शशि थरूर, राजदीप सरदेसाई और मृणाल पांडे सहित आठ आरोपियों से जल्दी होगी पूछताछ, मामले को मजबूत आधार देने में जुटी है पुलिस

नोएडा : शशि थरूर, राजदीप सरदेसाई और मृणाल पांडे सहित आठ आरोपियों से जल्दी होगी पूछताछ, मामले को मजबूत आधार देने में जुटी है पुलिस

शशि थरूर, राजदीप सरदेसाई और मृणाल पांडे सहित आठ आरोपियों से जल्दी होगी पूछताछ, मामले को मजबूत आधार देने में जुटी है पुलिस

Google Image | नोएडा पुलिस आठ आरोपियों से पूछताछ की तैयारी कर रही है

राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुए उपद्रव के संबंध में नोएडा पुलिस जल्दी ही आरोपियों से पूछताछ करेगी। इस मामले में कांग्रेस सांसद शशि थरूर और अन्य 6 वरिष्ठ पत्रकारों सहित 8 आरोपियों के खिलाफ नोएडा के सेक्टर-20 कोतवाली में मामला दर्ज हुआ है। शिकायतकर्ता ने पुलिस को कई सबूत पुलिस सौंपे हैं। नोएडा पुलिस भी दिल्ली पुलिस से साक्ष्य जुटा रही है। मामला हाईप्रोफाइल लोगों से जुड़ा है, इसलिए नोएडा पुलिस पूछताछ से पहले इनके खिलाफ मजबूत आधार तैयार करनें में जुटी है। इस संबंध में सोशल मीडिया से जुड़े एकाउंट्स की छानबीन की जा रही है। पुलिस हर छोटी-बड़ी जानकारी को फाइलों में जोड़ रही है। माना जा रहा है कि जल्दी ही मामले से जुड़े आठ लोगों से पूछताछ की जाएगी।

शहर में रहने वाले अर्पित मिश्रा नाम के व्यक्ति ने थाना सेक्टर-20 कोतवाली पुलिस को गुरुवार की देर शाम शिकायत दी थी। इसमें मांग की गई है कि तिरुअनंतपुरम से सांसद शशि थरूर, इंडिया टुडे के न्यूज़ एंकर राजदीप सरदेसाई, नेशनल हेराल्ड की सलाहकार संपादक मृणाल पांडे, कौमी आवाज उर्दू समाचार पत्र के मुख्य संपादक जफर आगा, कारवां मैगजीन के मुख्य संपादक, प्रकाशक और मुद्रक परेशनाथ, मैगजीन के संपादक अनंतनाथ और कार्यकारी संपादक विनोद के जोश के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। शिकायतकर्ता ने लिखा, "मैं कानून में विश्वास रखने वाला एक भारतीय नागरिक हूं। 26 जनवरी 2021 को जानबूझकर कराए गए दंगे से अत्यंत दुखी हैं। इन व्यक्तियों ने पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर ऐसा कार्य किया, जिससे देश की सुरक्षा और जनता का जीवन खतरे में पड़ गया। एक षड्यंत्र के तहत सुनियोजित दंगा कराने और लोक सेवकों की हत्या करने के उद्देश्य से इन लोगों ने राजनीतिक हिंसा और दंगे कराए हैं।"

किसान की हत्या का दुष्प्रचार करने का आरोप
एफआईआर में लिखा है, "प्रदर्शनकारियों को 26 जनवरी 2021 को गणतंत्र दिवस परेड के पश्चात निश्चित मार्ग प्रदान करते हुए शांति व्यवस्था बनाए रखने को कहा गया था। शर्तों के तहत विरोध प्रदर्शन की अनुमति दी गई थी। कुछ उपद्रवी तत्वों ने इस अनुमति और निर्धारित मार्ग का उल्लंघन किया। अपनी मांगों को जबरदस्ती मनवाने के लिए कानून तोड़ा। पुलिसकर्मियों को बुरी तरह घायल किया। लोक संपत्ति को भी बड़ी क्षति पहुंचाई है। इन दंगों और हिंसात्मक घटनाओं के लिए यह सभी सातों लोग जिम्मेदार हैं। इन लोगों के समाचार पत्रों, मैगजीन और डिजिटल माध्यमों ने गलत ढंग से प्रकाशन किया। देश की जनता को गुमराह करने वाले और उकसाने वाले समाचार प्रसारित किए गए। इन लोगों ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट किए। जिसमें लिखा गया कि पुलिस ने आंदोलनकारी एक ट्रैक्टर चालक की हत्या कर दी है। 

