सांसत में सांस : नोएडा के अस्पतालों में चंद घण्टों की ऑक्सीजन, मचा हाहाकार

EXCLUSIVE and SPECIAL सांसत में सांस : नोएडा के अस्पतालों में चंद घण्टों की ऑक्सीजन, मचा हाहाकार

सांसत में सांस : नोएडा के अस्पतालों में चंद घण्टों की ऑक्सीजन, मचा हाहाकार

Tricity Today | नोएडा के अस्पतालों में की ऑक्सीजन की भारी कमी।

  • गौतमबुद्ध नगर के 18 अस्पतालों में किया जा रहा है कोरोना से संक्रमित मरीजों का इलाज
  • नोएडा और ग्रेटर नोएडा के इन सारे अस्पतालों में बाकी है कुछ घंटों की ऑक्सीजन
  • नोएडा के अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण हुई दो सगे भाइयों की मौत
  • सबसे बड़े अस्पतालों कैलाश, शारदा, यथार्थ, जिम्स, जेपी में चंद घंटों के लिए ऑक्सीजन
  • कैलाश अस्पताल पिछले 24 घंटों से ऑक्सीजन का इंतजाम करने में जुटा है
  • उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तो कई दिनों से ऑक्सीजन की किल्लत है
  • गौतमबुद्ध नगर को रोजाना 60 मीट्रिक टन ऑक्सीजन के मुकाबले 30 टन मिल रही
  • उत्तर प्रदेश के लिए ऑक्सीजन लेने एक ट्रेन बोकारो रवाना की गई
  • अस्पतालों ने नए मरीज भर्ती करने बंद किए, अस्पतालों से घर वापस भेजे गए मरीज
Coronavirus in Noida : ऑक्सीजन की कमी (Oxygen Crisis) के चलते जिस तरह दिल्ली के अस्पताल संकट से घिरे हैं, अब कमोबेश ऐसे ही हालात नोएडा में भी बनते जा रहे हैं। नोएडा और ग्रेटर नोएडा के अस्पतालों में कुछ घंटों की ऑक्सीजन बाकी है। जिसके चलते अस्पताल प्रबंधन और मरीजों के परिवार वाले परेशान हैं। दो दिन पहले नोएडा के अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण दो सगे भाइयों की मौत हो चुकी हैं। लोग खुद भी अपने मरीजों के लिए ऑक्सीजन तलाशते फिर रहे हैं, लेकिन जान बचाने के लिए जरूरी यह हवा गुल हो चुकी है।

स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक इस वक्त नोएडा के 18 अस्पतालों में कोरोना से संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इनमें शारदा, यथार्थ और कैलाश अस्पताल समूह सबसे बड़े हैं। यथार्थ समूह के अस्पतालों में करीब 700 मरीज भर्ती हैं। शारदा अस्पताल 720 मरीजों का इलाज कर रहा है। कैलाश ग्रुप के अस्पतालों में 400 मरीजों का इलाज किया जा रहा है।

इनके अलावा ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान में 250, जेपी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में 200, नोएडा के फोर्टिस हॉस्पिटल में 70, गवर्नमेंट डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में 300, नोएडा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में 300, प्रकाश अस्पताल में 100, जेआर अस्पताल में 60, इंडोगल्फ हॉस्पिटल में 40, जेएस हॉस्पिटल में 50, चाइल्ड पीजीआई हॉस्पिटल में 50, नियो अस्पताल में 80 और त्रिपाठी अस्पताल में 50 कोरोनावायरस से संक्रमित बीमारों का इलाज चल रहा है।

जिले के सबसे बड़े अस्पतालों कैलाश, शारदा, यथार्थ, जिम्स और जेपी अस्पताल में चंद घंटों के लिए ऑक्सीजन बाकी बची है। मौजूदा हालात को लेकर अस्पताल प्रबंधन बेचैन हैं। कैलाश अस्पताल की ओर से बताया गया है कि वहां पिछले 24 घंटों से मैनेजमेंट ऑक्सीजन का इंतजाम करने में जुटा है। अभी तक कोई कामयाबी नहीं मिली है। कैलाश अस्पताल की सीनियर डॉक्टर डॉ. ऋतु ने कहा, "हमारे अस्पतालों में अगले चार घंटों के लिए ऑक्सीजन बाकि बची है। हमारा मैनेजमेंट और पूरा स्टाफ ऑक्सीजन हासिल करने का प्रयास कर रहा है लेकिन अभी कोई कामयाबी नहीं मिली है। ऐसे में मजबूर होकर ने मरीजों की भर्ती रोक दी है।"

