Noida News : आज से ठीक ढाई दशक यानि 25 वर्ष एक दिन पहले यानि 28, 29 और 30 जनवरी 1999 को नोएडा के नेहरू युवा केंद्र में कांग्रेस का एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था। उसके बाद से जिले में कांग्रेस पार्टी का कोई बड़ा कार्यक्रम आज तक नहीं हुआ। हालात ये हैं कि गौतमबुद्ध नगर का नोएडा दिल्ली के 10 जनपथ स्थित कांग्रेस मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित है। तब से अब तक कांग्रेस पार्टी अपने शीर्ष से रसातल तक पहुंच चुकी है, लेकिन जिले में जो एक चीज नहीं बदली, वह कांग्रेस की हालत। इसके पीछे जितने यहां के नेता दोषी हैं, पार्टी का राष्ट्रीय और प्रदेश नेतृत्व उससे कम जिम्मेदार नहीं है।
पार्टी में कमर्शियल सोच के नेता : रघुराज सिंह
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पार्टी के टिकट पर विधायक का चुनाव लड़ चुके चौधरी रघुराज सिंह का कहना है कि आज कांग्रेस में निष्ठावान और समर्पित कार्यकर्ताओं का बेहद अभाव है। आज के नेता कमर्शियल सोच के हैं। उनके जहन में पार्टी के उत्थान से पहले स्वयं की प्रगति दिखाई देती है। बकौल रघुराज सिंह, यह सोच न सिर्फ निचले स्तर पर है, बल्कि ऊपरी स्तर भी यही दिखाई पड़ता है। जब ऊपर के नेता ही सेल्फिश नेचर के होंगे तो नीचे खड़ा कार्यकर्ता भी तो उन्हें देखकर आगे बढ़ता है। पार्टी में लीडर का सलेक्शन ही गलत हो रहा है। ऐसे लीडर्स को मौका दिया जाना चाहिए, जो पार्टी को एकजुट कर सके। अपने हित-अहित की चिंता किए बगैर कार्यकर्ताओं को जोड़े और पार्टी के लिए समर्पित होकर कार्य करे। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को भी उसका मान रखते हुए उचित सम्मान दिया जाना चाहिए।
समर्पित कार्यकर्ता को मिला क्या : शाहबुद्दीन
नोएडा कांग्रेस के पूर्व महानगर अध्यक्ष और वर्तमान में प्रदेश सचिव शहाबुद्दीन का कहते हैं, ऐसा नहीं है कि नोएडा या जिले में पार्टी के लिए समर्पित और निष्ठावान कार्यकर्ताओं की कोई कमी है। कांग्रेस का कार्यकर्ता और पदाधिकारी पूरी निष्ठा के साथ पार्टी के निर्देशों का पालन करते हुए कार्य कर रहा है और करता आया है। लेकिन, समस्या तब आती है, जब कार्यकर्ता को उसके अथक प्रयासों का उचित सम्मान नहीं मिलता है। पार्टी अपने लोकल स्तर पर भरोसा नहीं जताकर चुनाव में पैराशूट कैंडिडेट उतार देती है। इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट जाता है और पार्टी से मोहभंग हो जाता है। ऐसे नेताओं में पूर्व जिलाध्यक्ष डॉ. महेंद्र नागर, पूर्व महानगर अध्यक्ष कृपाराम शर्मा हैं, जो पार्टी छोड़कर चले गए। उनका कहना है कि लोकसभा चुनाव-2024 सामने है। पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं में पूर्व जिलाध्यक्ष अजय चौधरी, दिनेश अवाना, पूनम पंड़ित, अभिषेक जैन, मनोज चौधरी और पंखुड़ी पाठक शामिल हैं। उनका कहना है कि पार्टी हर बार बाहर से प्रत्याशी उतार देती है। पार्टी को एक बार अपने लोकल कार्यकर्ताओं पर भी तो भरोसा करके देखना चाहिये। मेरा दावा है कि पार्टी का यही भरोसा कार्यकर्ताओं में नई जान फूंक सकता है।
इस हालत के दोनों जिम्मेदार
जिले में कांग्रेस की जो हालत है, उसके लिए दोनों बराबर के जिम्मेदार हैं। शीर्ष नेतृत्व जिले से मात्र 15 किलोमीटर दूर 10 जनपथ स्थित कांग्रेस मुख्यालय में बैठता है। दिनभर राष्ट्रीय स्तर के नेताओं का वहां जमावड़ा रहता है, लेकिन किसी की निगाह पिछले 25 सालों में इस जिले या शहर की ओर नहीं गई। आज से करीब 25 साल पहले जनवरी में नोएडा में तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था। जिसमें तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सलमान खुर्शीद के साथ-साथ देश और प्रदेश स्तर के सभी शीर्ष नेताओं की मौजूदगी रही। लेकिन, इसके बाद से यहां किसी ने नहीं देखा। जिले में कांग्रेस की जो हालत है, उसके लिए यहां के नेता भी कम जिम्मदार नहीं है। स्थानीय नेता समस्याओं को लेकर यहां के लोगों की आवाज नहीं बन सके। इसके लिए भी उन्हें शायद पार्टी के निर्देशों का इंतजार रहता है। शहर में कुछ मुद्दे ऐसे हैं, जो आदमी पर सीधा असर डालते हैं। उनके साथ तो कांग्रेस के लोग खड़े हो सकते हैं। इससे पार्टी और उनका जनाधार ही बढ़ता, लेकिन जब सड़क पर निकलेंगे ही नहीं, तो कैसे बढ़ेगी पार्टी।