235 करोड़ चुकाने से डीएलएफ का साफ इंकार, कहा- अथॉरिटी का कोई नोटिस नहीं मिला

DLF Noida : 235 करोड़ चुकाने से डीएलएफ का साफ इंकार, कहा- अथॉरिटी का कोई नोटिस नहीं मिला

235 करोड़ चुकाने से डीएलएफ का साफ इंकार, कहा- अथॉरिटी का कोई नोटिस नहीं मिला

Google Image | DLF Noida

Noida : नोएडा अथॉरिटी ने रियल एस्टेट डेवलपर डीएलएफ को मॉल ऑफ इंडिया सेक्टर-18 की भूमि के मुआवजे पर जमीन के पिछले मालिक को मुआवजे के रूप में 235 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए नोटिस जारी किया है। प्राधिकरण के अधिकारी 23 दिसंबर को नोटिस भेजने का दावा कर रहे हैं। हालांकि डीएलएफ ने कहा कि उसे अभी नोटिस प्राप्त नहीं हुआ है। बता दें उच्चतम न्यायालय के आदेश पर नोएडा प्राधिकरण ने मुआवजे के रूप में अतिरिक्त पैसा बैंगलुरू के रहने वाले एक शख्स को दे दिया है। अब प्राधिकरण इसकी भरपाई डीएलएलफ मॉल प्रबंधन से पैस लेकर करेगा। यह मामला पिछले 17 सालों से कोर्ट में चल रहा है।

प्राधिकरण और डीएलएफ मॉल का दावा
इसे मामले को लेकर डीएलएफ ने भी बयान जारी किया है। डीएलएफ के एक प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, "उन्हें अभी नोएडा अथॉरिटी की ओर से जारी की गई नोटिस नहीं मिली है। एक बार जब हमें यह मिल जाएगा, हम इसकी समीक्षा करेंगे।” दूसरी तरफ डीएलएफ मॉल को भुगतान के लिए नोटिस भेजने का दावा नोएडा प्राधिकरण की सीओ रितु माहेश्वरी ने किया है। दरअसल, इस जमीन के पूर्व मालिक को कुछ महीने पहले ही प्राधिकरण को अतिरिक्त करीब 340 करोड़ रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया। न्यायालय के आदेश के बाद प्राधिकरण ने अपने स्तर से याचिकाकर्ता से बात की और 235 करोड़ रुपये देने पर सहमति बनी।

क्या है पूरा मामला
दरअसल, जिस जमीन पर डीएलएफ मॉल बना है, वह जमीन कभी बेंगलुरु के रहने वाले रेड्डी विरेन्ना की हुआ करती थी। इस जमीन को रेड्डी ने 24 अप्रैल 1997 को छलेरा के रहने वाले एक किसान से खरीदा था। उसके बाद नोएडा प्राधिकरण ने इस जमीन का अधिग्रहण कर लिया और भूखंड योजना निकालकर डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड कंपनी को दे दिया। आज इस जमीन पर नोएडा का शानदार डीएलएफ मॉल बना हुआ है। मिली जानकारी के मुताबिक, नोएडा प्राधिकरण के कुछ अफसरों की मिलीभगत के कारण गलत तरीके से जमीन का अधिग्रहण किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने रेड्डी के पक्ष में सुनाया फैसला
नोएडा प्राधिकरण की इस गलती के खिलाफ रेड्डी विरेन्ना हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट चले गए थे। प्राधिकरण ने अपनी दलीलें सुप्रीम कोर्ट के सामने रखी थी, लेकिन कोर्ट ने रेड्डी के पक्ष में फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण को आदेश देते हुए कहा कि बेंगलुरु के रहने वाले रेड्डी को 235 करोड़ रुपए अतिरिक्त देना होगा और इस कीमत को नोएडा प्राधिकरण देगा। जिसके बाद अब नोएडा प्राधिकरण डीएलएफ यूनिवर्सल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को 235 करोड़ रुपए देने का नोटिस भेजा है। नोटिस में केवल 15 दिनों का समय दिया गया है।

7,400 वर्गमीटर प्लॉट का अधिग्रहण
नोएडा प्राधिकरण ने साल 2005 में भूमि मालिक रेड्डी विरेन्ना से लगभग 7,400 वर्गमीटर प्लॉट का अधिग्रहण किया था। जिन्होंने बाद में इस आधार पर अधिग्रहण पर आपत्ति जताई कि प्रस्तावित मुआवजा अनुचित था। 31 जनवरी 2011 को गौतमबुद्ध नगर प्रशासन ने 18,00,481 रुपये मुआवजा और 181.87 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से ब्याज देने का फैसला किया। जिसे रेड्डी ने अस्वीकार कर दिया।

अथॉरिटी और रेड्डी के लंबी कानूनी लड़ाई चली
इसके बाद नोएडा प्राधिकरण और रेड्डी विरेन्ना के बीच एक लंबी कानूनी लड़ाई की शुरुआत हुई, जो गौतमबुद्ध नगर जिला अदालत में शुरू हुई। फिर इलाहाबाद उच्च न्यायालय तक और अंततः सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच गई। सुप्रीम कोर्ट में 5 मई, 2022 को जस्टिस विनीत सरन और जेके माहेश्वरी की बेंच ने प्राधिकरण को 15% ब्याज और 3% दंडात्मक ब्याज के साथ 1,10,000 प्रति वर्गमीटर की दर से भूमि के मुआवजे का भुगतान करने का आदेश दिया। अथॉरिटी एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटिशन में गई। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया और प्राधिकरण को राहत देने से इंकार किया। इसके बाद अथॉरिटी ने रेड्डी विरेन्ना को मुआवजा देने का फैसला लिया है। आपको बता दें कि गौतमबुद्ध नगर ही नहीं पूरे उत्तर प्रदेश के इतिहास में यह सबसे बड़ी मुआवजा दर है।

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