Google Image | नोएडा कोविड हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की किल्लत खत्म हुई
ऑक्सीजन की किल्लत से जुझ रहे गौतमबुद्ध नगर के लोगों के लिए बड़ी खबर है। शहर के सेक्टर-39 स्थित कोविड अस्पताल मं लिक्विड ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाने का काम शुरू हो गया है। संभावना है कि आज से यह काम करने लगेगा। साथ ही जनपद में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और अन्य कंपनियों से ऑक्सीजन सिलेंडर भी मंगवाए गए हैं। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इस प्राण रक्षक गैस की कमी को यथाशीघ्र दूर करने की कोशिश में जुटा है। इस दिशा में यह अहम है।
सेक्टर-39 स्थित नोएडा कोविड अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ रेनू अग्रवाल ने बताया कि एक हजार जंबो सिलेंडर क्षमता का लिक्विड ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट आज से शुरू हो जाएगा। इस कोविड हॉस्पिटल में रोजाना 850 टन लिक्विड ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। वर्तमान में अस्पताल में करीब 200 मरीज इलाजरत हैं। इनमें से 165 मरीजों की हालत गंभीर हैं और उन्हें हाई फ्लो ऑक्सीजन या वेंटीलेटर पर रखा गया है। रोजाना इन मरीजों को करीब 500 जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर की आवश्यकता पड़ती है। आज शुरू होने वाले ऑक्सीजन प्लांट से इसकी क्षमता तकरीबन एक हजार जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर भरने की हो जाएगी। इसके बाद मरीजों को ऑक्सीजन की किल्लत नहीं होगी।
मरीजों की संख्या बढ़ जाएगी
जनपद के इस कोविड हॉस्पिटल में ऑक्सीजन का प्लांट शुरू होने के बाद बड़ी राहत मिलेगी। अगर रोजाना 850 टन लिक्विड ऑक्सीजन की पूर्ति होती है तो यहां मौजूदा क्षमता से दोगुने मरीज भर्ती किए जा सकेंगे। इन सभी का अच्छई तरह इलाज हो सकेगा। इससे अस्पताल और बेड के लिए संघर्ष कर रहे लोगों को राहत मिलेगी। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को भी बड़ा रिलिफ मिलेगा।
हर उपाय अपना रहे हैं
कोविड हॉस्पिटल प्रशासन हर तरीके से ऑक्सीजन की आपूर्ति पूरी करने के लिए प्रयास कर रहा है। बुधवार को अस्पताल प्रशासन ने एक निजी कंपनी से संपर्क किया। कंपनी मैनेजमेंट ने हॉस्पिटल को छोटा ऑक्सीजन जनरेटर दान किया। इसकी क्षमता 25 लीटर प्रति मिनट की है। इस जनरेटर से 4-5 साधरण मरीजों को ऑक्सीजन मिल सकेगी। इसे बुधवार को आईसीयू में लगाया गया। इसके अलावा नोएडा कोविड अस्पताल प्रशासन ने मारुति सहित कई अन्य कंपनियों से संपर्क कर ऑक्सीजन सिलेंडर मंगवाए। दरअसल हॉस्पिटल प्रशासन इलाजरत मरीजों के लिए हर हाल में ऑक्सीजन की आपूर्ति बनाए रखना चाहता है। इसलिए जहां से जो मदद मिल रही है, उसे स्वीकार किया जा रहा है।