Noida News : इलाहबाद हाईकोर्ट ने नोएडा की मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु महेश्वरी (Ritu Maheshwari IAS) के खिलाफ 'न्यायालय की अवमानना' प्रक्रिया शुरू करते हुए तल्ख टिप्पणियां की हैं। जस्टिस सरल श्रीवास्तव की कोर्ट ने कहा, "क्या नोएडा की सीईओ की मर्जी से अदालत चलेगी ? उनका वकील अदालत से कहता है कि वह जब तक नहीं आ जाती हैं, तब तक मामले में सुनवाई ना की जाए। अदालत मानती है कि नोएडा की सीईओ का यह व्यवहार जानबूझकर अदालत का असम्मान करना है। एक महत्वपूर्ण संस्थान का मुख्य कार्यपालक अधिकारी स्तर का अफ़सर यह चाहता है कि उसकी मर्जी के हिसाब से मुकदमे में सुनवाई की जाए।" दरअसल, एक मामले में हाईकोर्ट ने सीईओ को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में हाजिर होने का आदेश दिया था। वह लगातार दो बार सुनवाई के दौरान गैरहाजिर रहीं। अब गुरुवार को कोर्ट ने सीईओ के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने और पुलिस कस्टडी में लेकर हाजिर करने का आदेश दिया है।
नोएडा की सीईओ को अवमानना याचिका की सुनवाई में इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने उपस्थित ना होना भारी पड़ गया है। एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रितु महेश्वरी को पुलिस कस्टडी में लेकर अदालत में पेश करने का आदेश दिया है। इतना ही नहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच ने गौतमबुद्ध नगर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को आदेश का अनुपालन करवाने की जिम्मेदारी सौंपी है। भूमि अधिग्रहण से जुड़े इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा हारने के बावजूद नोएडा विकास प्राधिकरण ने अदालती आदेशों का पालन नहीं किया है। जिसके खिलाफ पीड़ित की ओर से अवमानना याचिका दायर की गई। इस पर प्रयागराज उच्च न्यायालय ने रितु महेश्वरी को खुद अदालत में हाजिर होने का दो बार आदेश दिया। मामले में गुरुवार को सुनवाई हुई तो महेश्वरी हाजिर नहीं हुईं। इस पर अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए उनके खिलाफ नॉन बेलेबल वारंट जारी किया है।
यह है पूरा मामला
नोएडा के सेक्टर-82 में अथॉरिटी ने 30 नवंबर 1989 और 16 जून 1990 को 'अर्जेंसी क्लोज' के तहत भूमि अधिग्रहण किया। जिसे जमीन की मालकिन मनोरमा कुच्छल ने चुनौती दी। वर्ष 1990 में दायर मनोरमा की याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 19 दिसंबर 2016 को फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने 'अर्जेंसी क्लॉज' के तहत किए गए भूमि अधिग्रहण को रद्द कर दिया। मनोरमा को वर्ष 2013 के नए भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत सर्किल रेट से दोगुनी दरों पर मुआवजा देने का आदेश दिया। इसके अलावा प्रत्येक याचिका पर 5-5 लाख रुपये का खर्च आंकते हुए भरपाई करने का आदेश प्राधिकरण को सुनाया।
अथॉरिटी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को नोएडा अथॉरिटी ने नहीं मन और सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की। सुप्रीम कोर्ट में भी अथॉरिटी मुकदमा हार गई। इसके बाद प्राधिकरण को हाईकोर्ट के आदेश का पालन करना था लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के पुराने आदेश का पालन नहीं किया। लिहाजा, मनोरमा कुच्छल ने नोएडा अथॉरिटी के खिलाफ अवमानना याचिका दायर कर दी। इस अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए सीईओ को 28 अप्रैल को कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया। रितु महेश्वरी हाजिर नहीं हुईं। हाईकोर्ट ने 4 मई की तारीख दी और सुनवाई में हाजिर रहने का आदेश दिया। अब जब गुरुवार को सुनवाई शुरू हुई तो केवल नोएडा अथॉरिटी के वकील रविंद्र श्रीवास्तव अदालत में मौजूद थे।
