इस समय पूरे देश को डॉक्टर की काफी ज्यादा आवश्यकता है। सरकार चाहती है कि डॉक्टर किसी भी रूप में उनकी मदद करने के लिए तैयार हो। लेकिन कोरोना काल के ऐसे विपरीत समय में नोएडा के सेक्टर-30 में स्थित चाइल्ड पीजीआई अस्पताल और पीजी शिक्षण संस्था के निदेशक डॉ.डीके गुप्ता ने उत्तर प्रदेश शासन को अपना इस्तीफा पत्र भेजा है।
डॉ. डीके गुप्ता 2018 में चाइल्ड पीजीआई अस्पताल के निर्देशक बने थे। इससे पहले वह एम्स में एचओडी पद पर भी तैनात थे। कोरोना काल के दौरान उन्होंने दूसरी बार उत्तर प्रदेश शासन को अपना इस्तीफा पत्र भेजा है। डॉ.डीके गुप्ता 2018 में चाइल्ड पीजीआई के निदेशक बनने के बाद 2020 में कोरोना काल के दौरान ही उन्होंने सबसे पहले शासन को अपना इस्तीफा पत्र भेजा था। उसके बाद उन्होंने अब 24 अप्रैल 2021 को कोरोना काल के दौरान ही अपना इस्तीफा पत्र उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को भेजा है।
बताई बड़ी वजह
डॉ डीके गुप्ता ने अपना इस्तीफा पत्र भेजते हुए कहा है कि वह इस समय गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं। उनको हमेशा दिक्कत रहती है। वह ज्यादा चल भी नहीं सकते। कुल डेढ़ सौ मीटर चलने पर ही उनका सांस फूलने लगता है। इसके अलावा उनकी पत्नी भी गंभीर बीमारियों से पीड़ित है। जिसकी वजह से वह अपने पद से इस्तीफा देना चाहते हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार इस बात का क्या विचार कर रही है। इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता।
ट्राईसिटी टुडे की खबर के बाद अस्पताल में शुरू हुआ कोरोना मरीजों का इलाज
आपको बता दें कि करीब 8 दिनों पहले नोएडा के सुपर स्पेशलिटी चाइल्ड पीजीआई हॉस्पिटल को कोरोना वायरस से संक्रमित बीमारों के लिए खोल दिया गया है। इस मामले को ट्राईसिटी टुडे ने प्रमुखता से उठाया था। राज्य सरकार के आदेश पर यह फैसला हुआ है। अब कोरोना संक्रमण के गंभीर रूप से बीमार मरीजों का इलाज यह संस्थान कर रहा है। चाइल्ड पीजीआई में वेंटिलेटर समेत तमाम अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरण उपलब्ध हैं। शहर के प्रमुख सामाजिक संगठन राष्ट्रीय लोक अधिकार मंच ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर बताया था कि तमाम सुविधाएं उपलब्ध होने के बावजूद यह अस्पताल कोरोना वायरस का उपचार नहीं कर रहा है।
ट्राईसिटी टुडे ने 17 अप्रैल को "कोरोना से हाहाकार और नोएडा पीजीआई पड़ा बेकार, शहर के बड़े सामाजिक संगठन ने सीएम को लिखा पत्र" शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। बताया था कि नोएडा शहर के एक बड़े सामाजिक संगठन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को पत्र लिखकर नोएडा चाइल्ड पीजीआई (Noida Child PGI) से जुड़ी कुछ जानकारियां भेजी हैं। सामाजिक संगठन के सचिव की ओर से कई गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं। संगठन का आरोप है कि इस वक्त शहर में कोरोनावायरस संक्रमण के कारण हाहाकार मचा हुआ है। दूसरी ओर 1,200 करोड रुपए की लागत से बना चाइल्ड पीजीआई अस्पताल हाथ पर हाथ धरकर बैठा हुआ है। बड़ी बात यह है कि इस अस्पताल में 250 से ज्यादा बेड उपलब्ध हैं। जिन पर तमाम अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं। इसके बावजूद लोग सड़कों पर धक्के खा रहे हैं।
अस्पताल के पास स्टाफ और संसाधनों की कमी नहीं
इस अस्पताल में 40 से अधिक डॉक्टर हैं। 250 नर्स और 26 टेक्नीशियन हैं। लोक अधिकार संगठन के सचिव ने कहा कि सरकार कोविड-19 सुविधाएं विकसित करने के लिए पैसा देना चाहती है। उपकरण देना चाहती है, लेकिन यहां उपलब्ध संसाधनों को इस संकट के समय में भी उपयोग में नहीं लाया जा रहा है। इस अस्पताल के पास स्टाफ और उपकरणों की कोई कमी नहीं है। इस वक्त यह संस्थान लोगों की जान बचाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। राष्ट्रीय लोक अधिकार संगठन का कहना है कि करीब 1,200 करोड रुपए में अस्पताल बनाया गया है। इस पर 100 करोड़ रुपए सालाना खर्च किए जा रहे हैं। अस्पताल लगभग बंद पड़ा हुआ है। अंकित अरोड़ा ने अपने पत्र में नोएडा पीजीआई अस्पताल के डायरेक्टर डीके गुप्ता और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डीके सिंह पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि संकटकाल में शासन को सही तथ्यों से यह दोनों अफसर अवगत नहीं करवा रहे हैं। यह जांच का विषय है। पब्लिक सड़क पर मर रही है। लोगों को बेड नहीं मिल रहे हैं। वेंटिलेटर नहीं मिल रहा है। इस अस्पताल में डॉक्टर, नर्स, स्टाफ खाली बैठे हुए हैं। एचएसएनसी सीपैक और वेंटिलेटर तालों में बंद हैं।