रिटायर आईएएस दीपक सिंघल ने नोएडा में दी कड़ी प्रतिक्रिया, कहा- यह तमिलनाडु की महान संस्कृति का अपमान

उदयनिधि के बयान पर छिड़ी नई बहस : रिटायर आईएएस दीपक सिंघल ने नोएडा में दी कड़ी प्रतिक्रिया, कहा- यह तमिलनाडु की महान संस्कृति का अपमान

रिटायर आईएएस दीपक सिंघल ने नोएडा में दी कड़ी प्रतिक्रिया, कहा- यह तमिलनाडु की महान संस्कृति का अपमान

Tricity Today | रिटायर्ड आईएएस दीपक सिंघल

Noida : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के मंत्री बेटे उदयनिधि स्टालिन के विवादित बयान पर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव रिटायर्ड आईएएस दीपक सिंघल ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि उदयनिधि का बयान केवल हास्यस्पद ही नहीं है, अति दुर्भाग्यपूर्ण एवं दुखद है। यह उनके अज्ञानता का परिचायक है। उदयनिधि ने अपने बयान से अपनी ही तमिलनाडु की महान संस्कृति के साथ ही मुरुगन, कार्तिकेय, संगम साहित्य, भक्ति काव्यश्री अण्डाल, महाकाव्य सिलप्पदिकरम्, मणिमेखलाई, तिरुवल्लुवार, तिरूक्कुरल का अपमान किया है।

विश्व की सबसे पुरानी ​और जीवित शैली है सनातन धर्म
गौरतलब है कि तमिलनाडु सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने अपने बयान में कहा था कि सनातन धर्म को समाप्त कर देना चाहिए। सनातन धर्म का विनाश कर देना चाहिए। उन्होंने सनातन धर्म की कई महामारियों से तुलना की थी। उनके इस बयान पर दीपक सिंघल ने कहा कि उदयनिधि के ये शब्द केवल तमिलनाडु ही नहीं, सम्पूर्ण भारतवर्ष एवं उसके महान बौद्धिक इतिहास का अपमान है। उन्होंने कहा, उदयनिधि नहीं जानते कि तमिलनाडु भारतीय संस्कृति का रक्षक और गढ़ रहा है। चोला से चालुक्या तक जितने दक्षिण के राजवंश हुए हैं, सबके सब सनातन धर्म के रक्षक थे। केवल रक्षक ही नहीं, उनके द्वारा निर्मित सनातन मन्दिर वृहदेश्वरा, श्रीरंगम, कपलिश्वर, विश्व की प्रत्यक्ष धरोहर का अभिन्न अंग और भारतीय संस्कृति की अमूल्य विभूतियां हैं। सनातन धर्म अब्राह्मिक धर्म नहीं है। ये विश्व की सबसे प्राचीनतम और अब तक की जीवित जीवन शैली है।

पूरी दुनिया में हैं सनातन धर्म के पदचिह्न
रिटायर्ड आईएएस दीपक सिंघल ने कहा कि विदेशियों की नकल पर उनके द्वारा फैलाई गयी भ्रान्तियों के आधार पर वर्ण व्यवस्था को कास्ट सिस्टम कहना अन्यायपूर्ण, जन्म आधारित परम्परा मानना उच्च कोटि का अज्ञान है। विश्व का कोई भी समाज ऐसा नहीं, जिसमें चार भाग न हों- सोचने वाले, रक्षा करने वाले, धन उपार्जन वाले एवं पूरे समाज की व्यवस्थाओं की देखरेख करने वाले। यही वर्ण व्यवस्था है और यह जन्मजात नहीं है। ये वर्ण व्यवस्था सनातन धर्म में कभी भी अन्यायपूर्ण नहीं थी। उन्होंने कहा कि उदयनिधि को पता ही होगा कि सनातन धर्म के पदचिन्ह पूरे विश्व में मिलते हैं- ब्रिटेन, अमेरिका, आयरलैण्ड, मिस्र, वियतनाम, थाइलैण्ड, मलेशिया, कम्बोडिया, जापान, जर्मनी, रूस, मंगोलिया, ईरान, इराक, अफगानिस्तान, आस्ट्रेलिया, मैक्सिको, अर्जेन्टीना, अब आदि जैसे देशों में भी पदचिन्ह उपलब्ध हैं।
 
विद्वानों ने की ज्ञान और संस्कृति की रक्षा
दीपक सिंघल ने कहा कि सनातन धर्म की हत्या भारत में करने से कुछ नहीं होगा। भारत में भी सनातन धर्म के शत्रु हजारों से सालों से रहे हैं, परन्तु शत्रु मिट गये, सनातन धर्म नहीं। यूनाइटेड नेशन्स के अनुसार, मानवता के इतिहास में जो 46 संस्कृतियां हुई हैं, वे सब नष्ट हो गयीं, केवल सनातन धर्म ही जीवित है और जीवित रहेगा। उन्होंने कहा कि इस प्रकार का दुराग्रह भारत के इतिहास में नया नहीं है। जिस दिन वेदों का निर्माण हुआ, उसी दिन वेद विरोधी भी पैदा हुए। उन विरोधियों से विद्वानों ने भारत के ज्ञान और संस्कृति की रक्षा की। इसी कारण भारत की संस्कृति आज भी जीवित है।

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