जिला अस्पताल में युवक का छलका दर्द, साहब! एम्बुलेंस समय से आई होती तो जिंदा होती मेरी पत्नी...

नोएडा की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था : जिला अस्पताल में युवक का छलका दर्द, साहब! एम्बुलेंस समय से आई होती तो जिंदा होती मेरी पत्नी...

जिला अस्पताल में युवक का छलका दर्द, साहब! एम्बुलेंस समय से आई होती तो जिंदा होती मेरी पत्नी...

Tricity Today | जिला अस्पताल

Noida News : हाईटेक शहर नोएडा में स्वास्थ्य सेवाओं में अव्वल होने का दंभ भरने वाले जिला अस्पताल (District Hospital) की नाकामी सामने आई है। समय पर एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण जन्म लेने के साथ ही एक नवजात बच्चे से उसकी मां साया छिन गया। दरअसल, समय पर एंबुलेंस नहीं पहुंचने पर महिला को घर पर ही अपने बेटे को जन्म देना पड़ा, किन्तु जब तक उसे अस्पताल ले जाया गया तब तक काफी देर हो चुकी थी और उसने जिला अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। 

क्या है पूरा मामला 
जानकारी के मुताबिक, मूल रूप से बुलंदशहर के रहने वाले गोपाल नोएडा में गार्ड है। वह सेक्टर 73 में रहते हैं। सोमवार रात पत्नी अन्नू को प्रसाव पीड़ा होने पर सरकारी एंबुलेंस सेवा 102 पर फोन किया गया था। एक व्यक्ति ने फोन उठाकर उनसे कहा कि उसकी एंबुलेंस खराब है। घर के पास एक दूसरी सरकारी एंबुलेंस है उसे फोन करिए। घर पर प्रसाव पीड़ा के बाद पत्नी ने घर पर ही बच्चे को जन्म दिया। देरी से आई एंबुलेंस से किसी तरह पत्नी को जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। भर्ती करने के कुछ ही देर बाद डॉक्टरों ने पत्नी को मृत घोषित कर दिया। 

न अस्पताल और न शव ले जाने को एंबुलेंस
जिला अस्पताल में पांच से सात एंबुलेंस धूल फांक रही हैं। अस्पताल में पांच वाहन चालक हैं, जिनको हर महीने सैलरी के तौर पर लाखों रुपये दिए जाते हैं। आरोप है कि यह चालक सिर्फ वीआइपी लोगों के लिए काम आते हैं। बाकी समय अस्पताल परिसर में घूमते रहते हैं। इसी तरह जिला अस्पताल में शव वाहन का भी लाभ नहीं मिल रहा है। जिला अस्पताल में संदिग्ध मौत के बाद शवों को पोस्टमार्टम हाउस तक ले जाने की सुविधा नहीं मिल रही है। अस्पताल में सामान्य मौत पर निःशुल्क शव वाहन का लाभ नहीं मिल रहा है। अस्पताल में दो शव वाहन धूल फांक रहे है। वहीं एक शव वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद से क्षतिग्रस्त खड़ा है। कोरोना काल में दान में मिली एंबुलेंस को शव वाहन में तब्दील करना पड़ा है। बावजूद आवश्यकता पड़ने पर शव वाहन उपलब्ध नहीं होने से स्वजन को प्राइवेट वाहनों का सहारा लेना पड़ता है। 

चालक चला रहा फोटो कापी की शॉप
आरोप है कि निजी वाहन चालक मासूम और मजबूर लोगों की मजबूरी का फायदा उठाने से बाज नहीं आते हैं और मनमाना किराया वसूलते हैं। जिसकी वजह से मरीजों को ज्यादा राशि का भुगतान करना पड़ता है। जबकि सीएमओ कार्यालय में पांच चालक है। अकेले शव वाहन को चलाने के लिए दो चालक हैं। आरोप है कि इन चालकों का सरकारी शव वाहन को चलाने में मोहभंग हो रहा है। वह अपनी प्राइवेट एंबुलेंस को चलाने में ज्यादा ध्यान देते हैं। शव वाहन के मेंटेनेंस, डीजल और चालक के वेतन पर हर साल लाखों रुपये खर्च होते हैं वहीं जिला अस्पताल के चालक फोटो कापी की दुकान लगवाने तक सीमित है।

Copyright © 2023 - 2024 Tricity. All Rights Reserved.