NOIDA : पूरे देश में आज किसान आज बुधवार को केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के विरोध में काला दिवस मना रहे है। बुधवार की सुबह भारतीय किसान यूनियन टिकैत संगठन के सैकड़ो कार्यकर्ताओं ने नोएडा के सेक्टर-18 में केन्द्र सरकार नए कृषि कानूनों के विरोध में काले झंडे के साथ काला दिवस मनाते हुए नारेबाजी की है। नोएडा के सेक्ट-52 में भी भारतीय किसान संगठन ने काला दिवस मनाकर पुलिस को नए कृषि कानूनों के विरोध में ज्ञापन सौंपा है।
टिकैत कार्यकर्ताओं ने की काले झंडे लेकर की नारेबाजी
तीन कृषि कानून के खिलाफ बुधवार को भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ता नोएडा के सेक्टर-18 में पहुंचे। भारतीय किसान यूनियन टिकैत के कार्यकर्ताओं ने हाथ में काले झंडे लेकर केंद्र सरकार का विरोध किया है और नारेबाजी की है। हालांकि कुछ समय बाद पुलिस ने आकर किसानों को समझाया और वापस भेज दिया। वहीं, दूसरी ओर नोएडा के सेक्टर-52 होशियारपुर में भारतीय किसान संगठन के कार्यकर्ताओं ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी करते हुए काला दिवस मनाया है।
भारतीय किसान संगठन ने पुलिस को ज्ञापन सौंपा
भारतीय किसान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेन्द्र यादव का कहना है कि केन्द्र सरकार तीन काले कानूनों लेकर आई है। पिछले 6 महीने से किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर बैठकर इन तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। लेकिन सरकार जागने का नाम नहीं ले रही है। उन्होंने बताया कि बुधवार को तीन कृषि कानूनों को पूरे 6 महीने हो गए है। जिस वहज से देश के सभी किसान संगठन इस दिन को काला दिवस के रूप में मना रहे है। किसानों ने नारेबाजी करते हुए पुलिस को कृषि कानूनों के खिलाफ ज्ञापन सौंपा है।
पूरे देश में किसान मना रहे काला दिवस
आपको बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों को आज पूरे 6 महीने हो गए हैं। पूरे देश में किसान संगठन तीन कृषि कानून का विरोध करें हैं। जब से सरकार ने यह कानून लागू किए हैं। तब से ही देश के अलग-अलग हिस्सों में इन कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन जारी है। किसान एक साथ एकत्रित होकर दिल्ल-एनसीआर, नोएडा, गाजियाबाद, पंजाब और हरियाणा से दिल्ली की सीमा के लिए कूच कर रहा है। नोएडा और गाजियाबाद में पुलिस सक्रिय हो गई है।
22 जनवरी के बाद नहीं हुई सरकार और किसानों की वार्ता
पिछले साल भारत सरकार ने 3 नए कृषि सुधार कानूनों को संसद में पारित कराया था। पहले दिन से ही इस पर हरियाणा, पंजाब और यूपी वेस्ट के किसानों ने आपत्ति जताई। धीरे-धीरे किसानों के संगठन और समूह एकजुट होकर दिल्ली की सीमाओं पर आ डटे। हालांकि, इन कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच 10-12 दौर की बातचीत हुई। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। संगठनों और सरकार के बीच 22 जनवरी के बाद से कोई वार्ता नहीं हुई है। किसान संगठनों की मांग है कि भारत सरकार इन कानूनों को निरस्त करे। जबकि, केंद्र का कहना है कि कानून दुरुस्त हैं। अगर आपत्ति है तो संशोधन किया जा सकता है।
किसानों के आन्दोलन को आज 6 महीने पूरे हो रहे हैं
इसी साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर कुछ उत्पाती लोगों ने राजधानी दिल्ली में हिंसा कर दी थी। जिसके बाद ज्यादातर किसान संगठनों ने अपना प्रदर्शन समाप्त कर दिया था और वापस लौट गए थे। हालांकि, भारतीय किसान यूनियन ने अपने अध्यक्ष राकेश टिकैत की अगुवाई में गाजियाबाद-दिल्ली बॉर्डर पर धरना जारी रखा। यह अब तक बदस्तूर जारी है। 26 मई को किसान आंदोलन के 6 महीने पूरे हो रहे हैं। इसीलिए भारतीय किसान यूनियन ने इस दिन को ‘काला दिवस’ मनाने की घोषणा की है। संगठन ने पूरे देश के किसानों से एकजुट होकर दिल्ली कूच करने की गुहार लगाई है।
राष्ट्रीय लोकदल ने 'काला दिवस' को समर्थन दिया
राष्ट्रीय लोकदल के नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा है कि वह मंगलवार को किसानों के समर्थन में ''काला दिवस'' मनाएंगे। सोमवार को ही उन्हें पार्टी पदाधिकारियों ने चौधरी अजीत सिंह की जगह पार्टी का नया मुखिया चुना है। वह वेस्ट यूपी में पार्टी को जिंदा करने में जुटे हैं। उन्होंने किसानों से भारी संख्या में इस संघर्ष में भाग लेने की अपील की है। दरअसल, इस वक्त आंदोलन में सबसे ज्यादा सक्रिय वेस्ट यूपी के किसान हैं। उनको साधने का यह बेहतर मौका है। जयंत चौधरी इस मौके को गंवाना नहीं चाहते हैं।