प्रकाश अस्पताल के पास भी कुछ घंटों के लिए ऑक्सीजन बाकी है। तमाम कवायद करने के बावजूद प्रबंधन को ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है। इस समूह के दोनों अस्पतालों में केवल 3 घंटों के लिए ऑक्सीजन बची है। प्रकाश अस्पताल के डायरेक्टर आयुष चौहान ने कहा, "अब ऑक्सीजन की आपूर्ति राज्यों की लड़ाई में फंस गई है। हमारा वेंडर हरियाणा का है। आज उसमें हमें ऑक्सीजन देने से इंकार कर दिया है। उसने हमें बताया कि हरियाणा सरकार ने आदेश दिया है कि वहां से ऑक्सीजन किसी दूसरे राज्य को नहीं मिलेगी। सबसे पहले हरियाणा को दी जाएगी। उसके बाद बचेगी तो आपूर्ति दिल्ली को दी जाएगी। हम पुरजोर कोशिश करके भी ऑक्सीजन हासिल नहीं कर पा रहे हैं। नए मरीजों की भर्ती रोक दी है। मौजूदा मरीजों का क्या करें, समझ नहीं आ रहा है।" अब जानकारी मिली है कि प्रकाश अस्पताल भर्ती मरीजों को डिस्चार्ज कर रहा है।

यथार्थ और शारदा अस्पताल प्रबंधन ने भी जानकारी दी है कि उनके पास कुछ ही घंटों के लिए ऑक्सीजन बाकी है। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि इन बड़े अस्पतालों में ही सबसे ज्यादा मरीज वेंटिलेटर पर हैं। ऐसे में अगर ऑक्सीजन खत्म हुई तो बड़ा संकट पैदा हो सकता है। दूसरी तरफ शहर के सारे अस्पतालों ने नए मरीज भर्ती करने से इंकार कर दिया है। बुधवार की सुबह से सारे बड़े अस्पतालों ने मरीज नहीं लिए हैं। इस बारे में यथार्थ अस्पताल के प्रवक्ता ने कहा कि बीती पूरी रात हम लोग ऑक्सीजन का इंतजाम करने में जुटे रहे। आज पूरा दिन भी निकल गया है। अभी गौतमबुद्ध नगर में ऑक्सीजन नहीं आई है।

अब सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसे हालात पैदा क्यों हुए। आपको बता दें कि इस वक्त गौतमबुद्ध नगर को रोजाना 60 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत है। इसके मुकाबले स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन पुरजोर कोशिश करके 30 टन ऑक्सीजन अस्पतालों को दे पा रहे हैं। मतलब कई दिनों से शहर के सारे अस्पताल आधी आपूर्ति के सहारे चल रहे हैं। यही वजह है कि स्वास्थ्य विभाग के अपने सरकारी अस्पताल में पिछले 3 दिनों के दौरान पांच-छह बार ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो चुकी है।

यह हाल अकेले गौतमबुद्ध नगर जिले का नहीं है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तो कई दिनों से ऑक्सीजन की किल्लत है। जिसके चलते वहां के अस्पतालों ने नोटिस चस्पा कर दिए हैं। जिन पर लिखा गया कि मुख्यमंत्री से लेकर तमाम अफसरों को कहने के बावजूद ऑक्सीजन नहीं मिल रही है। लिहाजा अपने मरीज को किसी हायर सेंटर में ले जाकर भर्ती कर दें।

अगर समूचे राज्य की बात करें तो रोजाना 850 मिट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत है। जबकि अभी आपूर्ति 500 टन है। करीब 350 टन से ज्यादा ऑक्सीजन की कमी बनी हुई है। उत्तर प्रदेश के लिए ऑक्सीजन लेने एक ट्रेन बोकारो गई है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में ऑक्सीजन उत्पादन करने वाले संयंत्रों पर पुलिस तैनात कर दी है। आम आदमी को सीधे ऑक्सीजन देने पर रोक लगा दी है। कुल मिलाकर लोग हालात सुधरने का इन्तजार कर रहे हैं। अब बस देखना यही है कि आने वाले दिनों में राहत मिलती है या आफत और ज्यादा बढ़ती है।

जिले के किस अस्पताल में कितने मरीज भर्ती हैं
अस्पताल मरीज
शारदा अस्पताल 720 मरीज
यथार्थ समूह 700 मरीज
कैलाश समूह 400 मरीज
जिम्स ग्रेटर नोएडा 250 मरीज
जेपी हॉस्पिटल 200 मरीज
फोर्टिस हॉस्पिटल 70 मरीज
डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल 300 मरीज
निम्स ग्रेटर नोएडा 300 मरीज
प्रकाश अस्पताल 100 मरीज
जेआर अस्पताल 60 मरीज 
इंडोगल्फ हॉस्पिटल 40 मरीज
जेएस हॉस्पिटल 50 मरीज
चाइल्ड पीजीआई 50 मरीज
नियो अस्पताल 80 मरीज
त्रिपाठी अस्पताल 50 मरीज

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