42 मामलों में तत्कालीन सीईओ समेत कई अफसरों पर शिकंजा, जांच पूरी होने पर आधा प्राधिकरण हो सकता है खाली

नोएडा से खास खबर : 42 मामलों में तत्कालीन सीईओ समेत कई अफसरों पर शिकंजा, जांच पूरी होने पर आधा प्राधिकरण हो सकता है खाली

42 मामलों में तत्कालीन सीईओ समेत कई अफसरों पर शिकंजा, जांच पूरी होने पर आधा प्राधिकरण हो सकता है खाली

Tricity Today | नोएडा प्राधिकरण

Noida News : नोएडा प्राधिकरण के अफसर एक बार फिर घेरे में आ गए हैं। नोएडा में गलत तरीके से भूखंड आवंटन मामले में प्राधिकरण के एक प्रबंधक पर कार्रवाई के बाद अब अन्य अफसरों की जांच हो सकती है। आमप्राली बिल्डर को जमीन देने और सुपरटेक ट्विन टावर मामले में भी प्राधिकरण अधिकारी जांच के घेरे में हैं। इन पर भी आने वाले समय में कार्रवाई हो सकती है। बताया जा रहा है कि अगर इस मामले में ठीक तरीके से जांच की जाए तो प्राधिकरण में तैनात आधे से ज्यादा अफसरों पर गाज गिर सकती है।

सीएजी ने नोएडा प्राधिकरण के कार्यों पर की थी टिप्पणी
बीते करीब 15 साल के नोएडा प्राधिकरण के कामकाज पर भी सीएजी ने गंभीर टिप्पणी की हैं। जिनमें मुख्य रूप से स्पोर्टस सिटी और फार्म हाउस घोटाले के अलावा गढ़ी शहदरा में लीज बैक मामला प्रमुख है। इनके अलावा भी कई मामलों में प्राधिकरण में वर्तमान में कार्यरत अधिकारियों की जांच चल रही है। प्राधिकरण के वर्ष 2000 के आसपास आवासीय घोटाला और होटल आवंटन सहित अन्य घोटोले भी हुए हैं। हालांकि, अब इन मामलों से संबंधित कोई भी अधिकारी प्राधिकरण में कार्यरत नहीं है।

आम्रपाली बिल्डर को फायदा पहुंचाने में अफसरों का बड़ा हाथ
नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने वर्ष 2007 से लेकर वर्ष 2015 तक आम्रपाली बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए गलत तरीके से कार्य किया था। इस मामले में प्राधिकरण को काफी नुकसान हुआ है। इस मामले में अभी तक की जांच के मुताबिक तत्कालीन सीईओ से छोटे से छोटे अधिकारी तक 22 लोग जांच के घेरे में है। बताया जा रहा है कि जल्द इनके पर गाज गिर सकती है।

सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट मामले में 25 अधिकारी फंसे
नोएडा के सेक्टर-93ए में स्थित सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट परिसर में बने ट्विन टावर मामले में भी प्राधिकरण अधिकारियों और बिल्डर का गठजोड़ सामने आ चुका है। इसमें तत्कालीन सीईआ से लेकर निचले स्तर के करीब 25 अधिकारी फंसे हुए हैं। इस मामले में भी प्राधिकरण, शासन और विजिलेंस अलग-अलग स्तर पर जांच कर रहे हैं।

दलित प्रेरणा स्थल में करोड़ों का घोटाला, प्राधिकरण के पास जवाब नहीं
सेक्टर-95 में करीब 82 एकड़ में बने दलित प्रेरणा स्थल के निर्माण की भी जांच चल रही है। इसके निर्माण के लिए 84 करोड़ का एमओयू हुआ था। जबकि 1000 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए गए थे। पैसे कहां खर्च किया गया, इसका कोई रिकार्ड प्राधिकरण के पास नहीं है। कुछ महीने पहले ही उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान निर्माण निगम ने राजकीय निर्माण निगम के चार पूर्व अधिकरियों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद प्राधिकरण से इससे जुड़े 23 फाइलों को टीम अपने साथ लखनऊ ले गई थी।

स्पोर्टस सिटी के नाम पर 10 हजार करोड़ का घोटाला
नोएडा के सेक्टर-78, 79, 101, 150 और 152 में स्पोर्टस सिटी के नाम पर बिल्डरों को जमीन आवंटित करने में करीब 10 हजार करोड़ का घोटाला होने सामने आया है। सस्ती दरों पर बिल्डरों को जमीन दी गई। बिल्डरों ने इस परियोजना के लिए जरूरी खेल सुविधाएं विकसित करने के बजाए फ्लैट बना दिए। इस परियोजनाओं में आज तक फ्लैट खरीदार फंसे हुए हैं। बिल्डर प्राधिकरण का बकाया भी नहीं दे रहे हैं

3800 करोड़ रुपए का घोटाला किसानों के मामले में
गढ़ी शहदरा गांव में लीज बैक करने के नाम पर करीब 3800 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है। नोएडा प्राधिकरण ने अवैध रूप से और सस्ती दरों पर यमुना के पास लोगों और कंपनियों को करीब 155 फार्म हाउस आवंटित किए। लोकायुक्त ने जांच की गई, लेकिन कुछ नहीं हुआ। अब सीएजी की रिपोर्ट में फार्म हाउस आवंटन होने से 2833 करोड़ का घोटाला होना सामने आया है। वहीं, दूसरी ओर अवैध रूप से यमुना की तलहटी तक फार्म हाउस भी बन गए हैं। इनमें से करीब सवा गिराए जा चुके हैं।

फर्जी तरीके से करोड़ों का मुआवजा बांटा
गेझा गांव में बीते सालों में नियमों को दरकिनार कर फर्जी तरीके से करोड़ों रुपए का मुआवजा बांटा गया था। न्यायालय ने एक मामले में अतिरिक्त मुआवजा देने का आदेश दिया, लेकिन प्राधिकरण अधिकारियों ने इस आदेश का बहाना बनाकर अन्य लोगों को भी बांट दिया।

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