Noida : दिल्ली से सटे नोएडा को पूरे देश में स्मार्ट सिटी के तौर पर गिना जाता है। नोएडा प्राधिकरण हर वर्ष करोड़ों रुपए नई-नई परियोजनाओं में लगाती है। शहर को हाईटेक बनाने के लिए विदेशी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन आइक्यूएअर की वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट-2021 के अनुसार दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों की लिस्ट में नोएडा सातवें स्थान पर है। गाजियाबाद दुनिया के प्रदूषित शहरों में दूसरे नंबर पर है।
करोड़ रुपए खर्च
नोएडा में लगभग हर साल अक्टूबर के पहले सप्ताह के दौरान वायु प्रदूषण का असर देखने को मिले लगता है, जो जनवरी के अंत तक रहता है। प्रदूषण बढ़ने के साथ ही नोएडा प्राधिकरण की ओर से संबंधित विभागों के साथ मिलकर कार्रवाई और जागरूकता का सिलसिला शुरू होता है। इस दौरान जहां नोएडा प्राधिकरण की ओर से समय-समय पर सड़क पर पानी का छिड़काव किया जाता है। लेकिन करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद दुनिया के सातवें पायदान पर नोएडा का आना बड़ा सवाल खड़ा करता है।
दिल्ली को इस सूची में चौथा स्थान
अगर कुल मिलाकर बात करें तो दिल्ली और उसके सटे यूपी के बॉर्डर सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में गिने जाते हैं। हाल की एक रिपोर्ट में विश्व के सबसे प्रदूषित 100 शहरों में से भारत के 63 शहरों का नाम सामने आया है। दुनिया का सबसे प्रदूषित स्थान राजस्थान का भिवाड़ी है। राजधानी दिल्ली इस सूची में चौथे स्थान पर है। दुनिया के सभी राजधानियों की तुलना में दिल्ली सबसे अधिक प्रदूषित वाली राजधानी बन चुकी है।
पिछले 4 वर्षों में की गई कार्रवाई वर्ष इकाई जुर्माना कोर्ट केस
2019 390 एक करोड़ 80 लाख 60 हजार 23
2020 189 एक करोड़ 15 लाख 55 हजार 0
2021 150 एक करोड़ 25 लाख 80 हजार 4
2022 20 9 लाख 0
इन वजहों के चलते प्रदूषण से बुरा हाल
नोएडा पूरी तरह लैंडलॉक्ड सिटी है। चारों ओर दूसरे प्रदूषित शहरों से घिरा है। ऐसे में हवा दिल्ली, गाजियाबाद, गुड़गांव और फरीदाबाद का प्रदूषण इस तरफ लेकर आती है।
नोएडा औद्योगिक शहर है और अभी भी पूरी तरह इंडस्ट्री क्लीन फ्यूल पर आधारित नहीं है। बड़ी संख्या में उद्योग डीजल और कोयले का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे प्रदूषण नियंत्रण मुश्किल हो रहा है।
नोएडा में वाहनों की संख्या बहुत अधिक है। लोग सार्वजनिक वाहनों से चलने में परहेज बरतते हैं। दूसरी तरफ एनसीआर के शहरों में आवागमन करने के लिए रोजाना लाखों वाहन शहर से होकर गुजरते हैं।
पूरे जिले में निर्माण गतिविधियां कई वर्षों से चरम पर हैं। जिनके कारण वायु प्रदूषण बढ़ता है। एक तरफ वाहनों का धुआं और दूसरी तरफ निर्माण साइटों से उठने वाली धूल मिलकर जानलेवा कॉकटेल बना रहे हैं।
शहर में सड़कों की सफाई पूरी तरह धूल रहित नहीं है। सड़कों के किनारों पर कच्ची मिट्टी और रेत के सोल्डर हैं। जब भारी वाहन गुजरते हैं तो वहां से भी बड़ी मात्रा में वायु प्रदूषण पैदा हो रहा है।