मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली राज्य सरकार नोएडा की सूरत बदलेगी। इस संबंध में नया मास्टर प्लान (City Development Plan) बनाने की कवायद शुरू हो गई है। जरूरत पड़ने पर मास्टर प्लान में संशोधन किया जाएगा। नई प्रोजेक्ट के मुताबिक गौतमबुद्ध नगर में बढ़ती आबादी, बढ़ते मकान और यातायात के संसाधनों तथा ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के स्थलों जैसे तालाबों, जलाशयों झीलों आदि को ध्यान में रखते हुए प्लान तैयार किया जाएगा। बर्ड सेंचुरी, रिजर्व फॉरेस्ट, पर्यावरण एवं वन तथा अन्य संरक्षित क्षेत्रों का विशेष ध्यान रखा जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मास्टर प्लान को जीआईएस आधारित रखने का आदेश दिया है। इसके मुताबिक शहर को तैयार करने के बाद गौतमबुद्ध नगर की अलग तस्वीर दिखाई देगी।
दरअसल योगी सरकार उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी वाराणसी और रामनगरी अयोध्या की सूरत बदलने में जुटी है। मगर अब राज्य के 14 बड़े शहरों को विकसित करने की योजना पर काम चल रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन बड़े शहरों की भविष्य की जरूरतों का संज्ञान लेते हुए मास्टर प्लान में परिवर्तन करने की अनुमति दी है। इसके तहत अब लखनऊ सहित सूबे के 14 बड़े शहरों का नया मास्टर प्लान (सिटी डेवलपमेंट प्लान) बनेगा। इसके अलावा कुछ शहरों के मास्टर प्लान में संशोधन किया जाएगा।
ऐतिहासिक महत्व के स्थानों को संरक्षित किया जाएगा
आवास विभाग के अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि नए तैयार किए जाने वाले मास्टर प्लान में ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व वाले स्थलों के सौंदयीर्करण एवं संरक्षण पर बल दिया जाएगा। तालाबों, जलाशयों, झीलों, वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, रिजर्व फॉरेस्ट, पयार्वरण एवं वन और अन्य संरक्षित क्षेत्रों का विशेष ध्यान रखा जाएगा। इन बड़े शहरों का सिटी डेवलपमेंट प्लान तैयार कराने के लिए आवास विभाग में कंसल्टेंट का चयन करने की कवायद शुरु हो गई है।
14 शहरों को किया जाएगा विकसित
अधिकारियों ने बताया कि लखनऊ, कानपुर, चित्रकूट, गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज, झांसी, आगरा, मथुरा, बरेली, मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद और गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) का कायाकल्प किया जाएगा। ये मुख्यमंत्री की बेहद महत्वकांक्षी योजना है। इन कार्यों के बाद ये शहर खूबसूरत दिखेंगे। जिसके चलते यहां पर्यटन कारोबार में इजाफा होगा। लोगों को रोजगार मिलेगा। इसको ध्यान में रखते हुए ही मुख्यमंत्री ने उक्त शहरों का सिटी डेवलपमेंट प्लान तैयार कराने के आदेश दिया है।
जमीन का बेहतर उपयोग किया जाएगा
आवास विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार तैयार किये जाने वाले मास्टर प्लान में नए सिरे से शहरों के तमाम क्षेत्रों का भूउपयोग तय किया जाएगा। इसके लिए जरुरी कार्यवाही शुरु कर दी गई। मास्टर प्लान तैयार करने में शहरों में मौजूदा जरूरतों के हिसाब से भू उपयोग निर्धारित किया जाएगा। नदियों, हवाई अड्डा, बस स्टैंड, सैन्य क्षेत्रों सहित तमाम कारकों को मास्टर प्लान में प्रदर्शित किया जाएगा। नया मास्टर प्लान जीआईएस आधारित होगा। इस संबंध में सचिव आवास की अध्यक्षता में बनी समिति मास्टर प्लान में जरूरत के हिसाब से नए कारक जोडऩे के लिए प्रस्ताव तैयार करेगी।
क्षेत्रीय विकास की योजनाओं को मिलेगी प्राथमिकता
मुख्यमंत्री ने नए मास्टर प्लान में क्षेत्रीय विकास की योजनाओं को भी शामिल करने का निर्देश दिया है। ताकि संबंधित शहरों को आने वाले दिनों में किसी तरह की दिक्कत न हो। यहीं नहीं, 14 बड़े शहरों के लिए तैयार किये जाने वाले मास्टर प्लान में इन शहरों में सेना की फायरिंग रेंज को ‘डेंजर एरिया’ के रूप में घोषित किया जाएगा। वर्तमान जरूरतों के हिसाब से नए औद्योगिक क्षेत्र, बस अड्डे, मास्टर प्लान रोड तथा वाटर वर्क्स व एसटीपी, कूड़ा निस्तारण केंद्र सहित अन्य तमाम कारक भी मास्टर प्लान में चिन्हित होंगी। सूत्रों ने बताया कि शहरों में जिन लोगों ने लैंड यूज के खिलाफ निमार्ण कराएं हैं, उनका समायोजन मास्टर प्लान में शासनादेश के मुताबिक ही हो पाएगा। मास्टर प्लान में नदी तटबंध के निर्माण की दशा में नदी किनारे तटबंध के रूप में ही प्रस्तावित होंगे।