- नोएडा की गारमेंट इंडस्ट्री को रूस-यूक्रेन युद्ध से लगा तगड़ा झटका
- नोएडा में बने 20% परिधान रूस और यूक्रेन को निर्यात किए जाते हैं
- यूरोपियन और अमेरिकन कंपनियों के रूप में सारे शोरूम बंद हुए
- यह कम्पनियां नोएडा में कपड़ा बनवा कर रूस में बेच रही थीं
- करीब 3,000 करोड रुपए के आर्डर रद्द, पुराने आर्डर का भुगतान रुका
- रूस पर अमेरिका के आर्थिक प्रतिबंधों ने नोएडा के लिए संकट बढ़ाया
Noida News : रूस-यूक्रेन संघर्ष (Russia-Ukrain War) के चलते उत्तर प्रदेश में वस्त्र निर्यातक संकट का सामना कर रहे हैं। युद्ध के कारण अमेरिका और यूरोप से आने वाले कई ऑर्डर रद्द कर दिए गए हैं। जिन निर्यातकों ने पहले ऑर्डर पूरा कर दिया था उनका भुगतान अटका हुआ है। उत्तर प्रदेश के लगभग 1,200 कपड़ा निर्यातकों के लिए यह संकट की घड़ी है। इनमें ज्यादातर नोएडा से हैं। रूस-यूक्रेन संघर्ष ने व्यवसाय को तगड़ा झटका दिया है। नोएडा के निर्यातकों का दावा है कि उनका व्यापार घाटा लगभग ₹3,000 करोड़ तक पहुंच सकता है। अगर युद्ध और लम्बा चला तो घाटा भी बढ़ता जाएगा। ज्यादातर अमेरिका और यूरोप के ऑर्डर रद्द कर दिए गए हैं। क्योंकि इन दोनों क्षेत्रों के बड़े परिधान ब्रांडों ने रूस में अपने शोरूम बंद कर दिए हैं।
लम्बे खिंच रहे युद्ध से नुकसान बढ़ रहा है
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (Indian Industries Association) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजीव बंसल ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण दो वर्षों से हालात खराब थी। निर्यात ऑर्डर पहले ही 10% कम हो चुके हैं। बंसल ने आगे कहा, "अमेरिका और यूरोप में स्थित परिधान कंपनियों के रूस में शोरूम बन्द हो गए हैं। उनके सभी ऑर्डर रद्द कर दिए गए हैं। इन कंपनियों ने रूस में अपना कारोबार पूरी तरह से बंद कर दिया है। व्यापार को कितना नुकसान हुआ है? इस सवाल के जवाब वास्तविक का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है, क्योंकि युद्ध बहुत लंबा खिंच चुका है और अभी भी चल रहा है।" अब घरेलू बाजार में डीजल की बढ़ी हुई कीमत ने कच्चे माल के परिवहन की लागत में वृद्धि की है। निर्यातकों के सामने एक और समस्या है। जो ऑर्डर पहले पूरे हो चुके हैं उनका पैसा नहीं मिल रहा है। यूरोप और अमेरिकन कम्पनियां भुगतान रोककर बैठ गई हैं।
रूबल पर पाबंदी परेशानी और बढ़ा रही है
नोएडा के कारोबारियों का कहना है कि अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंध लगाए हैं। इन पाबंदियों की वजह से रूबल (रूसी मुद्रा) को अमेरिकी डॉलर में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है। निर्यातकों को अमेरिकी डॉलर, यूरो या ब्रिटिश पाउंड में भुगतान मिलता था, लेकिन अब प्रतिबंधों के कारण, रूस से भुगतान अटका हुआ है। क्योंकि रूबल को अमेरिकी और यूरोपियन करेंसी में बदल नहीं पा रहे हैं।" नोएडा के कपड़ा कारोबारी विकास तोमर ने कहा, "सभी व्यापार समझौते भारतीय और रूसी व्यापारियों के बीच डॉलर में हुआ करते थे। रूसी कारोबारी रूबल को डॉलर में कन्वर्ट नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में हम लोगों को रूस से पैसा नहीं मिल पा रहा है। केंद्र सरकार कदम उठाए और व्यापारियों को राहत दिलाए।"
कारोबारियों ने कहा- सरकार रूबल रुपया सिस्टम बनाए
आपको बता दें कि आईआईए की मुख्य मांगों में से एक निर्यातकों की सुविधा के लिए जल्द से जल्द रुपया-रूबल भुगतान प्रणाली शुरू करना है। नोएडा से लगभग 80% परिधान का निर्यात अमेरिका, यूरोप और ब्रिटेन को होता है। जबकि लगभग 20% यूक्रेन, दक्षिण अफ्रीका और अन्य देशों को होता है। आपको एक और खास जानकारी दे दें, अमेरिका ने ईरान पर भी प्रतिबंध लगाए थे। जिसके बाद से भारत और ईरान के बीच रुपया-रियाल व्यापार तंत्र पहले से चलन में है। भारत और ईरान के बीच सारा व्यापार रुपया और ईरानी रियाल में हो रहा है। लिहाजा, सरकार को रूबल-रुपया बिजनेस सिस्टम जल्द से जल्द कायम करना चाहिए।
रूस-यूक्रेन युद्ध का आज का 60वां दिन
रूस-यूक्रेन युद्ध का आज 60वां दिन है और यह जंग अब भी रुकने का नाम नहीं ले रही है। रूस अपनी ताकत दिखाते हुए हर दिन अपना हमला तेज करता जा रहा है तो वहीं यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की किसी भी तरह झुकने को तैयार नहीं हैं। वहीं, इस बीच दावा किया जा रहा है कि अगले 24 घंटे में यूक्रेन के शहर मारियूपोल पर रूस कब्जा कर लेगा। कुल मिलाकर उसके यह दावे पिछले 2 महीने से लगातार देखने को मिल रहे हैं। यूक्रेनी सेना कमांडर ने कहा कि हम आखिरी सांस तक लड़ेंगे और सरेंडर नहीं करेंगे। इसी कड़ी में जेलेंस्की ने एलान करते हुए कहा कि वह सभी रूसी कैदियों को रिहा कर देंगे और इसके बदले रूस मारियूपोल में सभी यूक्रेनी नागरिकों और सैनिकों को सुरक्षित निकलने देगा। कुल मिलाकर अभी इस जंग के खत्म होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। जिसका और ज्यादा नुकसान नोएडा के कपड़ा कारोबारियों को उठाना पड़ सकता है।