शिकायतकर्ता ने पुलिस की सराहना की है
एफआईआर में आगे लिखा गया है, "यह एक ज्ञात तथ्य है कि उपद्रवी तत्वों ने उकसाने वाली कार्रवाई की। बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को घायल कर दिया। पुलिस बल ने संयम का परिचय दिया। व्यवसायिक दक्षता के साथ उपद्रवी लोगों को शांत किया। इसके बावजूद इन लोगों ने पारस्परिक सहयोग और एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत गलत जानकारी प्रसारित की है। इन लोगों ने जानबूझकर लिखा कि आंदोलनकारी को पुलिस ने गोली मार दी है। ऐसा दूषित आशय के तहत बड़े पैमाने पर दंगे भड़काने और समुदायों के बीच तनाव उत्पन्न करने के लिए किया गया। इन दंगों और धार्मिक तनाव का प्रभाव अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे देश पर भी पड़ना स्वाभाविक होता है। इन आरोपियों ने प्रदर्शनकारियों को हिंसा के लिए उकसाने और अपने राजनीतिक व व्यक्तिगत लाभ के लिए भड़काने की कोशिश की है। इनके ट्वीट्स से पैदा हुए माहौल के कारण प्रदर्शनकारी लाल किला परिसर तक पहुंच गए। वहां धार्मिक और अन्य झंडे लगा दिए। उस स्थान पर भारत का राष्ट्र ध्वज फहराया गया था। भारतीय इतिहास में इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिए अभियुक्तगणों को जिम्मेदार माना जाना चाहिए।"

लोकतांत्रिक सरकार के खिलाफ षडयंत्र का आरोप
शिकायत में आगे लिखा गया है कि लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई केंद्र सरकार के प्रति दुर्भावनापूर्ण और प्रतिशोध की भावना से इन लोगों ने ट्वीट किए। गलत और भड़काऊ सूचना प्रसारित की गई। पूर्व में भी इन लोगों ने ऐसे कृत्य किए हैं। भारतीय गणतंत्र के 72वें समारोह में देश-विदेश के अनेक महत्वपूर्ण व्यक्ति और जनता मौजूद थी। इन लोगों ने पुलिस और सशस्त्र बल की छवि खराब करने के लिए इस प्रकार के ट्वीट किए हैं। इनके इस कृत्य ने भारतीय गणतंत्र के विरुद्ध विद्रोह, समुदायों के बीच वैमनस्य दंगे और हिंसा के लिए जहरीले बीज बोन का प्रयास किया है। इससे देश में हिंसात्मक विद्रोह और आतंक की स्थिति उत्पन्न हुई। यह हमारे जैसे देशवासियों के लिए खतरनाक और चिंतनीय है। इससे नागरिकों के मन में अशांति उत्पन्न होना और देश के विरुद्ध अपराध का माहौल बनना स्वाभाविक है।"

राष्ट्रीय एकता के खिलाफ माहौल बनाने का भी आरोप
शिकायत में आगे कहा गया है कि इनका वक्तव्य दुर्भावनापूर्ण और गैर जिम्मेदाराना था। जिससे विभिन्न जातियों, समुदायों, धार्मिक समूहों के मध्य विद्वेष, घृणा और वैमनस्य फैला है। इनका यह वक्तव्य कि पुलिस ने जानबूझकर किसान को गोली मार दी है, इससे विभिन्न धार्मिक समुदायों के मध्य भय और असुरक्षा की भावना पैदा करने वाला है। इस संवेदनशील परिस्थिति में राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा पैदा करने वाला है। इनके ट्वीट पर संज्ञान लेकर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। इनके ट्वीट को तत्काल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाया जाना चाहिए। यह संदेश बहुत बार फॉरवर्ड होकर अनेक लोगों तक पहुंच चुके हैं और गलत सूचना प्रसारित हुई है। इससे देश की शांति व्यवस्था और कानून व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। एफआईआर में शिकायतकर्ता ने लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए, 153बी, 295ए, 298, 504, 506, 124ए, 120बी, 34 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम-2000 की धारा 66 के तहत मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।

जनप्रतिनिधियों और पत्रकारों को धमकाकर लोकतंत्र को कमजोर कर रही है सरकार : प्रियंका 

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने शनिवार को कहा कि जनप्रतिनिधियों और पत्रकारों को धमकाने का चलन बेहद खतरनाक है। इससे देश में लोकतंत्र और लोगों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता खतरे में पड़ रही है। पार्टी की उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने इस बारे में ट्वीट किया। उन्होंने लिखा कि, ''भाजपा सरकार द्वारा पत्रकारों एवं जनप्रतिनिधियों को प्राथमिकी दर्ज कर धमकाने का चलन बहुत ही खतरनाक है। लोकतंत्र का सम्मान सरकार की मर्ज़ी नहीं, बल्कि उसका दायित्व है। भय का माहौल लोकतंत्र के लिए ज़हर के समान है। भाजपा सरकार ने वरिष्ठ पत्रकारों व जनप्रतिनिधियों को धमकाने के लिए प्राथमिकी दर्ज करके लोकतंत्र की मर्यादा को तार-तार किया है।” इससे पहले भी कांग्रेस, सपा और दूसरे विपक्षी दल भाजपा पर विपक्षियों की आवाज दबाने का आरोप लगाते रहे हैं। शशि थरूर  सहित 8 पत्रकारों और मुकदमें के बाद विपक्षी खेमा लामबंद हो गया है।

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