गौतमबुद्ध नगर जिला एवं सत्र न्यायालय ने सोमवार को सुंदर भाटी को उम्रकैद की सजा सुनाई है
सुंदर के 11 गुर्गों को भी अदालत ने सजा सुनाई है
हरेंद्र नागर प्रधान हत्याकांड में यह सजा सुनाई गई है
अदालत ने 25 मार्च को ही मामले की सुनवाई के बाद सुंदर भाटी समेत 12 आरोपियों को दोषी करार दिया था
आखिरकार कुख्यात गैंगस्टर सुंदर भाटी (Gangster Sunder Bhati) को पहली बार सजा हो गई है। गौतमबुद्ध नगर जिला एवं सत्र न्यायालय ने सोमवार को उसे उम्रकैद की सजा सुनाई है। सुंदर के 11 गुर्गों को भी अदालत ने सजा सुनाई है। इन लोगों को हरेंद्र नागर प्रधान हत्याकांड में यह सजा सुनाई गई है।
इस बहुचर्चित केस में कुख्यात गैंगस्टर सुंदर भाटी समेत 12 अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। जबकि एक को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया है। घटना के दौरान शहीद एक पुलिसकर्मी के परिजनों को एक लाख रुपये की आर्थिक मदद देने का भी आदेश कोर्ट ने दिया है। इसके साथ ही गौतमबुद्ध नगर जिला एवं सत्र न्यायालय में हरेंद्र नागर हत्याकांड की सुनवाई पूरी हो गई। दरअसल अदालत ने 25 मार्च को ही मामले की सुनवाई के बाद सुंदर भाटी समेत 12 आरोपियों को दोषी करार दिया था। पहली बार कुख्यात गैंगस्टर सुंदर भाटी को किसी मामले में दोषी ठहराया गया था।
पहले न्यायालय 31 मार्च को इस केस का फैसला सुनाने वाली थी। लेकिन बीते बुधवार को एक अधिवक्ता का निधन हो गया। जिसके चलते बार एसोसिएशन ने शोक की घोषणा कर दी। पिछले मंगलवार को न्यायाधीश के छुट्टी पर होने के कारण यह सजा टल गई थी। यह पहला मामला है, जिसमें गैंगस्टर सुंदर भाटी और उसके गुर्गों को सजा सुनाई गई है। गौतमबुद्ध नगर के जिला शासकीय अधिवक्ता ब्रह्मजीत नागर ने बताया कि मूलरूप से दनकौर कोतवाली क्षेत्र के दादूपुर गांव के रहने वाले हरेंद्र प्रधान की वर्ष 2015 में ग्रेटर नोएडा कोतवाली क्षेत्र के नियाना गांव में हत्या कर दी गई थी।
सपा नेता और प्रधान हरेंद्र नागर की हत्या की
ब्रह्मजीत भाटी ने बताया कि हरेंद्र प्रधान अपने साथियों सहित एक शादी समारोह में शामिल होने गया था। वहां से वापस लौटते वक्त सुंदर भाटी गैंग के गुर्गों ने उसकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। हरेंद्र नागर दादूपुर गांव का ग्राम प्रधान था। हमले के दौरान हरेंद्र प्रधान के सरकारी गनर की भी गोली लगने से मौत हुई थी। जवाबी गोलीबारी में एक बदमाश भी मारा गया था। तब राज्य में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। हरेंद्र नागर समाजवादी पार्टी में थे।