Noida : गौतमबुद्ध नगर के प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार हिंडन और यमुना नदियों के डूब क्षेत्रों में प्लॉटों की रजिस्ट्री करने पर अड़ गए हैं। रजिस्ट्रारों के साथ सहायक महानिरीक्षक (स्टांप) भी जिला प्रशासन के खिलाफ खड़े हैं। स्टांप रजिस्ट्रेशन विभाग के तमाम अफसर अनिश्चितकालीन अवकाश पर चले गए हैं। दूसरी तरफ बैनामा लेखक और वकील रजिस्ट्रार कार्यालयों के बाहर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। गुरुवार को यह विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था और शुक्रवार को भी जारी है। जिसकी वजह से सरकारी कामकाज ठप पड़ गया है।
क्या है पूरा मामला
करीब एक साल पहले गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने यमुना और हिंडन नदियों के डूब क्षेत्रों में प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री पर सशर्त नियम लागू किए थे। जिलाधिकारी ने आपदा अधिनियम में प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए सभी प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार को आदेश दिया था कि क्रेता और विक्रेता से शपथ पत्र लें। जिसमें वह घोषणा करेंगे कि आपदा अधिनियम के नियमों का उल्लंघन नहीं किया जाएगा। जिस प्राधिकरण के दायरे में जमीन की रजिस्ट्री की जा रही है, उससे अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया जाए। डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के प्रावधानों का पालन करते हुए रजिस्ट्री करवाई जाए। इसके लिए अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) कार्यालय से भी अनापत्ति लेना जरूरी होगा। इस आदेश के बाद नदियों के खादर क्षेत्रों में छोटे-छोटे भूखंडों की रजिस्ट्री रुक गई थी।
शासन ने रोक हटाई
जिलाधिकारी की ओर से लागू किए गए नियमों के खिलाफ कुछ लोगों ने पहले हाईकोर्ट और फिर राज्य सरकार में शिकायतें की। आपदा अधिनियम के का पालन जिलाधिकारी करवा रहे थे। लिहाजा, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोई राहत नहीं दी थी। इसके बाद यूपी की आईजी स्टैंप ने इन शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए एक पत्र जिलाधिकारी सुहास एलवाई को लिखा था। तमाम कानूनों का हवाला देते हुए अपना आदेश वापस लेने के लिए कहा था। जिसे डीएम ने वापस नहीं लिया था। दरअसल, आईजी के पास आपदा अधिनियम में प्रदत्त शक्तियों को निष्क्रिय करने का कोई अधिकार नहीं है। इन हालातों के चलते खादर इलाकों में रजिस्ट्री शुरू नहीं हो पाई। पिछले दिनों राज्य सरकार की ओर से एक आदेश जारी किया गया। जिसमें रजिस्ट्रारों को नदियों के खादर क्षेत्रों में कृषि भूमि के बैनामे करने को कहा गया था।
परेशान हुए भू-माफिया
जिलाधिकारी सुहास एलवाई के फैसले से गौतमबुद्ध नगर के भू-माफिया और प्रॉपर्टी डीलर परेशान हैं। दरअसल, यह सारे लोग हिंडन और यमुना नदी के खादर क्षेत्रों में किसानों से बड़ी-बड़ी जमीन खरीदकर छोटी-छोटी कॉलोनी काट रहे हैं। लोगों को बहकाकर 50 वर्गमीटर से लेकर 100 और 200 वर्गमीटर के भूखंड ऊंची कीमतों पर बेचते हैं। पिछले एक साल से चाहकर भी भू-माफिया और प्रॉपर्टी डीलर छोटे-छोटे भूखंडों की रजिस्ट्री नहीं कर पाए। भू-माफिया का अवैध कारोबार बंद हो गया। दरअसल, यह साफतौर पर दिखता है कि 50 से 100 मीटर के भूखंडों पर खेतीबाड़ी नहीं की जा सकती है। इन प्लॉटों का उपयोग अवैध इमारतें बनाने के लिए किया जाता है। नदियों के बाढ़ क्षेत्र में लाखों घर बन चुके हैं। जिनकी वजह से कभी भी बड़ी आपदा का सामना जिले को करना पड़ सकता है।
रजिस्ट्रारों ने शुरू की रजिस्ट्री
गौतमबुद्ध नगर के प्रॉपर्टी रजिस्ट्रारों ने शासन से थोड़ी सी राहत मिलते ही फिर अवैध धंधे के जरिए काटी जा रही कालोनियों में बैनामे करने शुरू कर दिए। जबकि शासन में केवल कृषि भूमि भूमि की रजिस्ट्री की इजाजत दी थी। यह जानकारी मिलने पर जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने ग्रेटर नोएडा के एआईजी स्टांप को तलब किया। उनसे जवाब मांगा कि रजिस्ट्रार कृषि भूमि की वजह छोटे-छोटे प्लॉटों की रजिस्ट्री क्यों कर रहे हैं?
हड़ताल पर चले गए अफसर
जिलाधिकारी सुहास एलवाई के जवाब-तलब करने पर जिले के सारे रजिस्ट्रार और दोनों एआईजी विरोध में उतर आए हैं। इन लोगों की ओर से संयुक्त हस्ताक्षरित एक पत्र आईजी स्टाम्प को भेजा गया है। जिसमें लिखा गया है कि डीएम सुहास एलवाई ने एआईजी स्टांप के साथ अभद्रता की है। कलेक्ट्रेट में बुलाकर गिरफ्तार करवाने की धमकी दी। इसके विरोध में सारे अधिकारी अनिश्चितकालीन अवकाश पर चले गए हैं। दूसरी ओर रजिस्ट्रार कार्यालयों में काम करने वाले बैनामा लेखक और वकील धरना दे रहे हैं। इन सभी लोगों का कहना है कि नदियों के खादर क्षेत्रों में रजिस्ट्री निर्बाध रूप से की जाएं।