Google Image | दो महीने में कैंपसाइट शुरू हो जाएगा
ओखला बर्ड सेंक्च्यूरी उत्तर प्रदेश के 24 वन्यजीव अभयारण्य में से एक है
ईको-टूरिज्म के रूप में विकसित किया जाएगा
इस सीजन में सेंक्च्यूरी में करीब 17,000 पक्षियों ने निवास किया
ओखला बर्ड सैंक्च्यूरी प्रशासन वन्य जीव प्रेमियों को बड़ी खुशखबरी देने जा रहा है। अभ्यारण्य प्रशासन ने कहा है कि दो महीने में ओखला पक्षी अभयारण्य में प्रस्तावित कैंपसाइट से जुड़ा कार्य पूरा कर लिया जाएगा। मतलब मई तक इसे पर्टयकों के लिए खोल दिया जाएगा। हालांकि पक्षी प्रेमी इस कैंपसाइट के निर्माण के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। उनका कहना है कि इससे माईग्रेंट पक्षियों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। लेकिन विभाग ने साफ कर दिया है कि प्रस्तावित योजना के तहत इसे बनाया जाएगा। बताते चलें कि ओखला बर्ड सेंक्च्यूरी उत्तर प्रदेश के 24 वन्यजीव अभयारण्य में से एक है।
पूर्व निर्धारित योजना के मुताबिक होगा काम
गौतमबुद्ध नगर के जिला वन अधिकारी पीके श्रीवास्तव ने इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रशासन पूर्व निर्धारित योजना के तहत काम कर रहा है। कैंपसाइट को उत्तर प्रदेश वन निगम की पहल के रूप में विकसित किया जा रहा है। जल्द ही इसका निर्माण कार्य पूरा कर पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा। हालांकि इस सुविधा के लिए बुकिंग प्रक्रिया तथा दूसरे बिंदुओं पर काम किया जा रहा है। हमारा मकसद इस साइट को ईको-टूरिज्म के रूप में विकसित करना है। एक समय में 10 पर्यटक कैंपसाइट में रूककर वन्य जीवन का आनंद ले सकेंगे।
इस सीजन पहुंचे थे 17,000 पक्षी
ओखला पक्षी अभयारण्य को हाल ही में कई अत्याधुनिक सुविधाएं की सौगात मिली थी। इसके तहत इस सेंक्च्यूरी में गेज़बोस, एक कैंटीन, एक बोर्डरूम और एक ऑफिस एरिया विकसित किया गया है। इसके हॉल को पर्यटन के लिहाज से विश्वस्तरीय बनाया गया है और सेंक्च्यूरी की तरफ द्वार रखा गया है। पर्यटकों की सुविधा के लिए कई बर्ड वॉचिंग प्वॉइंट बनाए गए हैं। ताकि वन्य जीवन के प्रेमी पर्यटक इसका आनंद ले सकें। इस सीजन में सेंक्च्यूरी में करीब 17,000 पक्षियों ने निवास किया। कैंपसाइट के अलावा, पार्क में जल्दी ही एक सनसेट वीवप्वॉइंट विकसित किया जाएगा। पर्यटक इसका भी आनंद ले सकेंगे।
पक्षी प्रेमियों ने जताया विरोध
तमाम वन्य जीव प्रेमी ओखला बर्ड सेंक्च्यूरी में कैंपसाइट विकसित किए जाने का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इसका दुष्प्रभाव ज्यादा होगा। साइट पर जाने वाले लोग इन पक्षियों को डराएंगे। कैंपसाइट पर घुमने आने वाले लोग एक जगह इकट्ठा होंगे, शोर मचाएंगे और मौज-मस्ती करेंगे। यहां आने वाली गाड़ियों की संख्या भी बढ़ जाएगी। वन्य जीवों के लिए बने पार्क में इंसानी गतिविधियां बढ़ जाएंगी। इसका बुरा असर पक्षियों पर पड़ेगा। खासकर प्रवासी पक्षी रात के दौरान उड़ते हैं और आमतौर पर ऐसे माहौल के प्रति संवेदनशील होते हैं। पर्यटन को विकसित करने की कोशिश ठीक है। मगर इससे अभयारण्य की पारिस्थितिकी को गंभीर खतरा है।
क्या होता है कैंपसाइट
कैंपसाइट में पर्यटक रात किसी बाहरी इलाके में गुजारते हैं। आमतौर पर लोग टेंट, कैंपर वैन या कारवां का उपयोग करके रात भर शिविर लगाते हैं। वहां खाने-पीने तथा मनोरंजन के साधनों का इस्तेमाल कर रात बीताते हैं। ज्यादातर यूरोपीय और अमेरिका महाद्वीप के देशो में लोग कैंपसाइट को पसंद करते हैं। हालांकि भारत में भी दक्षिण के कुछ राज्यों, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में पर्यटक कैंपसाइट में रातें गुजारते हैं।