- भूमि मालिक रेड्डी को नोएडा प्राधिकरण ने ₹295 करोड़ का भुगतान किया
- सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी के भूमि अधिग्रहण को अवैध कहा था
- नवंबर में अथॉरिटी की बोर्ड मीटिंग में भुगतान का प्रस्ताव पास किया गया
Noida News : "कानून के घर देर है, अंधेर नहीं", यह बात नोएडा के एक किसान ने साबित करके दिखाई है। किसान ने अपने हक के लिए नोएडा अथॉरिटी और सरकार के खिलाफ 17 साल जिला अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ी। अब नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) ने बीते रविवार को वीराना रेड्डी नाम के किसान को 295 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। यह गौतमबुद्ध नगर जिले के इतिहास में भूमि अधिग्रहण के सापेक्ष सबसे बड़ी मुआवजा राशि है। रेड्डी के पास सेक्टर-18 में जमीन थी। अथॉरिटी ने उस जमीन का आवंटन शॉपिंग मॉल बनाने के लिए कर दिया। जिसके खिलाफ वीराना रेड्डी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। अदालत उनके पक्ष को सही मानते हुए 295 करोड़ रुपये मुआवजा भुगतान करने का आदेश दिया था। अब प्राधिकरण ने इस आदेश पर अमल किया है।
प्राधिकरण बोर्ड ने भुगतान का फैसला लिया
नवंबर में नोएडा अथॉरिटी की 207वीं बोर्ड बैठक आयोजित की गई। जिसमें उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास आयुक्त अरविंद कुमार की अध्यक्षता में फैसला लिया गया कि भूस्वामी वीराना रेड्डी को 295 करोड़ रुपये जारी किए जाएं। इसके लिए अथॉरिटी ने प्रस्ताव रखा, जिसको मंजूरी दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण को मूल भूमि मालिक को 295 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया था। उनकी जमीन सेक्टर-18 में अधिग्रहित की गई थी। नोएडा प्राधिकरण के एक अधिकारी ने कहा, "हमने शीर्ष अदालत के आदेश के अनुसार शुक्रवार को भूमि मालिक को ₹295 करोड़ जारी किए हैं।"
क्या है पूरा मामला
नोएडा प्राधिकरण ने साल 2005 में भूमि मालिक वीराना रेड्डी से लगभग 7,400 वर्गमीटर प्लॉट का अधिग्रहण किया था। जिन्होंने बाद में इस आधार पर अधिग्रहण पर आपत्ति जताई कि प्रस्तावित मुआवजा अनुचित था। 31 जनवरी 2011 को गौतमबुद्ध नगर प्रशासन ने 18,00,481 रुपये मुआवजा और 181.87 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से ब्याज देने का फैसला किया। जिसे रेड्डी ने अस्वीकार कर दिया।
अथॉरिटी और रेड्डी के लंबी कानूनी लड़ाई चली
इसके बाद नोएडा प्राधिकरण और वीराना रेड्डी के बीच एक लंबी कानूनी लड़ाई की शुरुआत हुई, जो गौतमबुद्ध नगर जिला अदालत में शुरू हुई। फिर इलाहाबाद उच्च न्यायालय तक और अंततः सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच गई। सुप्रीम कोर्ट में 5 मई, 2022 को जस्टिस विनीत सरन और जेके माहेश्वरी की बेंच ने प्राधिकरण को 15% ब्याज और 3% दंडात्मक ब्याज के साथ 1,10,000 प्रति वर्गमीटर की दर से भूमि के मुआवजे का भुगतान करने का आदेश दिया। अथॉरिटी एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटिशन में गई। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया और प्राधिकरण को राहत देने से इंकार किया। इसके बाद अथॉरिटी ने वीराना रेड्डी को मुआवजा देने का फैसला लिया है। आपको बता दें कि गौतमबुद्ध नगर ही नहीं पूरे उत्तर प्रदेश के इतिहास में यह सबसे बड़ी मुआवजा दर है।