Tricity Today | नोएडा के नामचीन अस्पतालों ने किया बड़ा फर्जीवाड़ा
- नोएडा और ग्रेटर नोएडा के नामचीन अस्पतालों में हुआ बड़ा फर्जीवाड़ा
- मामूली रूप से बीमार लोगों को ऑक्सीजन वाले बिस्तरों पर भर्ती किया
- इससे गौतमबुद्ध नगर में 23 अस्पताल व 4000 बिस्तर भी कम पड़ गए
- ऐसे में गंभीर रूप से बीमार लोगों को अस्पतालों में जगह नहीं मिल पाई
- शनिवार को खुद डीएम सुहास एलवाई फर्जीवाड़े की जांच करनेनिकले
- बिस्तर और कमरे घेरकर पड़े 200 से ज्यादा लोगों की छुट्टी करवाई गई
- डीएम ने मामूली संक्रमित मरीजों को भर्ती नहीं करने का आदेश दिया
- गलत ढंग से मरीज भर्ती करने वाले अस्पतालों पर कार्रवाई की जाएगी
- सबसे बड़े प्राइवेट यथार्थ अस्पताल में 62 बिस्तर खाली करवाए गए हैं
- कैलाश में 33, शारदा में 15, जेपी हॉस्पिटल में खाली हुए हैं 23 बिस्तर
- ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान में 20 बेड खाली हो गए
कोरोना संक्रमण का डर अस्पतालों में फर्जीवाड़े की वजह बन गया है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अस्पतालों ने ऐसे लोगों को भी भर्ती कर लिया, जिन्हें केवल होम आइसोलेशन की जरूरत है। लिहाजा, जिले में 23 अस्पताल और 4000 बिस्तर भी कम पड़ गए। इसका खामियाजा उन लोगों को भुगतना पड़ा जो गंभीर रूप से बीमार हैं। उन्हें न तो अस्पताल मिला और न इलाज।
जिले में चल रहे इस फर्जीवाड़े की जांच करने शनिवार को खुद जिलाधिकारी सुहास एलवाई बाहर निकले। उन्होंने जिले के ज्यादातर कोविड-19 हॉस्पिटल का दौरा किया। वहां उपचारत मरीजों और ड्यूटी में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों से बात की। डॉक्टर और सपोर्टिंग स्टॉफ का खुले दिल से आभार जताया। उन्होंने सभी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं, स्वच्छता और कोविड प्रोटोकॉल का जायजा लिया।
दरअसल, गौतमबुद्ध नगर के अस्पतालों में शुक्रवार को ही एक बड़े फर्जीवाड़े का सच सामने आया था। इसमें पता चला था कि जिले के कई नामी-गिरामी अस्पतालों में बिना जरूरत के लोगों को भर्ती किया गया है। इन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट वाले बिस्तर एलॉट किए गए हैं। जबकि नाजुक हालत वाले मरीजों को बेड नहीं मिल रहे हैं। अस्पताल में उनका इलाज नहीं हो रहा है। डीएम सुहास एलवाई ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ दीपक ओहरी की अगुवाई में डॉक्टरों की एक टीम बनाई। इस टीम ने सभी अस्पतालों का दौरा किया। उसके बाद यह सच सामने आया। बिना जरूरत बिस्तर और कमरे घेरकर पड़े 200 से ज्यादा लोगों की अस्पतालों से छुट्टी करवाई गई।
अब गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन ने सभी अस्पतालों को आदेश दिया है कि मामूली रूप से संक्रमित मरीजों को उपचार के लिए भर्ती नहीं करें। इससे बेड की मारामारी पर काफी हद तक काबू पाया जा सकेगा। हालांकि, उन सभी अस्पतालों पर कार्रवाई होगी जिन्होंने मरीजों को भर्ती करने के लिए गलत तरीका अपनाया है।
जिला प्रशासन ने ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान जिम्स में 20 बिस्तर खाली करवाए हैं। यह जिले में सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। यहां बिना जरूरत ये लोग भर्ती थे। सबसे बड़े प्राइवेट यथार्थ अस्पताल में 62 बिस्तर खाली करवाए गए हैं। कैलाश अस्पताल में 33, शारदा अस्पताल में 15, जेपी हॉस्पिटल में 23, फोर्टिस हॉस्पिटल में 4, प्रकाश अस्पताल में 30, सेक्टर-39 कोविड अस्पताल में 19, इंडोगल्फ अस्पताल से 2, जेआर अस्पताल से 7, एसआरएस अस्पताल से 2, सूर्या अस्पताल से 5 और मेट्रो अस्पताल से 4 मरीजों को डिस्चार्ज करके होम आइसोलेशन में भेज दिया गया है।
अब सवाल उठता है कि अस्पतालों ने ऐसा क्यों किया। जानकारों का कहना है कि लोग बिना वजह डर रहे हैं। अपनी बीमा पॉलिसी का उपयोग करके और सिफारिश के जरिए अस्पताल में भर्ती हो जाते हैं। प्राइवेट अस्पताल भी युवा और सामान्य रूप से संक्रमित मरीजों को तुरंत भर्ती क्र लेते हैं। ऐसे मरीजों पर कम वक्त देना पड़ता है और रिकवरी रेट अच्छा होता है। मृत्यु दर बहुत कम होती है।
किस अस्पताल से कितने मरीज निकाले गए अस्पताल का नाम निकाले गए मरीज
जिम्स : 20
यथार्थ अस्पताल : 62
कैलाश अस्पताल : 33
शारदा अस्पताल : 15
जेपी हॉस्पिटल : 23
फोर्टिस हॉस्पिटल : 4
प्रकाश अस्पताल : 30
सेक्टर- 39 कोविड अस्पताल : 19
इंडोगल्फ अस्पताल : 2
जेआर अस्पताल : 7
एसआरएस अस्पताल : 2
सूर्या अस्पताल : 5
मेट्रो अस्पताल : 4