जानकारी मिली है कि नोएडा में सेक्टर-39 स्थित कोविड-19 अस्पताल में मंगलवार की सुबह और शाम दो बार ऑक्सीजन खत्म हो गई। जिसकी वजह से वहां भर्ती सैकड़ों मरीजों को बुरे दौर से गुजरना पड़ा है। अस्पताल में भर्ती एक मरीज ने बताया कि मंगलवार की सुबह तड़के करीब 4:30 बजे ऑक्सीजन खत्म हो गई। जिसकी वजह से पूरे अस्पताल में हायतौबा का माहौल था। ऑक्सीजन के सहारे सांस ले रहे मरीजों की सांसें फूलने लगीं। करीब 5:00 बजे ऑक्सीजन की आपूर्ति बहाल हो पाई। दूसरी बार मंगलवार की शाम करीब 5:00 बजे एक बार फिर ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद हो गई। फिर मरीजों को भारी परेशानी से गुजरना पड़ा। शाम को भी करीब आधा घंटे बाद ऑक्सीजन की सप्लाई शुरू हो सकी।
अस्पताल का स्टाफ ऑक्सीजन कम्पनी को फोन करता रहा
इस बारे में अस्पताल के अफसरों का कहना है कि सुबह करीब 10-15 मिनट के लिए ऑक्सीजन खत्म हुई थी। शाम को भी इतने समय आपूर्ति बाधित हुई है। ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली कम्पनी ने समय पर रिफलिंग नहीं की थी। कोविड अस्पताल के चिकित्सक डॉ.एस मिश्रा ने बताया कि आक्सीजन रुकते ही संक्रमितों ने हांफना शुरू कर दिया। हालात बद से बदतर होने लगे। कर्मचारी करीब 40 मिनट तक एनॉक्स कंपनी को सप्लाई के लिए फोन करते रहे, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया। 40 मिनट बाद आक्सीजन आई। उसके बाद ही संक्रमित की सांस हल्की हुई।
ऑक्सीजन की पूरी आपूर्ति नहीं करा पा रहा स्वास्थ्य विभाग
सक्रिय संक्रमितों के हिसाब से जिले को प्रतिदिन 60 टन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है, लेकिन विभाग सिर्फ 30 टन का ही इंतजाम कर पा रहा है। लिहाजा, ऑक्सीजन के अभाव में संक्रमितों की सांस उखड़ रही हैं। जिले में 18 कोविड अस्पताल हैं। इनमें दो एल-3 और 16 एल-2 श्रेणी के हैं। वहीं, जिला प्रशासन कुछ नए कोविड अस्पताल शुरू करने की योजना बना रहा है। फिलहाल सभी कोविड अस्पतालों में लगभग 1,500 से अधिक बिस्तरों पर ऑक्सीजन की सुविधा है। हालात यह है कि सभी ऑक्सीजन वाले बिस्तरों पर संक्रमित भर्ती हैं। चिकित्सकों के अनुसार ऑक्सीजन की खपत तेजी से बढ़ती जा रही है। ऑक्सीजन सपोर्ट वाला संक्रमित मरीज प्रत्येक दो घंटे में 60 से ज्यादा सिलेंडर खाली कर रहा है। ऐसे में अस्पतालों में ऑक्सीजन की मारामारी शुरू हो गई है।
एंबुलेंस में 70 संक्रमितों को पड़ रही ऑक्सीजन की जरूरत
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार रोजाना 70 से अधिक संक्रमितों को एंबुलेंस में ऑक्सीजन सपोर्ट पर अस्पताल पहुंचाया जा रहा है। बीते एक सप्ताह तक 40 संक्रमितों को ऑक्सीजन पर अस्पताल ले जाया जा रहा था, लेकिन अब संख्या बढ़ गई है। कोविड अस्पतालों में भी आइसीयू में भर्ती संक्रमित को 24 घंटे ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है।