कोरोना से हाहाकार और नोएडा पीजीआई पड़ा बेकार, शहर के बड़े सामाजिक संगठन ने सीएम को लिखा पत्र

सवाल: कोरोना से हाहाकार और नोएडा पीजीआई पड़ा बेकार, शहर के बड़े सामाजिक संगठन ने सीएम को लिखा पत्र

कोरोना से हाहाकार और नोएडा पीजीआई पड़ा बेकार, शहर के बड़े सामाजिक संगठन ने सीएम को लिखा पत्र

Google Photo | नोएडा पीजीआई

  • -सामाजिक संगठन के सचिव की ओर से कई गंभीर सवाल खड़े किए गए
  • -संगठन का आरोप- चाइल्ड पीजीआई अस्पताल हाथ पर हाथ धरकर बैठा
  • -अस्पताल में 250 से ज्यादा बेड हैं, जिन पर अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद
  • -डायरेक्टर, अफसरों व डॉक्टरों को तत्काल कोरोना ड्यूटी में लगाया जाए
Coronavirus India : नोएडा शहर के एक बड़े सामाजिक संगठन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को पत्र लिखकर नोएडा चाइल्ड पीजीआई (Noida Child PGI) से जुड़ी कुछ जानकारियां भेजी हैं। सामाजिक संगठन के सचिव की ओर से कई गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं। संगठन का आरोप है कि इस वक्त शहर में कोरोनावायरस संक्रमण के कारण हाहाकार मचा हुआ है। दूसरी ओर 12 सौ करोड रुपए की लागत से बना चाइल्ड पीजीआई अस्पताल हाथ पर हाथ धरकर बैठा हुआ है। बड़ी बात यह है कि इस अस्पताल में 250 से ज्यादा बेड उपलब्ध हैं। जिन पर तमाम अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद। इसके बावजूद लोग सड़कों पर धक्के खा रहे हैं। 

राष्ट्रीय लोक अधिकार संगठन के सचिव अंकित अरोड़ा ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को यह जानकारी दी है। आपको बता दें कि इस संगठन के अध्यक्ष श्रवण कुमार शर्मा हैं। श्रवण कुमार शर्मा सेवानिवृत्त आईएएस अफसर हैं। वह गौतमबुद्ध नगर के जिला अधिकारी रह चुके हैं। मेरठ और आगरा मंडलों के आयुक्त भी रहे हैं। अंकित अरोड़ा ने मुख्यमंत्री को बताया है कि नोएडा चाइल्ड पीजीआई में 250 से ज्यादा बेड उपलब्ध हैं। सभी पर ऑक्सीजन की पाइप लाइन है। अस्पताल में 34 फंक्शनल हाई एंड वेंटिलेटर ताले में बंद पड़े हैं। 20 एचएफएनसी हैं। बबल पॉप भी उपलब्ध हैं। इस अस्पताल में 40 से अधिक डॉक्टर हैं। 250 नर्स और 26 टेक्नीशियन हैं। सरकार कोविड-19 सुविधाएं विकसित करने के लिए पैसा देना चाहती है। उपकरण देना चाहती है, लेकिन यहां उपलब्ध संसाधनों को इस संकट के समय में भी उपयोग में नहीं लाया जा रहा है। 

1200 करोड़ में बना अस्पताल, 100 करोड़ सालाना खर्च
राष्ट्रीय लोक अधिकार संगठन का कहना है कि करीब 12 सौ करोड रुपए में अस्पताल बनाया गया है। इस पर 100 करोड़ रुपए सालाना खर्च किए जा रहे हैं। अस्पताल लगभग फिर भी बंद पड़ा हुआ है। अंकित अरोड़ा ने अपने पत्र में नोएडा पीजीआई अस्पताल के डायरेक्टर डीके गुप्ता और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डीके सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि संकट काल में शासन को सही तथ्यों से यह दोनों अफसर अवगत क्यों नहीं करवा रहे हैं। यह जांच का विषय है। पब्लिक सड़क पर मर रही है। लोगों को बेड नहीं मिल रहे हैं। वेंटिलेटर नहीं मिल रहा है। इस अस्पताल में डॉक्टर, नर्स, स्टाफ खाली बैठे हुए हैं। एचएसएनसी सीपैक और वेंटिलेटर तालों में बंद हैं।

अस्पताल के डायरेक्टर की भूमिका पर सवाल उठाए
अंकित अरोड़ा ने पत्र में आगे लिखा है कि इस संकट के वक्त में आयुष, यूनानी डॉक्टर और एमबीबीएस छात्र सेवा कर रहे हैं।एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे छात्र कोरोना की ड्यूटी कर रहे हैं। सभी अपना अपना धर्म निभाने में जुटे हैं। इसके बावजूद चाइल्ड अस्पताल के डॉक्टर काम क्यों नहीं कर रहे हैं। यह अत्यंत विचारणीय विषय है। चाइल्ड अस्पताल के नाम पर यह लोग ड्यूटी से क्यों भाग रहे हैं। सही बात यह है कि इस अस्पताल के डायरेक्टर से लेकर तमाम अफसर और स्टाफ अपना धर्म नहीं निभा रहे हैं। एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री कोरोनावायरस होने पर भी हर समय जनता के लिए चिंतित हैं, दूसरी ओर इतने बड़े पदों पर बैठे और जनता के पैसे से वेतन ले रहे डॉक्टर और अफसर असंवेदनशील हो गए हैं। 

एनसथीसिया डॉक्टर दवाओं की खरीद में लगाया गया
इस वक्त एनसथीसिया के डॉक्टर की अत्यधिक कमी है, लेकिनचाइल्ड पीजीआई अस्पताल की एक एनसथीसिया डॉक्टर पूनम मोतियानी रजिस्ट्रार का कार्य कर रही है और दूसरे एनसथीसिया डॉ मुकुल जैन अपना काम छोड़कर दवाओं की खरीद का कार्य देख रहे हैं। जब नोएडा में एनसथीसिया के डॉक्टरों की भारी कमी है तो इन लोगों की सेवाएं क्यों नहीं ली जा रही हैं। इनको एनसथीसिया का काम छुड़वा कर दवाई खरीदने काम पर क्यों लगाया गया है। पीजीआई नोएडा के डायरेक्टर सही काम नहीं कर रहे हैं। अंकित अरोड़ा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि चाइल्ड पीजीआई के डायरेक्टर और जिम्मेदार अफसरों, डॉक्टरों को तत्काल कोरोनावायरस ड्यूटी में लगाया जाए। इन लोगों की लापरवाही की जांच की जाए। इनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। इस मुद्दे पर नोएडा चाइल्ड पीजीआई हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ डीके गुप्ता से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका है।

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