साढ़े 10 बजे दिल्ली से उड़ा हवाई जहाज
नोएडा अथॉरिटी के वकील रविंद्र श्रीवास्तव ने न्यायालय को बताया कि रितु महेश्वरी हवाई जहाज से इलाहबाद आ रही हैं। उनकी फ्लाइट 10:30 बजे दिल्ली से उड़ान भरेगी। अदालत ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, "उन्हें तो 10:00 बजे न्यायालय में हाजिर हो जाना चाहिए था। यह नोएडा की सीईओ का अनुचित कामकाज और व्यवहार है। यह अदालत की अवमानना के दायरे में आता है।" सीईओ के खिलाफ अवमानना प्रक्रिया शुरू करने का अदालत ने आदेश दिया।
याची के साथ अन्याय किया गया : कोर्ट
जस्टिस सरल श्रीवास्तव की अदालत ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, "नोएडा अथॉरिटी ने वर्ष 1990 में याची की जमीन का अधिग्रहण किया। अधिग्रहण के लिए उचित प्रक्रिया और कानून का पालन नहीं किया गया। प्राधिकरण ने तभी याची की जमीन को अपने कब्जे में ले लिया था। उस पर निर्माण भी कर दिया गया। यह पूरी तरह अवैध गतिविधियां हैं। याची को उसकी जमीन का उचित मुआवजा दिए बिना संपत्ति में बदलाव कर देना अवैधानिक है। यह उनके साथ अन्याय हुआ है।"
कोर्ट ने पूछा- सीईओ की मर्जी से चलेगी अदालत?
अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए आगे कहा, "नोएडा की सीईओ को आदेश दिया गया था कि वह 10:00 बजे अदालत में हाजिर होंगी। इसके बावजूद उन्होंने एक ऐसी फ्लाइट चुनी जो दिल्ली से 10:30 बजे उड़ान भरेगी। यह बेहद अशोभनीय है। क्या न्यायालय उनकी सुविधा के हिसाब से काम करेगा। एक संस्थान का मुख्य कार्यपालक अधिकारी स्तर का अफसर यह चाहता है कि उसकी मर्जी से मुकदमे में सुनवाई की जाए।" अदालत ने अपने आदेश में कई कड़ी टिप्पणी की हैं।
'पुलिस हिरासत में सीईओ को पेश किया जाए'
अदालत ने अपने आदेश में लिखा है, "नोएडा अथॉरिटी ने अवैधानिक रूप से याची की जमीन पर कब्जा कर लिया। उसे मुआवजे के तौर पर एक पैसा नहीं दिया गया। याची एक के बाद एक लगातार अदालत के सामने अपना हक मांग रही हैं। नोएडा की सीईओ के खिलाफ अवमानना प्रक्रिया शुरू हुई, इसके बावजूद वह अदालत में हाजिर नहीं हुईं। उनका वकील अदालत से कहता है कि वह जब तक नहीं आ जाती हैं, तब तक मामले में सुनवाई ना की जाए। अदालत मानती है कि नोएडा की सीईओ का यह व्यवहार जानबूझकर अदालत का असम्मान करना है। एक संस्थान का मुख्य कार्यपालक अधिकारी स्तर का अफ़सर यह चाहता है कि उसकी मर्जी के हिसाब से मुकदमे में सुनवाई की जाए। ऐसा नहीं हो सकता है।"
हाईकोर्ट ने आगे कहा, "नोएडा की सीईओ रितु महेश्वरी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने का यह पर्याप्त आधार है। रितु महेश्वरी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया जाए। गौतमबुद्ध नगर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट इसका पालन करवाएंगे। अगले 48 घंटों के भीतर इस आदेश की प्रतिलिपि गौतमबुद्ध नगर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को उपलब्ध करवाई जाए। मामले की अगली सुनवाई 13 मई 2022 को होगी। उस दिन नोएडा की मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु महेश्वरी को पुलिस कस्टडी में अदालत के सामने पेश किया जाए।"