अंतिम संस्कार करने वाला कोई नहीं है... घर में सिर्फ बच्चे हैं, पढ़ें कोरोना के काल में समाए शहर का हाल

गौतमबुद्ध नगरः अंतिम संस्कार करने वाला कोई नहीं है... घर में सिर्फ बच्चे हैं, पढ़ें कोरोना के काल में समाए शहर का हाल

अंतिम संस्कार करने वाला कोई नहीं है... घर में सिर्फ बच्चे हैं, पढ़ें कोरोना के काल में समाए शहर का हाल

Tricity Today | कोरोना के काल में समाया शहर

  • पिछले साल से भारत में शुरू हुए वायरस के संक्रमण का सिलसिला अब तक बदस्तूर जारी है
  • बीते साल से इस अप्रैल तक इस बीमारी ने लाखों घरों को बर्बाद कर दिया है
  • अब कोरोना से हुई मौतों के शवों के अंतिम संस्कार के लिए लोगों की कमी पड़ रही है
  • वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा ने गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन और नोएडा पुलिस से सहायता मांगी
कोरोना वायरस महामारी की वजह से दुनिया बेहाल है। पिछले साल मार्च से भारत में शुरू हुए वायरस के संक्रमण का सिलसिला अब तक बदस्तूर जारी है। बीते साल से इस अप्रैल तक इस बीमारी ने लाखों घरों को बर्बाद कर दिया है। खुशहाल जिंदगियां तबाही का मंजर देख रही हैं। क्या बच्चे-क्या बुजुर्ग, सब इस संक्रमण के शिकार बने हैं। जहां भी कोरोना वायरस ने एक बार दस्तक दी, वहां खुशियां बेजान हो जाती हैं। हालात इतने जटिल हो गए हैं कि अब कोरोना से हुई मौतों के शवों के अंतिम संस्कार के लिए लोगों की कमी पड़ रही है। जिन परिवारों में सभी सदस्य संक्रमित हैं, उनके यहां मौत होने पर दाह संस्कार की क्रिया कौन पूरी करे!

जिन घरों में सिर्फ बच्चे और बुजुर्ग हैं, वहां परिस्थितियां और दयनीय हैं। वायरस से संक्रमित बुजुर्गों की मौत के बाद बच्चे उनका दाह संस्कार करने में भी सक्षम नहीं है। हालांकि जनप्रतिनिधि, पत्रकार, स्वयंसेवी संगठनों के सदस्य और सोसाइटी के सक्रिय योद्धा इस बुरे वक्त में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। सोशल मीडिया और व्हॉट्सएप ग्रुप के जरिए लोगों से मदद मांगी जा रही है। ताकि उन अपनों का अंतिम संस्कार हो सके, जो कोरोना के काल में समा गए। सरकार और सरकारी संत्र सिर्फ अपने खोखेलपन को भरने की फिराक में हैं। बार-बार मांगने के बावजूद सहायता नहीं मिल रही है।

सिर्फ बच्चे हैं घर में
युवा पत्रकार आशीष महर्षि ने सोशल मीडिया पर एक परिवार की व्यथा व्यक्त की है। उन्होंने जेवर विधानसभा से भाजपा के विधायक धीरेंद्र सिंह से एक पीड़ित परिवार के लिए मदद की गुहाई लगाई है। आशीष ने लिखा है कि ग्रेटर नोएडा के बिसरख कोतवाली क्षेत्र में पॉल्म वैली सोसाइटी के पास एक घर में लाश पड़ी है। लेकिन अंतिम संस्कार करने वाला कोई नहीं है। घर में सिर्फ बच्चे हैं। उन्होंने विधायक धीरेंद्र सिंह से मदद मांगते हुए लिखा है कि, “घर में लाश पड़ी है, कोई उठाने वाला नहीं... केवल बच्चे हैं। धीरेंद्र सिंह जी, कृपया मदद करवा दें बहुत पुण्य का काम है। हालांकि धीरेंद्र सिंह स्वयं कोरोना से संक्रमित हैं और क्वारंटीन में अपना इलाज करा रहे हैं। लेकिन वह सोशल मीडिया और दूसरे माध्यमों से निवासियों की सेवा में जुटे हैं।
 
पूरा परिवार संक्रमित, कौन करे अंतिम संस्कार
नोएडा के वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा ने भी गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन और नोएडा पुलिस से सहायता मांगी है। सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा है कि नोएडा के सेक्टर-50 में एक परिवार के सभी सदस्य कोरोना से संक्रमित हैं। मां ललिता का निधन हो गया है। अंतिम संस्कार के लिए पुलिस-प्रशासन की मदद चाहिए। उन्होंने पीड़ित परिवार की जानकारी साझा की है। जिला प्रशासन और पुलिस से मदद की गुहार लगाते हुए उन्होंने लिखा है कि, “नोएडा सेक्टर 50 में इस परिवार के सभी सदस्य कोरोना पॉजिटिव है। मां ललिता का निधन हो गया। अंतिम संस्कार के लिए पुलिस प्रशासन की मदद चाहिए।“ हालांकि अब तक पीड़ित परिवार की मदद नहीं हो सकी है।
   
विधायक पंकज सिंह से लगाई गुहार
अब विनोद शर्मा ने नोएडा से भाजपा के विधायक पंकज सिंह से सहायता मांगी है। उन्होंने लिखा है कि, “अभी तक अंतिम संस्कार के लिए पुलिस या प्रशासन में किसी ने मदद नही की, सिर्फ ट्विट्टर पर जवाब दिया है। SHO साहब ने ACMO का नम्बर दिया। उन्होंने उठाया ही नहीं। विधायक पंकज जी कुछ मदद कीजिये इस परिवार की।” दरअसल नोएडा पुलिस ने वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा के ट्वीट पर जवाब देते हुए लिखा है कि, “आवश्यक कार्रवाई के लिए थाना प्रभारी सेक्टर-49 नोएडा (Mob-8595902537) को निर्देशित किया गया है।“ लेकिन तीन घंटे बीत जाने के बाद तक मृतक मां के दाह संस्कार की क्रिया पूरी नहीं हो सकी है।

ऐसे तमाम परिवार हैं
इस तरह की मदद के लिए पूरे शहर में लोग गुहार लगा रहे हैं। जनप्रतिनिधियों से लेकर अफसरों तक सबसे सहायता की उम्मीद लगाए बैठे हैं। लेकिन विफल सरकारी तंत्र अपनी नाकामी को छिपाने में जुटा है। जिला प्रशासन की मानें तो शहर में सब कुछ सामान्य है। छोटी-मोटी तकलीफें हैं। लेकिन प्रशासन उस सच से आंखें मूंदे बैठा है, जिससे जिले का हर एक नागरिक परेशान है। ऐसे सैकड़ों मामले हैं, जहां घर में सिर्फ बच्चे या बुजुर्ग हैं। वहां मौत के बाद अंतिम संस्कार करने वाला कोई नहीं है। सैकड़ों परिवार ऐसे हैं, जहां सब संक्रमित हैं। घर में एक मौत के बाद सरकारी सहायता की राह देखनी पड़ रही है। अपनों के शव को सामने देखते हुए घंटों बीत जा रहे हैं, लेकिन खोखले सरकारी तंत्र की सहायता नहीं पहुंच पा रही है।
 

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