Noida News : डीएलएफ कंपनी और न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (Noida Authority) के बीच विवाद बढ़ रहा है। दरअसल, हाईकोर्ट के आदेश पर अथॉरिटी ने वीरन्ना रेड्डी को मुआवजे के रूप में 234 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। अब यह पैसा प्राधिकरण ने डीएलएफ कंपनी से मांगा है। लिहाजा, कंपनी ने अथॉरिटी की मांग को कानूनी चुनौती देने का फैसला लिया है।
अथॉरिटी ने डीएलएफ से मांगे 234 करोड़ रुपये
डीएलएफ कंपनी का कहना है कि इस डिमांड के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करेंगे। 30 सितंबर 2022 को समाप्त तिमाही में कंपनी को 487 करोड़ रुपये के शुद्ध लाभ हुए हैं। अथॉरिटी की मांग इस आय की लगभग आधी है। प्राधिकरण ने जमीन के पिछले मालिक को मुआवजे के रूप में भुगतान किया है। इस जमीन पर डीएलएफ ने प्रसिद्ध 'मॉल ऑफ इंडिया' का निर्माण किया है।
सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद पैदा हुआ विवाद
आपको बता दें कि कंपनी ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को फाइलिंग में बताया है, "डीएलएफ कानूनी सलाह के आधार पर नोएडा अथॉरिटी की मांग के खिलाफ सभी उचित कानूनी कार्रवाई करेगी।" यह पूरा मामला 5 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश की पृष्ठभूमि में पैदा हुआ है। जिसमें अदालत ने नोएडा को आदेश दिया कि जमीन के पिछले मालिक वीरन्ना रेड्डी को जमीन के मुआवजे का भुगतान सुनिश्चित करें।
डीएलएफ ने साल 2004 में नीलामी से खरीदी जमीन
यह विवाद 54,320.18 वर्ग मीटर भूमि के एक टुकड़े से संबंधित है। जिसे डीएलएफ ने साल 2004 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में एक शानदार मॉल बनाने के लिए नोएडा के सेक्टर-18 में खरीदा था। यह खरीद नोएडा अथॉरिटी की और से आयोजित एक खुली नीलामी में की गई थी। यह अब कई लक्जरी ब्रांडों के साथ भारत के सबसे बड़े मॉल्स में शामिल है। यह 'मॉल ऑफ इंडिया' के नाम से मशहूर है।
करीब 17 साल पहले डीएलएफ के नाम हुई रजिस्ट्री
डीएलएफ के अनुसार, उस समय नोएडा अथॉरिटी की ओर से मांगी गई भूमि की पूरी कीमत चुकाई गई। पूरा प्रतिफल लेने के बाद 25 फरवरी, 2005 को नोएडा ने डीएलएफ के पक्ष में एक लीज डीड निष्पादित की थी। रेड्डी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष दायर एक रिट याचिका में मुद्दा उठाया कि मुआवजे का भुगतान प्रचलित बाजार मूल्य के अनुसार किया जाना चाहिए। वीरन्ना रेड्डी की 7,400 वर्ग मीटर जमीन थी। उच्च न्यायालय ने 28 अक्टूबर 2021 के अपने आदेश में कहा कि नोएडा अथॉरिटी मुआवजे का निर्धारण करे। इसके बाद रेड्डी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की।
सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा की समीक्षा याचिका ख़ारिज की
डीएलएफ के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई, 2022 के अपने फैसले में कहा, "चूंकि नोएडा अथॉरिटी ने विवादित भूमि का अधिग्रहण किया था। जिसे डीएलएफ ने सार्वजनिक नीलामी में खरीदा था। इसलिए मुआवजे की राशि का भुगतान करने का दायित्व प्राधिकरण का होगा। इतना ही नहीं नोएडा ने सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर की। शीर्ष अदालत ने 10 अगस्त, 2022 को वह याचिका भी खारिज कर दी।
कंपनी ने कहा- अथॉरिटी का डिमांड नोटिस अवैध
अब स्टॉक एक्सचेंज की फाइलिंग में डीएलएफ ने कहा है कि समीक्षा याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "समीक्षा याचिका में दी गई चुनौती के तहत पूर्व के आदेश और उसके साथ संलग्न कागजात को ध्यान से देखा है। हम संतुष्ट हैं कि आदेश में कोई त्रुटि स्पष्ट नहीं है। पुनर्विचार का कोई उद्देश्य नहीं। तदनुसार समीक्षा याचिकाएं खारिज की जाती हैं।" डीएलएफ के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय का फैसला 7,400 वर्ग मीटर भूमि क्षेत्र के संबंध में है। वह आदेश किसी भी बढ़े हुए मुआवजे के लिए कोई दायित्व कंपनी पर नहीं डालता है। कंपनी ने कहा, "डीएलएफ पर मांग पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के विपरीत है। नोएडा द्वारा जारी किया गया डिमांड नोटिस पूरी तरह से विपरीत है और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है।" कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में यह भी कहा है कि प्रश्नगत भूमि मॉल परिसर का हिस्सा नहीं है।
डीएलएफ कंपनी का मुनाफा बढ़ा और कर्ज घटा
डीएलएफ लिमिटेड ने 30 सितंबर, 2022 को समाप्त तिमाही के लिए शुद्ध लाभ घोशियत किया है। इसमें सालाना आधार पर 28% वृद्धि हुई है। कंपनी को 487 करोड़ रुपये शुद्ध लाभ हुआ है। संयुक्त उद्यम के मुनाफे में वृद्धि और वित्त लागत में 39% की कमी के कारण यह लाभ बढ़ा है। तिमाही के दौरान कंपनी का राजस्व 13% से कम होकर 1,360 करोड़ रुपये पर आ गया। डीएलएफ ने तिमाही के दौरान 2,052 करोड़ रुपये की नई बिक्री बुकिंग दर्ज की, जबकि राजस्व संग्रह 1,252 करोड़ रुपये रहा है। कंपनी ने 30 सितंबर, 2022 को परिचालन नकदी प्रवाह के माध्यम से तिमाही के दौरान अपने शुद्ध ऋण को 117 करोड़ रुपये घटाकर 2,142 करोड़ रुपये कर दिया है। जो 30 जून, 2022 के अंत में 2,259 रुपये था।