इन्होंने एक-एक करोड़ रुपये खर्च करके खरीदी हैं मुसीबतें

नोएडा के इन लोगों को गौर से देखिए! इन्होंने एक-एक करोड़ रुपये खर्च करके खरीदी हैं मुसीबतें

इन्होंने एक-एक करोड़ रुपये खर्च करके खरीदी हैं मुसीबतें

Google Image | प्रदर्शन

Noida News : नोएडा और ग्रेटर नोएडा में रविवार का दिन फ्लैट बायर्स के धरने-प्रदर्शन के नाम रहता है। जीवन भर की गाढ़ी कमाई बिल्डरों को सौंपने के बावजूद लोगों को अपने घर हासिल करने के लिए सड़कों पर प्रोटेस्ट करने पड़ रहे हैं। जिन्हें घर मिल गए हैं, उन्होंने शायद मुसीबतें मोल ले ली हैं। हाउसिंग सोसाइटीज में मूलभूत सुविधाएं कम और समस्याओं की भरमार है। यह सिलसिला करीब एक दशक से इस शहर में बदस्तूर जारी है। ऐसी ही कहानी नोएडा के सेक्टर-79 में स्थित हिल्सटन अर्बटेक हाउसिंग सोसाइटी के निवासियों की है। एक करोड़ रुपए में घर खरीदा और परेशानियां बेशुमार
करीब एक करोड़ रुपये की भारी भरकम रकम में घर खरीदने के बाद सेक्टर-79 में स्थित हिल्सटन अर्बटेक सोसायटी में मूलभूत समस्याओं के लिए लोग जूझ रहे हैं। परेशान निवासी रविवार को सड़क पर उतर आए। बिल्डर के खिलाफ एकजुट होकर प्रदर्शन किया। धरना-प्रदर्शन में लोगों ने उत्तर प्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) और नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इन लोगों ने कहा, "हमने घर नहीं मुसीबत खरीद ली हैं। बिल्डर के खिलाफ प्राधिकरण कोई सुनवाई नहीं करता है। यूपी रेरा का हाल भी करीब-करीब नोएडा अथॉरिटी जैसा ही है। रेरा से शिकायत करने का कोई लाभ नहीं होता। रेरा भी हमारी नोएडा अथॉरिटी की तरह बिल्डरों पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हुआ है।"

निवासियों ने कहा- बिल्डर हमारा शोषण कर रहा है
बिल्डर, नोएडा अथॉरिटी और यूपी रेरा के खिलाफ हिल्सटन आर्बटेक हाउसिंग सोसायटी के निवासियों ने गुस्सा जाहिर किया। रोष व्यक्त करते हुए लोगों ने कहा, "यह बिल्डर हम फ्लैट बायर्स का उत्पीड़न कर रहा है। हमारा मानसिक और आर्थिक शोषण किया जा रहा है। बारिश का पानी सोसायटी के बेसमेंट में भर जाता है। लिफ्ट नहीं चलती हैं। डीजल जनरेटर सेट से बिजली आपूर्ति करके एक यूनिट के तीस रुपये वसूल किए जा रहे हैं। गंगा जल की आपूर्ति नहीं हो रही है। बेहद खराब पानी पीने के लिए मजबूर हैं। अब तक बिल्डर के पास अस्थाई कनेक्शन है। जिससे विद्युत आपूर्ति की जा रही है। आइजीएल के पीएनजी कनेक्शन नहीं मिल रहे हैं। हमारे फ्लैटों की रजिस्ट्री नहीं हो रही है। हम लोग भारी-भरकम कीमत चुकाने के बावजूद अपनी संपत्ति के मालिक नहीं बन पा रहे हैं। कुल मिलाकर बिल्डर खुलेआम हमारा मानसिक और आर्थिक शोषण कर रहा है। जिस पर प्राधिकरण, राज्य सरकार और यूपी रेरा कोई सुनवाई करने के लिए तैयार नहीं हैं।"

हिलस्टन आर्बटेक सोसाइटी में रह रहे हैं 160 परिवार
सोसायटी वासियों ने बताया कि बिल्डर ने प्रोजेक्ट में कंस्ट्रक्शन वर्क करने के लिए उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन से अस्थाई कनेक्शन लिया था। इस कनेक्शन को अब तक स्थाई नहीं करवाया गया है। लिहाजा, यूपीपीसीएल ने कंस्ट्रक्शन वर्क पूरा होने का हवाला देते हुए टेंपरेरी कनेक्शन काट दिया। सोसायटी में करीब 160 परिवार हैं। कनेक्शन कटने से 13 सितंबर से लेकर 11 अक्टूबर तक यानी एक महीना सोसायटी के लोगों को अंधरे में रहना पड़ा। इस दौरान कोई विद्युत आपूर्ति नहीं हुई है। तीन टावरों में मौजूद 216 फ्लैटों में से करीब 160 फ्लैटों में लोग रह रहे हैं। इसमें करीब 600 लोग परिवार के साथ रहते हैं।

डीएम से लेकर सीएम तक शिकायत की, किसी ने नहीं सुनी
सोसायटी के निवासियों ने कहा, "एक महीना बिजली नहीं आना कितनी बड़ी परेशानी होती है, यह कोई भी सहज रूप से अंदाजा लगा सकता है। हम लोगों ने जिलाधिकारी, नोएडा प्राधिकरण और ऊर्जा मंत्री एके शर्मा से सोसायटी में स्थाई कनेक्शन की मांग को लेकर शिकायत की। इसमें समय निर्धारित किया गया है। निर्धारित समय में स्थाई कनेक्शन प्रक्रिया पूरा नहीं होगी, यह बात साफ है। बिल्डर के खिलाफ डीएम से लेकर सीएम तक हम लोग शिकायत कर चुके हैं। कोई हमारी परेशानी को संजीदगी से लेने के लिए तैयार नहीं है। इस कारण आज मजबूर होकर सारे परिवार सड़क पर उतरे हैं।" सोसायटी वासियों ने बिल्डर, नोएडा अथॉरिटी और यूपी रेरा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। रेजिडेंट्स ने बिल्डर और प्राधिकरण के खिलाफ प्रोटेस्ट किया। इन लोगों ने मार्च भी निकाला।

छह गर्भवती महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ा
सोसायटी के रहने वाले प्रतीक राय ने कहा, हमारी हाउसिंग सोसायटी में रह रहे परिवारों में 6 महिलाएं इस वक्त गर्भवती हैं। बारिश के बीच 9 अक्टूबर को सोसायटी के बेसमेंट में जलभराव हो गया था। इस दौरान 9 माह की गर्भवती महिला को अस्पातल में उपचार के लिए जाना बेहद आवश्यक था। तीन दिनों तक लिफ्ट नहीं चली थीं। करीब 9 महीने की गर्भवती होने के कारण हम उन्हें सीढ़ियों से नीचे नहीं उतर पाए। इस कारण उनका चेकअप नहीं करवाया जा सका। सबसे बड़ा संकट यह था कि उन्हें कभी भी लेबर पेन हो सकता था। परिवार और पड़ोस के लोग लगातार भगवान से प्रार्थना कर रहे थे। सोसायटी के कई बुजुर्ग भी परेशान रहे। बीमार होने के बावजूद डाक्टर के पास नहीं जा पाए। सोसायटी के लोगों ने 20 हजार रुपये खर्च करके बेसमेंट से पानी निकलवाया है। वहीं, कई लोग मजबूर होकर सोसायटी छोड़कर कुछ दिनों के लिए चले गए थे।"

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