नोएडा और दिल्ली के बीच लगने वाले भारी ट्रैफिक जाम का मामला देश की सबसे बड़ी अदालत (Supreme Court of India) में पहुंच गया है। नोएडा की रहने वालीं और दिल्ली में काम करने वालीं मार्केटिंग मैनेजर ने इस समस्या को लेकर सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया है। इस याचिका पर पक्ष रखने के लिए मार्केटिंग मैनेजर खुद अदालत के सामने हाजिर हुई थीं। जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामले पर सुनवाई की।
अदालत ने महिला की दलीलें सुनने के बाद केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी किया। जिसमें रास्ते में आने वाले अवरोधकों को दूर करने आदेश दिया गया है। अदालत यह सुनिश्चित करने का आदेश भी दिया है कि लोगों को एक जगह से दूसरी जगह जाने में सड़क पर रुकावटें ना आएं। मार्केटिंग के पेशे से जुड़ी और नोएडा की रहने वालीं मोनिका अग्रवाल ने कोर्ट में याचिका दाखिल की। उन्होंने केंद्र और दिल्ली पुलिस को निर्देश देने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की। मोनिका ने रिट पिटीशन दाखिल करके कहा है कि वह सिंगल पेरेंट हैं। मार्केटिंग के काम और स्वास्थ्य समस्याओं के चलते उन्हें दिल्ली जाना पड़ता है, लेकिन दिल्ली जाना अब उनके लिए एक बुरे सपने जैसा हो चुका है। केवल 20 मिनट के सफर को तय करने में उन्हें 2 घंटे का वक्त लगता है।
मोनिका अग्रवाल ने अदालत में खुद दलील दीं
अदालत ने मोनिका अग्रवाल की याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की। महिला ने कोर्ट के सामने खुद अपना पक्ष रखा और कहा कि इससे पहले भी कोर्ट की तरफ से सार्वजनिक सड़कों को बाधित नहीं किए जाने को लेकर कई दिशा निर्देश जारी किए जा चुके हैं। स्थानीय प्रशासन की तरफ से इन्हें अमल में नहीं लाया गया है। जिससे लाखों लोगों को हर रोज परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सभी पक्ष 9 अप्रैल को सवालों के जवाब देंगे
कोर्ट ने मोनिका अग्रवाल की दलीलों को सुनकर कहा कि अगर ऐसा है तो ये स्थानीय प्रशासन की विफलता है। कोर्ट ने नोटिस जारी करके सभी पक्षों को पूर्व में दिए गए आदेशों का पालन करने को। उठाए गए जरूरी कदमों की जानकारी 9 अप्रैल तक देने का आदेश दिया है। पक्षकारों को मोनिका अग्रवाल की याचिका में उठाए गए सवालों के जवाब देने के लिए कहा है। अब इस मामले पर कोर्ट अगली सुनवाई 9 अप्रैल को करेगी। आपको बता दें कि जस्टिस संजय किशन कौल ने नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में शाहीन बाग धरने को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर फैसला दिया था।
किसान आंदोलन से 4 महीनों से बंद हैं रास्ते
नागरिकता संशोधन कानून से जुड़े फैसले में जस्टिस कौल ने साफ तौर पर कहा था कि शांतिपूर्ण धरना हर नागरिक का अधिकार है, लेकिन सार्वजनिक जगहों को अनिश्चितकाल काल तक के लिए बाधित नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा था कि यह स्थानीय प्रशासन का कर्तव्य है कि कानून के अनुसार उचित कार्रवाई कर बाधित स्थान को खाली कराए। केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर पिछले 4 महीने से धरने पर बैठे हुए हैं। इससे दिल्ली आने-जाने के रस्ते बंद हैं। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं मुख्य न्यायाधीश की कोर्ट में लंबित हैं।